लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान 31 मार्च यानी शुक्रवार को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में अब यूपी के नए डीजीपी के लिए रेस तेज हो गई है. प्रदेश सरकार ने नए डीजीपी के चयन के लिए अब तक यूपीएससी को आईपीएस अधिकारियों का पैनल नहीं भेजा है. माना जा रहा है कि फिलहाल गुरुवार को ही स्पेशल डीजी बने प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी के दौर पर जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि योगी सरकार मायावती सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए स्पेशल डीजी को लंबे समय तक के लिए डीजीपी पद की जिम्मेदारी सौंप सकती है.
वर्ष 1990 बैच के प्रशांत कुमार और अन्य पांच एडीजी रैंक के अधिकारियों को डीजी पद रिक्त नहीं होने की वजह से स्पेशल डीजी पर प्रमोट किया गया है. सरकार ने यह फैसला मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान के रिटायरमेंट के एक दिन पहले ही लिया गया है. ऐसे में साफ है कि योगी सरकार प्रशांत कुमार पर अपना भरोसा बनाए रखे हुए है और उन्हे देश की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स के मुखिया के तौर पर कमान दे सकते हैं. प्रशासनिक अमले में इस तरह के प्रयोग पहले भी हो चुके हैं. पूर्व की मायावती सरकार ने भी स्पेशल डीजी बनाकर ही आईपीएस अधिकारियों को डीजीपी बनाया था. वर्ष 2007 में तत्कालीन एडीजी सीआईएसएफ विक्रम सिंह को यूपी लौटने पर स्पेशल डीजी बनाया. नई जिम्मेदारी के चार दिन बाद ही उन्हें सूबे का डीजीपी बना दिया. 14 जनवरी 2011 को तत्कालीन एडीजी (कानून व्यवस्था) ब्रजलाल को मायावती सरकार ने स्पेशल डीजी बनाया था. इसके 9 माह बाद उन्हें डीजीपी नियुक्त कर दिया गया.
माया सरकार की तरह स्पेशल डीजी बनेंगे यूपी के DGP, प्रशांत कुमार को मिल सकती है जिम्मेदारी
योगी सरकार अब प्रदेश के डीजीपी की तैनाती के लिए पूर्ववर्ती मायावती सरकार के फॉर्मूले को आजमाने वाली है. यूपी के कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान के रिटायरमेंट से पहले प्रदेश सरकार ने यूपीएससी को संभावित डीजीपी के नाम की लिस्ट नहीं भेजी है. यानी योगी भी स्पेशल डीजी के भरोसे प्रदेश की कानून-व्यवस्था की देखरेख करेंगे.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान 31 मार्च यानी शुक्रवार को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में अब यूपी के नए डीजीपी के लिए रेस तेज हो गई है. प्रदेश सरकार ने नए डीजीपी के चयन के लिए अब तक यूपीएससी को आईपीएस अधिकारियों का पैनल नहीं भेजा है. माना जा रहा है कि फिलहाल गुरुवार को ही स्पेशल डीजी बने प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी के दौर पर जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि योगी सरकार मायावती सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए स्पेशल डीजी को लंबे समय तक के लिए डीजीपी पद की जिम्मेदारी सौंप सकती है.
वर्ष 1990 बैच के प्रशांत कुमार और अन्य पांच एडीजी रैंक के अधिकारियों को डीजी पद रिक्त नहीं होने की वजह से स्पेशल डीजी पर प्रमोट किया गया है. सरकार ने यह फैसला मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान के रिटायरमेंट के एक दिन पहले ही लिया गया है. ऐसे में साफ है कि योगी सरकार प्रशांत कुमार पर अपना भरोसा बनाए रखे हुए है और उन्हे देश की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स के मुखिया के तौर पर कमान दे सकते हैं. प्रशासनिक अमले में इस तरह के प्रयोग पहले भी हो चुके हैं. पूर्व की मायावती सरकार ने भी स्पेशल डीजी बनाकर ही आईपीएस अधिकारियों को डीजीपी बनाया था. वर्ष 2007 में तत्कालीन एडीजी सीआईएसएफ विक्रम सिंह को यूपी लौटने पर स्पेशल डीजी बनाया. नई जिम्मेदारी के चार दिन बाद ही उन्हें सूबे का डीजीपी बना दिया. 14 जनवरी 2011 को तत्कालीन एडीजी (कानून व्यवस्था) ब्रजलाल को मायावती सरकार ने स्पेशल डीजी बनाया था. इसके 9 माह बाद उन्हें डीजीपी नियुक्त कर दिया गया.