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Bajaj चीनी मिलों पर किसानों का 2000 करोड़ बकाया, NPA से कैसे उबरेगा ग्रुप?, योगी सरकार की नजर

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Published : Jul 7, 2022, 8:47 PM IST

Updated : Jul 8, 2022, 8:47 PM IST

यूपी में बजाज ग्रुप की 14 शुगर मिलों को कर्ज के चलते बैंकों ने एनपीए घोषित कर दिया है. ऐसे में गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर सवाल उठने लगे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले की पड़ताल की. किसानों का भी दर्द जाना. पेश है यह खास रिपोर्ट.

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चीनी मिलों को लेकर ये बोले नेता.

लखनऊ: बजाज हिंदुस्तान चीनी मिलों पर किसानों का करोड़ों रुपए का गन्ना भुगतान बकाया है. बजाज शुगर मिलों पर करीब 4814 करोड़ से अधिक का कर्जा होने की स्थिति में बैंकों ने एनपीए घोषित कर दिया है. ऐसे में अब बजाज ग्रुप की शुगर मिलों की राह कठिन हो गई है. सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि अब बजाज समूह कैसे किसानों का भुगतान करेगा और चीनी मिलों को संचालित करेगा. इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की. गन्ना विभाग के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि सरकार की इस मामले पर पूरी नजर है. किसानों के बकाया का भुगतान कराया जाएगा. यह भी कहा जा रहा है कि बजाज ग्रुप बैंकों की अगली किश्त देकर एनपीए से मुक्त हो जाएगा.

बजाज हिंदुस्तान शुगर मिल लिमिटेड ने करीब एक दर्जन सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों से कर्जा ले रखा है. फिलहाल करीब एक दर्जन बैंकों का बजाज चीनी मिल प्रबंधन के ऊपर 4814 करोड़ रुपए का कर्जा है. चीनी मिल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2022 तक 108 करोड़ रुपए के ब्याज सहित किस्त बैंकों को जमा करनी थी, लेकिन चीनी मिल प्रबंधन की तरफ से 99 करोड़ 64 लाख ही भुगतान किया जा सका और करीब 8 करोड़ 96 लाख रुपए संबंधित किस्त का ही बकाया हो गया है. नियमानुसार तीन महीने के अंदर क़िस्त का बकाया जमा न कर पाने की स्थिति में बैंकों की तरफ से बजाज हिंदुस्तान शुगर मिल प्रबंधन को एनपीए घोषित कर दिया है.

चीनी मिलों को लेकर ये बोले नेता.

बजाज शुगर मिल प्रबंधन के कंपनी सेक्रेटरी कौशिक अधिकारी की तरफ से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को भेजी गई हालिया रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया है. फाइनेंशियल शीट को शेयर करते हुए कहा गया है कि हम जल्द ही अपने बैंक की बकाया किस्त जमा करेंगे जिससे शेयर मार्केट में बजाज शुगर मिल की स्थिति खराब न होने पाए. इस पूरी स्थिति पर उत्तर प्रदेश सरकार के गन्ना विभाग के अधिकारी नजर बनाए हुए हैं और प्रदेश के गन्ना आयुक्त व गन्ना विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी बजाज शुगर मिल प्रबंधन से बातचीत कर रहे हैं.


यूपी में बजाज हिंदुस्तान समूह की 14 शुगर मिलों के संचालन और राज्य सरकार, किसानों के बीच गन्ना बकाया भुगतान या अन्य बिंदुओं की बात करें तो राज्य सरकार के माध्यम से गन्ना किसानों ने 1272.38 लाख क्विंटल गन्ना पेराई के लिए बजाज की सभी 14 मिलों को दिया है. इसके एवज में गन्ना किसानों का अभी तक करीब 2000 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है. जानकारी के अनुसार करीब 1500 करोड़ रुपए का बकाया भुगतान चीनी मिल प्रबंधकों की तरफ से गन्ना किसानों को किया गया है. वहीं दूसरी तरफ बजाज हिंदुस्तान समूह की उत्तर प्रदेश में संचालित सभी 14 शुगर मिलों के चीनी उत्पादन की बात करें तो 128.04 क्विंटल चीनी बनाई गई है जिसे बेचते हुए चीनी मिल प्रबंधन अपनी चीनी मिलों को संचालित करने जिनके अंतर्गत किसानों को बकाया भुगतान आदि करने का सिलसिला चल रहा है.

