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सिंधिया की बैठक से क्यों गायब रहे दो बड़े कांग्रेसी, जानिए कारण

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Published : Jun 15, 2019, 8:36 PM IST

कांग्रेस मुख्यालय पर राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने बैठक की. इस दौरान कानपुर से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल और धौरहरा से प्रत्याशी रहे जतिन प्रसाद नहीं शामिल हुए, जिसको लेकर कांग्रेस में सवाल उठ रहे हैं.

कांग्रेस मुख्यालय पर समीक्षा बैठक करते राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया.

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में बैठकों का दौरा जारी है. शुक्रवार को कांग्रेस मुख्यालय पर राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने पश्चिम यूपी के 12 लोकसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों, समन्वयकों, जिला और शहर अध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक की. वहीं बैठक में दो बड़े कांग्रेसी नेताओं के गायब होने पर सवाल उठ रहे हैं.

जानकारी देते कांग्रेस प्रवक्ता पंकज तिवारी.

समीक्षा बैठक से गायब रहे ये बड़े कांग्रेसी नेता

पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया की समीक्षा बैठक में सभी प्रत्याशियों को बुलाया गया था, लेकिन कांग्रेस के दो बड़े नेता समीक्षा बैठक में आए ही नहीं. इनमें कानपुर से प्रत्याशी रहे श्रीप्रकाश जायसवाल और धौरहरा से प्रत्याशी रहे जितिन प्रसाद शामिल हैं. दोनों नेताओं के बैठक में न आने की चर्चाएं कांग्रेस मुख्यालय पर भी रही, लेकिन कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि चुनाव के बाद से ही श्रीप्रकाश जायसवाल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. इसकी उन्होंने जानकारी दे दी थी, तभी वह बैठक में नहीं आए. वहीं जितिन प्रसाद बाहर गए हुए थे, इस वजह से वह नहीं आ पाए. बाकी सभी प्रत्याशी, समन्वयक, जिला और शहर अध्यक्ष बैठक में आए थे.

समीक्षा बैठक में क्या बोले प्रत्याशी

समीक्षा बैठक में प्रत्याशियों ने इस बात को ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज बब्बर के समक्ष रखा कि उन्हें चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं का समर्थन नहीं मिला. संगठन की कमी साफतौर पर क्षेत्रों में देखने को मिली. चुनाव हारने की यही वजह रही है. नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं का कोई ताल्लुक ही नहीं है. यही दूरी कांग्रेस को चुनाव से दूर ले जा रही है. इस दौरान दोनों बड़े नेताओं ने पदाधिकारियों की बात को गौर से सुना और इसके बाद तय किया कि अब बड़े नेता लगातार जमीन पर संघर्ष करेंगे. जमीनी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और उनके सुझाव मांगेंगे. यही नहीं संगठन में कार्यकर्ताओं को तरजीह भी देंगे.

क्या बोले कांग्रेस प्रवक्ता

समीक्षा बैठक में हुई चर्चाओं के संबंध में जब कांग्रेस प्रवक्ता पंकज तिवारी से बात की गई तो उन्होंंने कहा कि निश्चित रूप से चुनाव के दौरान कहीं-कहीं पर प्रत्याशियों से कार्यकर्ताओं का संपर्क नहीं हो पाया. चुनाव में कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों के बीच आपसी सामंजस्य की कमी देखी गई. साथ ही साथ संगठन भी मजबूत नहीं दिखा. राष्ट्रीय महासचिव की बैठक में इस बात की जानकारी दे दी गई है. चुनाव के बाद से ही दोनों प्रभारी लगातार इस पर काम कर रहे हैं. निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में इसका परिणाम दिखेगा.

Intro:सिंधिया की समीक्षा बैठक में नहीं आए कांग्रेस के दो बड़े नेता, प्रियंका को यूपी के सीएम फेस बनाने की भी उठी आवाज

