ETV Bharat / state

डेंचर लगाने से घबराते हैं डेंटिस्ट, इसीलिए बढ़ रहा है इंप्लांट्स पर खर्च

author img

By

Published : Sep 29, 2019, 1:57 PM IST

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रहे दो दिवसीय यूपी डेंटल शो में विशेषज्ञों ने दांतों की बीमारी और नई तकनीकों के बारे में चर्चा किया. विशेषज्ञों का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में दांतों की बीमारी लगभग 80 प्रतिशत लोगों में पाई जाती है.

डेंटल शो में विशेषज्ञों ने की चर्चा.

लखनऊ: इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रहे दो दिवसीय यूपी डेंटल शो 2019 में प्रदेश से कई विशेषज्ञ आए हुए हैं. विशेषज्ञ दांतों की तमाम बीमारियों पर चर्चा करने के साथ ही आने वाली नई तकनीकों के बारे में भी विद्यार्थियों को बता रहे हैं. ताकि वह मरीजों को अधिक से अधिक सुविधा दे सकें.

डेंटल शो में विशेषज्ञों ने की चर्चा.


शहरी क्षेत्रों में अधिक लोग दांतों की बीमारी से ग्रसित
डेंटल शो में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के दंत संकाय के प्रोफेसर डॉ. अनिल चंद्रा ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा दांतों की बीमारियां कहीं अधिक बढ़ गई हैं. आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में दांतों की बीमारी लगभग 80% लोगों में पाई जाती है. इसका अर्थ यह है कि शहर में रहने वाले हर व्यक्ति में किसी न किसी तरीके की दांतों की बीमारी जरूर है. इन सभी में सबसे ज्यादा परेशानी दांतों में कीड़ा लगने की वजह से है, जिसको हम मेडिकल की भाषा में बैक्टीरियल इन्फेक्शन कहते हैं.


इसका मुख्य कारण आज की खानपान की स्थिति है. शहरी क्षेत्रों के लोगों की डाइट बेहद खराब हो चला है. डाइट में ब्रेड, बन, पिज्जा, बर्गर या ऐसी चीजें सम्मिलित हैं. इसे खाकर दातों की बीमारियां होना लाजिमी है. उन्होंने बताया कि रात में खाना खाने के बाद जरूर बर्श करना चाहिए. क्योंकि दातों में चिपकी हुई चीजों में एसिड बनना शुरू हो जाता है, जो दांतों को गलाना शुरू कर देता है. इसकी वजह से कैविटीज और कई अन्य बीमारियां होने लगते हैं.

पढ़ें:- लखनऊ: दो दिवसीय यूपी डेंटल शो का हुआ आयोजन, विशेषज्ञों ने की चर्चा

इंडियन डेंटल एसोसिएशन के सदस्य ने दी यह जानकारी
दांतों के इलाज में आई नई तकनीकों के बारे में इंडियन डेंटल एसोसिएशन के सदस्य डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने बताया कि एडवांस टेक्नोलॉजी हमेशा सही रहती है. लोग इंप्लांट्स करवाते हैं, जो इसे लगवाने की आर्थिक स्थिति रखते हैं. काफी लोग ऐसे भी हैं जो इंप्लांट्स का खर्चा वहन नहीं कर सकते. ऐसे लोगों के लिए डेंचर ही एकमात्र हल होता है.


आज-कल डेंटिस्ट इसे लगाने में घबराते हैं. वह समझ नहीं पाते कि डेंचर स्टेबल रह पाएगा या नहीं. वह इंप्लांट्स लगवाने पर ही जोर देते हैं. उन्होंने डेंटिस्ट को सलाह देते हुए कहा कि यदि अच्छी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस के साथ डेंचर लगाएंगे, तो वह भी अच्छा रहेगा. इंप्लांट्स, डेंचर के मुकाबले 6 से 7 गुना अधिक खर्चा करवाता है.

