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बाहरी जिले का वाहन देखते ही सक्रिय हो जाती है लखनऊ की ट्रैफिक पुलिस, जानिए क्यों

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Published : Jun 13, 2023, 5:07 PM IST

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ईटीवी भारत की टीम लखनऊ के कुछ चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता परखने निकली तो यहां अलग ही कार्यशैली सामने आई. चौराहों पर खड़े पुलिसकर्मी बाहरी जिलों की गाड़ियों पर चील और बाज की तरह झपटते हैं. ऐसा ट्रैफिक नियम सुनिश्चित कराने के लिए नहीं, बल्कि इसके पीछे की वजह कुछ और ही है.

बाहरी जिले का वाहन देखते ही सक्रिय हो जाती है लखनऊ की ट्रैफिक पुलिस, देखें खबर

लखनऊ : यदि आप राजधानी से बाहर के रहने वाले हैं और गाड़ी से शहर आ रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यहां के हर चौराहों पर खड़े ट्रैफिक कर्मी आपकी ही तलाश में हैं. डीएल, प्रदूषण, एचएसआरपी, आरसी समेत सब पेपर मौजूद होने पर भी रुक कर ट्रैफिक कर्मियों को समझना ही पड़ेगा. यह सच्चाई राजधानी लखनई के हर चौराहे की है. यहां धूप से बचने के लिए सड़क किनारे चुपके से खड़े ट्रैफिक कर्मी बाहरी जिले के वाहन देखते ही एक्टिव हो जाते हैं. ऐसा यातायात नियम का पालन सुनिश्चित कराने के लिए नहीं होता है. दरअसल इसके पीछे की हकीकत कुछ और ही है. ईटीवी भारत की टीम ने ट्रैफिक पुलिस की इसी सक्रियता की सच्चाई परखी तो असल बात सामने आई.

लखनऊ ट्रैफिक पुलिस के निशाने पर बाहरी जिलों के वाहन.
लखनऊ ट्रैफिक पुलिस के निशाने पर बाहरी जिलों के वाहन.

यूपी प्रदेश के हर चौराहे पर वैसे तो ट्रैफिक कर्मियों को यातायात को सुगम बनाए रखने के लिए तैनात किया जाता है, लेकिन राजधानी के चौराहों पर खड़े ट्रैफिक कर्मियों का टारगेट यातायात नहीं बल्कि उन गाड़ियों पर अधिक होता है जो लखनऊ के बाहर जिलों की होती हैं. रेड लाइट होने पर अगर उन्हें यूपी 32 के अलावा अन्य जिलों के नंबर की कोई गाड़ी दिखती है तो ट्रैफिक पुलिसकर्मी और होमगार्ड ऐसी गाड़ियों को रोक ही लेते हैं. इसके बाद गाड़ी किनारे लगवाते हैं और फिर चालक को बूथ के अंदर ले जाकर बातचीत करते हैं.

बाहरी जिले का वाहन देखते ही सक्रिय हो जाती है लखनऊ की ट्रैफिक पुलिस
बाहरी जिले का वाहन देखते ही सक्रिय हो जाती है लखनऊ की ट्रैफिक पुलिस.

हालात यह हैं कि दूसरे जिले से कोई भी गाड़ी लखनऊ की सीमा में बस दाखिल भर हो जाए, ट्रैफिक कर्मी और होमगार्ड अपना मिशन कंपलीट मान लेते हैं और उन्हें नींबू की तरह निचोड़ने में जुट जाते हैं. राजधानी के पीजीआई चौराहे से रोजाना रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, फतेहपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़ समेत कई जिलों से गाडियां गुजरती हैं. इस चौराहे पर तीन ट्रैफिक सिपाही, दो होमगार्ड और एक ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर की ड्यूटी रहती है. ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर बूथ के अंदर बैठे रहते हैं और सिपाही और होमगार्ड सड़कों पर बाहरी जिलों की गाड़ियों की तलाश में खड़े रहते हैं.

वाहन चालकों के लिए सुविधा.
वाहन चालकों के लिए सुविधा.

बाहरी गाड़ी को रोका, फोटो खींचा और साइड में लगवाया : रोजाना की तरह सोमवार को भी पीजीआई चौराहे पर गाड़ियों का आवागमन था. ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड पर जाकर देखने की कोशिश कि कैसे बाहरी गाड़ियों को ट्रैफिक कर्मी नीबू को तरह निचोड़ते हैं. 11:45 बजे तीन ट्रैफिक सिपाही बूथ से निकलते हैं और चौराहे के एक ही तरह खड़े हो जाता हैं. लखनऊ की गाड़ी को जाने का इशारा करते हुए यूपी 77 की एक गाड़ी को रोक लेते हैं. फोटो खींच कर साइड में लगाने का इशारा करते हैं. जिसके बाद एक सिपाही गाड़ी चालक को लेकर बूथ के अंदर बैठे ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर के पास ले जाता है.