लखनऊ। कल कांग्रेस मुख्यालय पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने पश्चिम के 12 लोकसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों, समन्वयकों और जिला व शहर अध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक की थी। समीक्षा बैठक में सभी प्रत्याशियों को भी बुलाया गया था, लेकिन कांग्रेस के 2 बड़े नेता इस समीक्षा बैठक में आए ही नहीं। इनमें कानपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे श्रीप्रकाश जायसवाल और धौरहरा से प्रत्याशी रहे जितिन प्रसाद शामिल हैं। दोनों नेताओं के बैठक में न आने से कांग्रेस मुख्यालय पर चर्चा भी रही, लेकिन कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि चुनाव के बाद से ही श्रीप्रकाश जायसवाल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसकी उन्होंने जानकारी दे दी थी, तभी वह मीटिंग में नहीं आए। वहीं जितिन प्रसाद बाहर गए हुए थे इसलिए मीटिंग में नहीं आ सके। बाकी सभी प्रत्याशी समन्वयक और जिला शहर अध्यक्ष मीटिंग में आए थे।


Body:समीक्षा बैठक में प्रत्याशियों ने इस बात को जोरदार तरीके से राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष रखा कि उन्हें चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं का समर्थन नहीं मिला। संगठन की कमी साफ तौर पर क्षेत्रों में देखने को मिली। चुनाव हारने की यही वजह रही है। नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं का कोई ताल्लुक ही नहीं है। यही दूरी कांग्रेस को चुनाव से दूर ले जा रही है। दोनों बड़े नेताओं ने पदाधिकारियों की बात को गौर से सुना और इसके बाद तय किया कि अब बड़े नेता लगातार जमीन पर संघर्ष करेंगे। जमीनी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे, उनके सुझाव मांगेंगे और संगठन में उन्हें तरजीह भी देंगे।

बाइट: पंकज तिवारी, प्रवक्ता, कांग्रेस

निश्चित रूप से चुनाव के दौरान कहीं-कहीं पर प्रत्याशियों से कार्यकर्ताओं का संपर्क नहीं हो पाया, वहीं आपसी सामंजस्य की कमी देखी गई। संगठन भी मजबूत नहीं दिखा। इसकी जानकारी दी गई है। चुनाव के बाद से ही दोनों प्रभारी लगातार इस पर काम कर रहे हैं। निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में इसका परिणाम दिखेगा। ऐसा नहीं है कि समीक्षा बैठक में बड़े नेता नहीं आए हैं। दो प्रत्याशी नहीं आ पाए। जिसमें एक श्रीप्रकाश जायसवाल हैं जिनका स्वास्थ्य खराब था। उन्होंने जानकारी दे दी थी और दूसरे जितिन प्रसाद बाहर गए हुए थे। बाकी सभी प्रत्याशी आए थे। समीक्षा बैठक में प्रत्याशियों के साथ समन्वयक और जिला या शहर अध्यक्ष ही बुलाए गए थे। प्रियंका गांधी को कार्यकर्ता आपने काफी करीब मानते हैं इसलिए चुनाव से पहले भी उनके राजनीति में आगे की आने की मांग उठी थी और अब मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकर्ता उन्हें देखना चाहते हैं। अगर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो प्रियंका गांधी को मुख्यमंत्री होना चाहिए।




Conclusion:भले ही लोकसभा चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले प्रियंका गांधी का डंका लोकसभा चुनाव में न बज पाया हो, लेकिन कार्यकर्ताओं की उम्मीद प्रियंका गांधी ही हैं। लिहाजा, अभी हाल ही में जब हार की समीक्षा करने अपनी मां सोनिया गांधी के साथ प्रियंका गांधी रायबरेली पहुंची तो रायबरेली से यह आवाज उठी कि आगामी विधानसभा चुनाव में यूपी में प्रियंका गांधी को फेस बनाया जाए। कांग्रेस की अगर सरकार बनती है तो प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनें। यह आवाज कल कांग्रेस मुख्यालय पर समीक्षा बैठक के दौरान भी उठी कि अगर विधानसभा चुनाव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में लड़ा जाता है तो इसका फायदा कांग्रेस को मिलना तय है। प्रियंका गांधी को सीएम फेस के तौर पर आगे किया जाए। ज्योतिराज सिंधिया ने भी इसका समर्थन है यह कहते हुए किया कि कार्यकर्ताओं की मांग जायज है। फैसला हाईकमान लेगा। कुल मिलाकर समीक्षा बैठक का निष्कर्ष यह निकला कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अब जुड़ने के लिए जमीन पर उतरेगी। कांग्रेस के बड़े नेता संघर्ष के लिए मौदान में निकलेंगे। विधानसभा चुनाव के लिए अभी से रणनीति बनाई जा रही है जिसके लिए प्रियंका गांधी को 2022 विधानसभा चुनाव में आगे जरूर रखा जाए।
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