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लखनऊ: आखिर क्यों खास है रोजा, जानिये वजह

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Published : Apr 30, 2020, 8:21 PM IST

muslim religious leader maulana sufiyan nizami
muslim religious leader maulana sufiyan nizami

इस्लामिक मान्यता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुले रहते हैं. इसलिए अल्लाह के प्रति श्रद्धा रखने वाले सभी मुसलमान रमजान में रोजा रखते हैं. रमजान खत्म होने के बाद मुईद के त्योहार को मनाया जाता है.

लखनऊ: पवित्र रमज़ान की शुरुआत के साथ ही दुनियाभर में करोड़ों मुसलमान दिनभर भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं. लेकिन रोजा क्यों रखा जाता है और किन चीजों को करने से रोजेदारों का रोजा टूट जाता है. इन सभी सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सुफियान निज़ामी से खास बातचीत की है.

importance of ramadan
रोजा इफ्तार.
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सुफियान निज़ामी ने बताया कि इस्लाम में सभी महीनों से सबसे मुबारक और अफजल रमजान महीने को माना जाता है. रमजान के ही महीने में मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान आया था. जिसमें अल्लाह ने जिक्र किया है कि रोजे को मुसलमानों पर फर्ज (जरूरी) करार दिया है.
जानकारी देते मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सुफियान निज़ामी.
इंसानी ख्वाइशों और नफ्स पर नियंत्रण सिखाता है रमजान-मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सुफियान निज़ामी बताते है कि रोजा दुनिया में मुसलमानों की ट्रेनिंग के तौर पर काम करता है. जिसमे मुसलमान तमाम चीजों से दूर रहता है. 11 महीनों के बाद रमजान का एक महीना ऐसा आता है जिसमे ईमान वाला अपने ईश्वर को राज़ी करने और उसके कहे पर अमल करने के लिए रोज़ा रखता है. जिसमें खाने पीने के साथ तमाम चीजों से भी इंसान दूर रहता है. ये करने से टूट जाता है रोजा-रमजान में रोजे की हालत में खाना खाने से या पानी पी लेने से रोजा टूट जाता है. साथ ही कान और नाक में दवा की ड्राप डालने से भी रोजा टूट जाता है. हालांकि आंख में ड्राप डालने से और बालों में तेल डालने से रोजा नहीं टूटता. खून देने से या फिर दर्द का इंजेक्शन लगवाने से रोजा बरकरार रहता है.

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