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आंधी बनेगी विरोध की बयार, सपा और भाजपा दोनों होंगे दो-चार...

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Published : Jan 21, 2022, 10:47 PM IST

कांग्रेस ने शुक्रवार को युवाओं के लिए घोषणा पत्र में आठ वादे किए. दूसरी ओर आगरा और बरेली के दौरे पर निकले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को आगरा में विरोध का सामना करना पड़ा. इसके बाद उनका बरेली दौरा निरस्त कर दिया गया. भाजपा में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव आज सपा संस्थापक व अपने श्वसुर मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद लेने पहुंची. आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद में अपना घोषणा पत्र जारी किया. चलिए जानते हैं शुक्रवार के पूरे घटनाक्रम के बारे में.

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आंधी बनेगी विरोध की बयार, सपा और भाजपा दोनों होंगे दो-चार

लखनऊ : महिलाओं के लिए घोषणाओं की झड़ी लगाने के बाद कांग्रेस को अब युवाओं की याद आई है. कांग्रेस ने शुक्रवार को युवाओं के लिए घोषणा पत्र में आठ वादे किए. दूसरी ओर आगरा और बरेली के दौरे पर निकले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को आगरा में विरोध का सामना करना पड़ा. इसके बाद उनका बरेली दौरा निरस्त कर दिया गया. भाजपा में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव आज सपा संस्थापक व अपने श्वसुर मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद लेने पहुंची. आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद में अपना घोषणा पत्र जारी किया. आइए विस्तार से जानते हैं इन खबरों के मायने.



राहुल गांधी और उप्र कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी ने 'दिल्ली से' उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए घोषणा पत्र जारी किया. घोषणा पत्र में कई लोकलुभावन वादे हैं. हालांकि इन वादों का उत्तर प्रदेश की जनता के लिए कोई खास मायने नहीं है. पिछले कुछ दशकों से प्रदेश में कांग्रेस हाशिए पर सिमटती गई है. ऐसा नहीं है कि प्रदेश के अन्य राजनीतिक दलों ने कांग्रेस के सफाए के लिए बहुत कुछ किया हो.

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दरअसल, कांग्रेस ने ही कभी पूरी इच्छाशक्ति नहीं दिखाई कि वह सत्ता के करीब आ सके. अब इस घोषणा पत्र को ही लीजिए. दिल्ली में बैठक कर उत्तर प्रदेश की राजनीति की जाएगी, तो वह हकीकत में कैसे उतरेगी. दूसरी बात वादों और दावों में कहां हकीकत का साम्य भी होना चाहिए. लोग जानते हैं कि जो पार्टी कहीं मुकाबले में नहीं है, वह कोई भी वादा कर ले, ऐसे वादे का कुछ मतलब नहीं है. कार्यकर्ता भी अपने नेताओं से मुखातिब नहीं हो पाते, तो वह जमीनी स्तर पर किस ऊर्जा से काम करेंगे.

अब बात करते हैं भाजपा की. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को आज आगरा में विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा. वस्तुतः यह असहज करने वाली स्थिति होती है किसी भी पार्टी या नेता के लिए. पांच साल किसी सीट पर तैयारी करने वाले नेता की जगह जब किसी और को टिकट मिल जाए तो यह असंतोष लाजिमी है.

भाजपा से ज्यादा यह असंतोष समाजवादी पार्टी में है. इसी के चलते कुछ दिन पूर्व बरेली के एक विधायक ने पार्टी से इस्तीफा देकर मैदान में उतरने का एलान किया. इसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक जिले से सपा और गठबंधन दोनों के प्रत्याशियों ने नामांकन करा दिया है. अभी तो यह शुरुआत है. छह चरण अभी शेष हैं. ऐसे में प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों को असंतोष से निपटने के लिए खासी मशक्कत करनी होगी. जो पार्टी असंतोष से निपटने में नाकाम रही उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

दूसरी ओर भाजपा में हाल ही में शामिल हुई अपर्णा यादव ने मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद लिया और फोटो मीडिया में जारी कर यह सियासी संदेश देने का काम किया कि जिस तरह नेता जी मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद अखिलेश यादव के साथ है, ठीक उसी तरह उसके साथ भी नेताजी का आशीर्वाद है और वह मुलायम सिंह की अनुमति से ही भाजपा में शामिल हुई हैं. अपर्णा का राजनीतिक अनुभव भले कम हो, लेकिन वह मंझे हुए राजनेता की तरह चाल चलती रही हैं.



आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अपनी पार्टी का घोषणा पत्र जारी कर सियासी संदेश देने की कोशिश की. दरअसल सपा से गठबंधन करने में नाकाम रहे चंद्रशेखर लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि इनका संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है और प्रदेश की राजनीति में वह अपनी प्रासंगिकता अभी बनाए रखेंगे. हालांकि चंद्रशेखर ने सपा से गठबंधन न कर भारी भूल की है. अकेले लड़कर वह कुछ सीटों पर वोटकटवा की भूमिका भले ही निभा सकें, किंतु अपने दम पर सीटें जीतने की क्षमता अभी उनके दल में नहीं है. उन्हें इस हकीकत को समझना होगा.

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