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एनसीईआरटी की किताबों के लिए भटक रहे छात्र और अभिभावक, विभाग तय नहीं कर पा रहा प्रकाशक

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Published : Jul 8, 2023, 8:36 PM IST

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कक्षा 9 से लेकर 12वीं तक छात्रों को एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ाई करानी है, लेकिन अप्रैल से शुरू हो चुके शैक्षिक सत्र की किताबें अभी तक बाजार में नहीं हैं. माध्यमिक शिक्षा परिषद की इस लेट लतीफी से छात्र और अभिभावक परेशान हैं.

एनसीईआरटी की किताबों के लिए बाजार में भटक रहे अभिभावक. देखें खबर

लखनऊ : माध्यमिक शिक्षा परिषद की कक्षा 9 से लेकर 12वीं तक का नया शैक्षिक सत्र 2023-24 अप्रैल से शुरू हो चुका है. शैक्षणिक सत्र शुरू हुए तीन महीने बीत चुके हैं, पर अभी तक कक्षा नौ से 12 तक चलने वाली एनसीईआरटी की किताबें प्रकाशित करने के लिए प्रकाशकों का नाम फाइनल नहीं हो पाया है. ऐसे में राजकीय, एडेड व अशासकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी किताबें बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं. पहले छात्रों को उम्मीद थी कि जुलाई में किताबें मार्केट में जाएंगी, लेकिन अभी तक सस्ती किताबें मार्केट में नहीं आ पाई है. वहीं, सचिव परिषद का कहना है कि किताबें नहीं आने से परेशान होने की जरूरत नहीं है. जल्द ही किताबें मिलनी शुरू होंगी. वैसे, इन किताबों की पीडीएफ पहले से ही बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड हैं.

एनसीईआरटी की किताबों का संकट.
एनसीईआरटी की किताबों का संकट.


प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी किताबें खरीदने को मजबूर हैं बच्चे : माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से हर साल तय पाठ्यक्रम की किताबें सस्ते रेट पर छात्रों को मुहैया कराने के लिए प्रकाशकों को अधिकृत किया जाता है. बीते साल की तरह इस साल भी माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अभी तक मार्केट में सस्ती किताबें मुहैया कराने के लिए अधिकृत प्रकाशकों के नाम जारी नहीं किए हैं. ऐसे में एनसीईआरटी के तर्ज पर प्राइवेट प्रकाशक इसका फायदा उठाने से नहीं चूक रहे हैं. वह मार्केट में माध्यमिक शिक्षा परिषद के सिलेबस के अनुसार किताबें प्रिंट कर मार्केट में बेच रहे हैं. ऐसे में बच्चों को दो से तीन गुनी महंगे दामों पर किताबें खरीदनी पड़ रही हैं.

एनसीईआरटी की किताबों का संकट.
एनसीईआरटी की किताबों का संकट.

माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि यूपी बोर्ड की सभी किताबें तीन महीने के बाद भी मार्केट में नहीं उपलब्ध हो पाई हैं. बोर्ड की ओर से पिछले साल तीन प्रकाशकों को 34 विषयों की 67 किताबों की सूची दी गई थी. जिन्हें एनसीईआरटी के पैटर्न पर इन किताबों को प्रिंट कर मार्केट में उपलब्ध कराना था. बीते साल अक्टूबर तक भी यह किताबें मार्केट में नहीं आ पाई थीं. जिसके बाद राजधानी लखनऊ में जिला विद्यालय निरीक्षक ने प्रकाशकों से सीधे किताबें मंगवा कर जुबली इंटर कॉलेज में काउंटर लगाकर बच्चों को किताबें बेची गई थीं. इस बार तो स्थिति उससे भी ज्यादा खराब है.

एनसीईआरटी की किताबों के लिए बाजार में भटक रहे अभिभावक.
एनसीईआरटी की किताबों के लिए बाजार में भटक रहे अभिभावक.
एनसीईआरटी की किताबों का संकट.
एनसीईआरटी की किताबों का संकट.
एनसीईआरटी की किताबों के लिए बाजार में भटक रहे अभिभावक.
एनसीईआरटी की किताबों के लिए बाजार में भटक रहे अभिभावक.


अभी तक प्रकाशक नियुक्त नहीं : इस सत्र में नई किताबों कौन प्रकाशक प्रिंट करेगा यह अभी तक तय नहीं हो पाया है. ऐसे में बच्चे किताबों के लिए किताब मार्केट के चक्कर लगाने को मजबूर है. यूपी बोर्ड में इस साल तीन प्रकाशकों की किताबें चलेंगी या नहीं इसको लेकर अभी कोई प्रक्रिया तय तय नहीं है. बोर्ड की ओर से वेबसाइट पर केवल सभी क्लासेस के विषयों के पीडीएफ अपलोड कर दिए गए हैं. बच्चों को यह नहीं पता कि वह किस प्रकाशक की किताबें खरीदें. ज्यादातर स्कूलों ने बच्चों को एनसीईआरटी किताबें ही लेने के निर्देश दिए हैं, पर वह किताबें भी बाजार से गायब हैं.




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