Intro:लखनऊ। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रहे दो दिवसीय यूपी डेंटल शो 2019 में तमाम तरह के विशेषज्ञ आए हुए हैं या विशेषज्ञ पूरे उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से आए हुए हैं जो दांतो की तमाम बीमारियों पर चर्चा तो कर रहे हैं पर साथ ही आने वाली नई तकनीकों के बारे में भी विद्यार्थियों को बता रहे हैं जिसकी वजह से वह मरीजों को अधिक से अधिक सुविधा दे सकें।


Body:वीओ1 डेंटल शो में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में दंत संकाय में बताओ प्रोफेसर डॉक्टर अनिल चंद्रा कहते हैं कि शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा दांतो की बीमारियां कहीं अधिक बढ़ गई है । आंकड़ों के देखा जाए तो शहरी क्षेत्रों में दांतो की परेशानियां या बीमारियां लगभग 80% लोगों में पाई जाती हैं। इसका अर्थ यह है कि शहर में रहने वाले हर व्यक्ति में किसी न किसी तरीके की दांतों की बीमारी जरूर है। वह कहते हैं इन सभी में सबसे ज्यादा परेशानी दांतों में कीड़ा लगने की वजह से है जिसको हम मेडिकल की भाषा में बैक्टीरियल इनफेक्शन कहा जाता है। इसका मुख्य कारण हमारे आज की खानपान की स्थिति है। आज शहरी क्षेत्रों में जो हमारा डाइट है वह बेहद खराब हो चला है। हमारी आज की डाइट में ब्रेड, बन , पिज़्ज़ा, बर्गर या ऐसी चीजें जिन्हें हम जंक कह सकते हैं, वह ज्यादा सम्मिलित हैं और इसे खाकर जब अपने दांतो का खास खयाल न रखे तो बीमारियां होना लाजिमी हो जाता है। डॉक्टर चंद्रा कहते हैं कि अक्सर हम कुछ ऐसा खाते हैं जो हमारे दांतो में चिपक जाता है और उसके बाद हम पानी पीना या दांतों को साफ करना भूल जाते हैं, खास कर यदि यह खाना हम रात को खाते हैं तो अगली सुबह तक हमारे मुंह में सलाइवा नहीं बनता। ऐसे में दातों में चिपकी हुई चीज मैं एसिड बनना शुरू हो जाता है जो दांतों को गलाना शुरु कर देता है और इसकी वजह से कैविटीज और कई अन्य बीमारियां होने लगते हैं। दांतों के इलाज में आई नई तकनीकों के बारे में इंडियन डेंटल एसोसिएशन के मेंबर डॉक्टर सचिन श्रीवास्तव कहते हैं कि एडवांस टेक्नोलॉजी हमेशा सही रहती है और हर एक पेशेंट और उसका इफेक्ट भी अच्छा आता है। इंप्लांट्स लोग करवाते हैं जो इसे लगवाने की आर्थिक स्थिति रखते हैं लेकिन काफी लोग ऐसे भी हैं जो इंप्लांट्स का खर्चा वहन नहीं कर सकते। ऐसे लोगों के लिए डेंचर ही एकमात्र हल होता है, लेकिन आजकल डेंटिस्ट इसे लगाने में घबराते हैं। वह समझ नहीं पाते कि डेंचर स्टेबल रह पाएगा या नहीं और वह इन प्लांट लगवाने पर ही जोर देते हैं। डेंटिस्ट को मैं यह सलाह देना चाहूंगा कि यदि आप अच्छी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस के साथ डेंचर लगाएंगे तो वह भी अच्छा रहेगा और ऐसे मरीजों के लिए काफी प्रभावी होगा जो इन प्लांट का खर्चा वहन नहीं कर पाते। डॉक्टर सचिन कहते हैं कि इंप्लांट, डेंचर के मुकाबले 6 से 7 गुना अधिक खर्चा करवाता है।


Conclusion: बाइट- डॉ अनिल चंद्रा प्रोफेसर दंत संकाय केजीएमयू बाइट- डॉक्टर सचिन श्रीवास्तव सदस्य इंडियन डेंटल एसोसिएशन रामांशी मिश्रा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.