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राजधानी लखनऊ में जाम की समस्या से निपटने में क्यों कामयाब नहीं हो पा रहा जिला प्रशासन

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Published : Jul 27, 2023, 7:58 PM IST

उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में जाम से निपटने के इंतजाम बेमानी साबित हो रहे हैं. वास्तव में इस समस्या का समाधान यातायात पुलिस और जिला प्रशासन दोनों के सहयोग से ही निकल सकता है, लेकिन इनमें सामंजस्य का जबरदस्त अभाव है. यही कारण है जाम की समस्या का कोई स्थाई हल अभी तक नहीं निकाला जा सका है.

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लखनऊ : प्रदेश की राजधानी में यातायात प्रबंधन को लेकर नित नए प्रयोग हो रहे हैं. बावजूद इसके प्रशासन इससे निपटने में नाकाम है. अनियोजित विकास, अतिक्रमण, शहर के मुख्य हिस्से में प्रमुख कार्यालयों के होने जैसी तमाम समस्याएं हैं, जिनका अब तक कोई निदान नहीं निकल पाया है. राजधानी के लोग भी अभी यातायात नियमों का पालन करने के अभ्यस्त नहीं हुए हैं, जिससे समस्या और बढ़ती जा रही है. इन सब बातों के बाद भी सरकार है कि यातायात नियमों का कड़ाई से पालन नहीं करा पा रही है. इससे उलट सरकार नियम तोड़ने वालों के चालान भी माफ कर दे रही है. स्वाभाविक है कि इससे नियमों का पालन करने वाले भी निराश होंगे.

जाम की समस्या.
जाम की समस्या.
जाम की समस्या.
जाम की समस्या.


उत्तर प्रदेश का हर शहर अतिक्रमण की गिरफ्त में है. कारोबारी अपनी दुकानों के बाहर उत्पाद सजाए कहीं भी देखे जा सकते हैं. सड़कों और पुलों पर ठेलों और खोमचों की भरमार है. अवैध कब्जे भी अपनी जगह हैं. ऐसे में सड़कें लगातार सिकुड़ रही हैं. सरकारें हैं कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करना नहीं चाहतीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं मतदाता नाराज न हो जाएं. कार्रवाई न होने के कारण उद्दंड अतिक्रमणकर्ता बेखौफ होकर ऐसे सड़कों पर कब्जा जमा लेते हैं, जैसे यह उनकी ही जागीर हो. राजधानी लखनऊ की ही बात करें तो ज्यादातर पुलों पर फल मंडियां लगी दिखाई देती हैं. लगभग सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवैध सब्जी मंडियां लगती हैं. यह किसी से छिपी बात नहीं है. पूरा सरकारी तंत्र यह सब जानता है, पर कार्रवाई है कि होती ही नहीं.

राजधानी लखनऊ में जाम की समस्या.
राजधानी लखनऊ में जाम की समस्या.
राजधानी लखनऊ में जाम की समस्या.
राजधानी लखनऊ में जाम की समस्या.



यातायात नियमों की बात भी उत्तर प्रदेश के शहरों में बेमानी साबित हो रही है. जब राजधानी की पुलिस करोड़ों रुपये खर्च कर ट्रैफिक सिग्नल लाइट तो लगवा लेती है, पर नियमों का पालन न करने वालों को दंड नहीं दे पाती. आपको लगभग हर चौराहे पर ऐसे सैकड़ों लोग दिख जाएंगे जो न रेड लाइट की फिक्र करते हैं और न पुलिस की परवाह. स्वाभाविक है कि जाम तो लगेगा ही. शहर के हजरतगंज, विधानसभा मार्ग, लाटूश रोड, कैसरबाग चौराहा और लालबाग आदि में दिनभर वाहन रेंगते रहते हैं. जबकि यहां की सड़कें सकरी नहीं हैं. बस अव्यवस्था है जो सब पर भारी है. लालबाग में तो थाने के सामने ही सड़कों पर पूरा कारोबार होता देखा जा सकता है, पर पुलिस है कि मुंह नहीं खोलती.

जाम की समस्या.
जाम की समस्या.
जाम की समस्या.
जाम की समस्या.



राजधानी के हृदय स्थल कहे जाने वाले हजरतगंज और आसपास के इलाके में तमाम सरकारी दफ्तर हैं. इन दफ्तरों में पार्किंग का पर्याप्त प्रबंध भी नहीं है. इसके साथ ही दिनों दिन वाहनों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. मजबूरन लोग सड़कों पर ही अपनी गाड़ियां पार्क करते हैं. इसके साथ ही कई बड़े मिशनरी स्कूल भी इसी क्षेत्र में हैं. यहां बच्चों को लेने आने वाले निजी और स्कूली वाहनों का भी जमावड़ा हो जाता है. इस कारण दिन में प्रमुख क्षेत्रों को जाम से निजात नहीं मिल पाती. आबादी वाले क्षेत्रों में भी वाहनों की तादाद लगातार बढ़ रही है. अनियोजित कॉलोनियों में यह समस्या और भी बढ़ रही है. ऐसे में जरूरत है कि इन सभी विषयों को देखते हुए सरकार एक विस्तृत योजना बनाने की जरूरत है.

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