लखनऊ : मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि भारत ज्ञान परंपरा का अकूत भंडार है. सभी दो दिन पहले उस गौरवशाली क्षण के साक्षी बनें जब हमारे देश का चंद्रयान चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर गया, जहां पहले कभी कोई यान लैंड नहीं हुआ. यह देश के लिए बहुत बड़ा पल था. जब इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विज्ञान का मूल हमारे वेद हैं. वेदों के ज्ञान से हम आसानी से चंद्रमा पर पहुंच सके.
मुख्य सचिव ने कहा कि उसी वैदिक परंपरा का भाग हमारा आयुर्वेद है. अपनी आत्मा, इंद्रियों और अपने मन को प्रसन्न रखने के लिए डॉ. जयन्त देवपुजारी की बताई बातों का अनुसरण करना चाहिए. सचिवालय कर्मियों पर महत्वपूर्ण योजनाओं और कार्यक्रमों के नीति निर्धारण का दायित्व होता है. ऐसे में कार्यक्षमता को बढ़ाने और कार्य को आनंदभाव निष्पादित करने, भोजन, दिनचर्या के बारे में आयुर्वेद में बहुत सारी बातें बताई गई हैं, उन्हें अंगीकृत करना चाहिए. हजारों साल पहले का जो ज्ञान है, उसमें आज भी परिवर्तन नहीं हुआ है. इन सारी चीजों को अपना लें तो निश्चित रूप से हमारी क्षमता बढ़ेगी.
मुख्य सचिव ने कहा कि हमारी वैदिक परंपरा समय के साथ कम होती जा रही है. हमारे गांव में एक वैद्यशाला हुआ करती थी, कोई भी बीमार होता था तो वहां वैद्य जी कुछ पुड़िया बनाकर देते थे और बीमारी ठीक हो जाती थी. उनके प्रति हमारे मन में श्रद्धाभाव रहता था. धीरे-धीरे वैद्यशाला खत्म होती गईं, लेकिन एक बार दोबारा पिछले 10 साल में आयुष का जिस प्रकार विकास हुआ है, इंडियन सिस्टम्स ऑफ मेडिसिन का विकास हुआ है, उसकी ताकत कोरोना के दौर में देखी गई.
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