इसके साथ ही महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि चीनी मिलों की दैनिक पेराई क्षमता 1.36 लाख टन बताई गई है जबकि प्रतिदिन करीब 8 लाख टन एथेनॉल तैयार करने का काम भी चीनी मिल प्रबंधन की तरफ से किया जाता है. इसके अलावा जानकारी के अनुसार बनाई गई चीनी व तैयार किए गए एथेनॉल के माध्यम से चीनी मिल प्रबंधन ने करीब 1500 करोड़ रुपए बिक्री के जुटाए हैं. चीनी मिल प्रबंधन के एक अधिकारी ने बताया कि हम धीरे-धीरे गन्ना किसानों का बकाया भुगतान कर रहे हैं और हमें जो एनपीए के रूप में अगली किस्त जमा करनी है हम उसकी भी व्यवस्था कर रहे हैं, जिससे बैंकों के स्तर पर एनपीए को खत्म किया जाए.

वह कहते हैं कि एनपीए घोषित होने से चीनी मिलों के संचालित करने में कोई समस्या नहीं आएगी. वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंकों का जो कर्जा चीनी मिल प्रबंधन पर है, उसे रिस्ट्रक्चर करने को लेकर किस्त जमा नहीं की जा सकी है. यह बड़े चीनी मिल प्रबंधन या अन्य बड़ी कंपनियों के स्तर पर कर्जा को व्यवस्थित किए जाने को लेकर किया जाता है. एनपीए होने से बैंकों की बैलेंस शीट भी बेहतर होती है और अन्य तरह से कंपनियों के स्तर पर लोन रिस्ट्रक्चर करने का काम किया जाता है.

वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि इस मामले की राज्य सरकार पूरी मॉनिटरिंग कर रही है. मिल प्रबंधन के पहले की परफॉर्मेंस की बात करें तो कंपनी के स्तर पर तमाम तरह की मनमानी किए जाने की बात भी सामने आ रही है. सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में बजाज समूह की चीनी मिलों को काफी रियायत देने का काम किया जा रहा था. काफी सहूलियत देने के चलते और बैंकों के स्तर पर भी काफी अधिक कर्जा दिया गया है. प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद से काफी हद तक शिकंजा कसने का काम किया गया. बकाया भुगतान होने की स्थिति में समय-समय पर आरसी जारी करने की कार्यवाही भी की गई. इसके साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि बजाज समूह की 14 शुगर मिलों के गन्ना किसानों के बकाया भुगतान होने की स्थिति में कई बार रिकवरी सर्टिफिकेट भी जारी किए गए हैं और कार्यवाही भी की जा रही है. बजाज समूह अपनी चीनी मिलों को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने और लोन को रिस्ट्रक्चर करने को लेकर यह स्थिति उत्पन्न की गई है. समूह की 14 शुगर मिलों को 15 लाख किसान गन्ना पेराई के लिए देते हैं. इनके परिवार गन्ने की खेती पर निर्भर हैं.

फिलहाल यूपी में सभी चीनी मिलें बंद हैं. इस वक्त इनमें मेंटीनेंस व सफाई हो रही है. गन्ने की आपूर्ति अक्टूबर से अप्रैल के अंत तक होती है. कहा जाता है होली से दिवाली के बीच गन्ना तैयार होता है. दिवाली के आसपास मिलें खुल जातीं हैं. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अक्टूबर से नवंबर में बजाज शुगर मिल की चीनी मिले संचालित होने लगेंगी. इसके साथ ही चीनी उत्पादन व एथनॉल बनाने का काम शुरू हो जाएगा. वहीं, बजाज समूह से जुड़े अन्य कंपनियों के मुनाफे में होने पर चीनी मिलों के कर्ज भुगतान आदि को लेकर प्रयास तेजी से किए जाने के संकेत भी मिल रहे हैं.

