मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में सेवानिवृत्ति की उम्र 70 साल का हुआ विरोध

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Published : Sep 19, 2021, 11:02 PM IST

सेवानिवृत्ति की उम्र 70 साल का हुआ विरोध

उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा संस्थानों में सेवानिवृत्ति की उम्र 70 साल किए जाने को लेकर, कहीं विरोध हो रहा है तो कई लोग इसके समर्थन में भी हैं. केजीएमयू फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष डॉ. केके सिंह ने सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 70 साल किए जाने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ वे लोग दुखी हैं, जो विभागाध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे हैं.

लखनऊ : प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों एवं चिकित्सा संस्थानों में सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 70 साल किए जाने को लेकर, कहीं विरोध हो रहा है तो कहीं समर्थन. इस मुद्दे पर चिकित्सा शिक्षकों के अलग-अलग तर्क हैं. एसजीपीजीआई फैकल्टी फोरम इस मुद्दे पर विरोध करते हुए जीबीएम (गवर्निंग बॉडी मीटिंग) करने जा रहा है. एसजीपीजीआई फैकल्टी फोरम ने सेवानिवृत्ति की उम्र 70 साल किए जाने का विरोध किया है.

फैकल्टी फोरम के सचिव प्रो. संदीप साहू ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति की उम्र चिकित्सक की मानसिक और शारीरिक स्थितियों का आकलन करके तय किया गाय है. बढ़ती उम्र की वजह से अन्य लोगों की तरह ही चिकित्सक भी शारीरिक और मानसिक रूप से रोगी के देखभाल में सक्षम नहीं होंगे. संस्थान और अस्पताल की गुणवत्ता और सेवाओं में सुधार के लिए नई ऊर्जा और आधुनिकता की जरूरत होती है. यदि 70 साल की व्यवस्था लागू होती है, तो नए छात्रों को फैकल्टी जॉब का मौका कम होगा. इसलिए सरकार को जनता और युवा डॉक्टरों के भविष्य और कैरियर को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि नहीं करनी चाहिए. हर विभाग के रोटरी हेडशिप व्यवस्था लागू किया जाना चाहिए, ताकि सभी संकाय सदस्यों को प्रशासनिक अनुभव प्राप्त हो सके.

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चंद लोगों का नुकसान, ज्यादा का फायदा

केजीएमयू फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष डॉ. केके सिंह ने सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 70 साल किए जाने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ वे लोग दुखी हैं, जो विभागाध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे हैं. अन्य किसी भी संकाय सदस्य को कोई नुकसान नहीं है. इतना जरूर है कि सरकार को कार्य और व्यवहार का भी मूल्यांकन कराना चाहिए. जो चिकित्सा शिक्षक मरीजों की सेवा और बेहतरीन चिकित्सक तैयार करने के अभियान में लगे हैं, उन्हें प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. उन्होंने विभागाध्यक्ष के लिए रोटेशन प्रणाली लागू करने की मांग की. कहा कि इससे सभी प्रोफेसरों को मौका मिलेगा.

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