बाहरी जिले का वाहन है तो ट्रैफिकर्मियों से 'मुलाकात' करनी ही पड़ेगी, जानिए क्यों .
बाहरी जिले का वाहन है तो ट्रैफिकर्मियों से 'मुलाकात' करनी ही पड़ेगी, जानिए क्यों .
पीजीआई अस्तपाल आने-जाने वाले तीमारदार बनते हैं शिकार : पीजीआई चौराहे पर ही एसजीपीजीआई अस्पताल जाने का मार्ग है. ऐसे में अधिकतर यहां बाहरी जिलों की गाड़ियां आती जाती रहती हैं. सोमवार को यूपी 95 नंबर की एक गाड़ी अस्पताल के अंदर जा ही रही थी. इसके पहले ही चौराहे पर तैनात होमगार्ड ने रोक लिया और फोटो खींच कर उस चालक को भी बूथ के अंदर ले गया. बूथ के अंदर कुछ डील हुई और चालक को रवाना कर दिया गया.
वाहन चालकों के लिए नियम.
वाहन चालकों के लिए नियम.
तेलीबाग चौराहे पर फोटो खींचने के बाद चालक से मोलभाव : राजधानी के तेलीबाग चौराहे पर यूपी 32 यानी लखनऊ की गाड़ियों को जाने का इशारा देते हुए उन्हीं के बीच की एक यूपी 70 नंबर को गाड़ी को ट्रैफिक सिपाही ने रोक लिया. पहले गाड़ी की फोटो खींची और कहीं और ले जाने के बजाए गाड़ी में बैठे चालक से मोल भाव करने लगा.
बाहरी जिले का वाहन है तो ट्रैफिकर्मियों से 'मुलाकात' करनी ही पड़ेगी, जानिए क्यों .
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आईटी चौराहा पर हर ट्रैफिक कर्मी के निशाने पर बाहरी गाड़ियां : राजधानी के आईटी चौराहे पर भी रोजाना हरदोई, सीतापुर, बरेली समेत कई जिलों की गाड़ियां रोजाना गुजरती हैं. ऐसे में इस चौराहे पर भी ट्रैफिक कर्मियों का एक सूत्री कार्य बाहरी गाड़ियों को रोकने का ही होता है. यहां से गुजर रही दर्जनों गाड़ियों में ट्रैफिक कर्मी को यूपी 78 की एक गाड़ी दिखती है लिहाजा उसे रोक कर शुरू हो जाती है बातचीत.

वाहन चालकों के लिए नियम.
वाहन चालकों के लिए नियम.
होमगार्ड उठाते हैं बाहरी गाड़ियों को किनारे लगाने की जिम्मेदारी : मोटर व्हीकल एक्ट में व्हीकल्स के गाड़ी के कागज चेक करने और ई चालान करने का अधिकार कम से कम हेड कांस्टेबल व सब-इंस्पेक्टर को होता है. हालांकि ये तब जब आपको सच में चालान करने को प्रक्रिया करनी होती है, लेकिन जब सिर्फ बाहरी गाड़ियों को टारगेट कर उनसे वसूली करने का हो तो ये जिम्मेदारी चौराहों पर जरूरत से अधिक संख्या में तैनात होमगार्ड और ट्रैफिक सिपाही उठाते हैं, उनकी फोटो खींचने से लेकर उनके कागजों चेक करने और फिर उन्हें बूथ के अंदर ले जाने तक का काम इन्हीं होमगार्ड और ट्रैफिक सिपाहियों का है. बूथ में ले जाकर होती है वसूली : चौराहों पर रेड लाइट होते ही होमगार्ड बाहरी जिलों के नंबर वाली गाड़ियों को छांटते हैं. इसके बाद फोटों खींच कर उसमें नुक्स निकालते हैं. नुक्स निकालने के बाद उस गाड़ी को ट्रैफिक सिपाही के हवाले कर दिया जाता है. इसके बाद ट्रैफिक विभाग हर कमी का जुर्माना बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं और फिर उसे बूथ के भीतर बैठे टीएसआई या एचसीपी के सुपुर्द कर दिया जाता है. यह भी पढ़ें : भाजपा नेताओं ने थाने में जमकर किया हंगामा, पुलिस से की धक्का-मुक्की
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