जयंती चौधरी बोले, किसानों का बकाया भुगतान हो
राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने ईटीवी भारत से कहा कि इस पूरे विषय पर मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि सरकार की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है. अगर जो प्राइवेट सेक्टर हैं, तो ऐसे में डूब जाएंगे. इसका खामियाजा किसान न भुगतने पाए. सरकार बताए कि पहले बैंक का हक बनेगा या किसान का, जिन्होंने 1 साल पहले गन्ना आपूर्ति की थी, उनका हक भुगतान को लेकर बनेगा. उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि सबसे पहले किसानों का बकाया भुगतान होना चाहिए. बैंकों ने तो लोन को एसेस करने के लिए एनपीए कर दिया है. बैंकों के आगे कोई मजबूरी नहीं है. पहले तो बजाज को पैसा देते गए, लेकिन किसान के आगे मजबूरी है क्योंकि किसान का गन्ना क्षेत्र आरक्षित होता है. वह किसी और मिल को गन्ना सप्लाई ही नहीं कर सकते हैं. नियमों के अनुसार सीएम योगी की जिम्मेदारी बनती है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जिम्मेदारी बनती है कि चुनाव के पहले इन लोगों ने बड़े-बड़े वादे किए थे, कहा था कि गन्ना किसानों का 14 दिन के अंदर भुगतान किया जाएगा. मेरी सरकार से मांग है कि गन्ना किसानों का जो बजाज शुगर मिल पर बकाया है, उसका जल्द से जल्द भुगतान कराया जाए. सरकार को बताना चाहिए कि ग्रुप के खिलाफ कितनी रिकवरी की गई और चीनी का कितना स्टॉक चीनी मिल के पास है. उसको सरकार ने अपने कब्जे में लिया है या नहीं. सरकार किसानों का भुगतान कराने के बारे में फैसला करे.

सपा बोली, किसान हित में फैसला ले सरकार
इस बारे में सपा के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि देखिए, जिस तरह से उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने कहा था कि किसानों का बकाया भुगतान जल्द से जल्द कराएंगे. किसानों का कर्जा माफ करेंगे. किसानों को मुफ्त बिजली भी देंगे. जो वायदे भाजपा ने किए वह पूरे नहीं कर रही है. अगर बजाज मिल एनपीए हो रही है तो किसानों का जो गन्ना का बकाया भुगतान है तो सरकार को बकाया भुगतान कराना चाहिए. गन्ना किसानों के बकाए भुगतान के बारे में सरकार को गंभीरता से विचार करके अपने दायित्वों का निर्वहन कराना चाहिए. सरकार को कोई बीच का रास्ता निकाल कर किसानों के बकाए का भुगतान कराने के बारे में गंभीरता से प्रयास करना चाहिए. सरकार को ऐसा फैसला करना चाहिए जो किसानों के हित में हो.

भाजपा बोली, योगी सरकार भुगतान कराने में पीछे नहीं हटेगी
इस बारे में भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों के लिए पूरी तरह से समर्पित है. हमने रिकॉर्ड तोड़ गन्ने का भुगतान किया है. अब तक 1 लाख 71 हजार करोड़ रुपए गन्ना किसानों का भुगतान किया गया है. कहीं किसी भी निजी चीनी मिल का कोई बकाया है, तो एक-एक पाई का भुगतान उत्तर प्रदेश की सरकार कराने के लिए सुनिश्चित करेगी. इसके लिए जो भी आवश्यक कदम उठाने होंगे, उन आवश्यक कदमों को उठाने से योगी आदित्यनाथ सरकार पीछे नहीं हटेगी.

ये बोले किसान.

गन्ना किसान बोले, वादे पर खरी नहीं उतरी योगी सरकार
लखीमपुर खीरी में गोला, पलिया और खंभारखेड़ा की बजाज चीनी मिलों पर आठ सौ करोड़ से ज्यादा रुपया बकाया है. किसानों का कहना है कि कर्जा हो चुका है, बच्चों की फीस नहीं दे पा रहे हैं. गन्ना बकाया का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है. योगी सरकार ने 14 दिनों में भुगतान की बात कही थी. इस वादे पर सरकार खरी नहीं उतरी. सीएम योगी से उम्मीद थी कि गन्ना भुगतान दिलवाएंगे लेकिन वह भी नहीं दिलवा पाए. बहुत से काम रुक गए हैं. दवाओं, खेती और बच्चों की फीस में काफी दिक्कत हो रही है. सरकार को इस मामले में कुछ करना चाहिए. हमारी परेशानियां दूर नहीं हो रहीं हैं.

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Last Updated :Jul 8, 2022, 8:47 PM IST
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