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पीजीआई में जुटे नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन के विशेषज्ञ, मृतदाता प्रत्यारोपण पर हुए चर्चा

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Published : May 15, 2023, 11:08 PM IST

संजय गांधी पीजीआई के नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग का स्थापना दिवस पर देश के विभिन्न राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, कोलकाता, गुजरात और महाराष्ट्र से और यूनाइटेड किंगडम से अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने सफलता और चुनौतियों के अनुभव साझा किए.

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लखनऊ : संजय गांधी पीजीआई के नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग का स्थापना दिवस 13 मई को मनाया गया. इस अवसर पर विभाग ने मृतदाता प्रत्यारोपण कार्यक्रम पर दो दिवसीय सीएमई का आयोजन किया. इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, कोलकाता, गुजरात और महाराष्ट्र से और यूनाइटेड किंगडम से अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने सफलता और चुनौतियों के अपने अनुभव साझा किए.

पीजीआई में जुटे नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन के विशेषज्ञ, मृतदाता प्रत्यारोपण पर हुए चर्चा
पीजीआई में जुटे नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन के विशेषज्ञ, मृतदाता प्रत्यारोपण पर हुए चर्चा
विज्ञप्ति के अनुसार पहले दिन तमिलनाडु के विशेषज्ञ डॉ. सुनील श्रॉफ, तेलंगाना की डॉ. स्वानलता, कोलकाता की डॉ. अर्पिता और गुजरात के डॉ. विवेक कुटे ने अपने-अपने राज्यों की सफलता और चुनौतियों पर व्याख्यान दिया. डॉ. अदिति ने बताया कि इन सभी राज्यों विशेषतया तेलंगाना में अधिकतम दान के साथ बहुत सफल और मजबूत मृतक दान कार्यक्रम हैं. प्रोफेसर अमित गुप्ता और प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने सभी हितधारकों एवं प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा, आलोक कुमार और प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा के साथ पैनल चर्चा की. राज्य के लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के उद्देश्य के लिए काम कर रहे दोनों प्रमुख सचिवों ने पहली बार यूपी में मृतक दान प्रत्यारोपण कार्यक्रम की आवश्यकता की वकालत की. उन्होंने इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया और उत्तर प्रदेश में इस तरह के कार्यक्रम की शुरुआत के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया.
पीजीआई में जुटे नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन के विशेषज्ञ, मृतदाता प्रत्यारोपण पर हुए चर्चा
पीजीआई में जुटे नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन के विशेषज्ञ, मृतदाता प्रत्यारोपण पर हुए चर्चा

पीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने पीजीआई, चंडीगढ़ के एक सफल लिवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के अपने अनुभव साझा किए और चर्चा की. समझाया कि यह संजय गांधी पीजीआई से कैसे अलग है. राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के निदेशक डॉ. कृष्ण कुमार और चंडीगढ़ के क्षेत्रीय नोडल अधिकारी डॉ. विपिन कौशल ने क्षमता निर्माण और नीतिगत दस्तावेज तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया. संस्थान के नेफ्रोलाजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद ने सदन को मृतक दान प्रत्यारोपण कार्यक्रम के विस्तार के अवसरों के बारे में बताया. जिसमें दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों के अंगों का उपयोग किया गया. अंगों को रीसायकल करने और कम से कम 8 लोगों की जान बचाने के अवसरों के बावजूद अंगों को जला दिया जाता है.

सीएमई का दूसरा दिन अंग दान के विभिन्न घटकों जैसे शोक परामर्श, संभावित दाताओं की पहचान, ब्रेन-डेड घोषणा, संरक्षण, रखरखाव, आवंटन और अंत में अंगों के प्रत्यारोपण पर कार्यशालाओं के लिए समर्पित था मोहन फाउंडेशन के प्रोफेसर सुनील श्रॉफ ने पूरी प्रक्रिया में शामिल घटनाओं और कार्यों के क्रम के बारे में विस्तार से बताया. अंगदान के विषय में सही और गलत दृष्टिकोण विषय पर कई सिमुलेशन फिल्मो का प्रदर्शन पल्लवी कुमार द्वारा किया गया.

अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ टॉम बिलियार्ड (यूनाइटेड किंगडम में प्रत्यारोपण कार्यक्रम के निदेशक) ने आईसीयू में मस्तिष्क-मृत संभावित दाता के रखरखाव में सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार-विमर्श किया. इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों से विभिन्न विशिष्टताओं के डॉक्टरों नेफ्रोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, ट्रांसप्लांट सर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो-सर्जन, लिवर ट्रांसप्लांट-सर्जन, गैस्ट्रो-सर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक-सर्जन, ट्रॉमा-सर्जन, एनेस्थिसियोलॉजिस्ट, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर, सामाजिक कार्यकर्ता और उत्तर भर के अन्य सभी हितधारकों ने भाग लिया था. पैनल चर्चा में एसजीपीजीआई, केजीएमयू, आरएमएल, अपोलो मेडिक्स आदि के विशेषज्ञों ने जानकारी दी. उत्तर प्रदेश के झांसी, इलाहाबाद और आगरा जैसे सरकारी मेडिकल कॉलेजों के नेफ्रोलॉजिस्ट ने बताया कि वे जल्द ही अपना प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने निजी क्षेत्र के अस्पतालों सहित सभी हितधारकों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया.

इसके बाद नेफ्रोलॉजी विभाग के स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया. प्रोफेसर आरके शर्मा ने विभाग के स्थापना दिवस पर व्याख्यान दिया. आयोजन सचिव डॉ. मानस पटेल द्वारा सभी प्रतिनिधियों को धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया. दो दिनों के सीएमई के दौरान ट्रॉमा सर्जरी, आईसीयू, न्यूरोफिज़िशियन और न्यूरोसर्जन विशेषज्ञों के बीच जागरूकता से पूरे प्रदेश में मृतक दाता कार्यक्रम को विकसित करने में मदद मिलेगी. जिसकी वकालत आलोक कुमार, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा और पार्थसारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और पीजीआई के निदेशक आरके धीमान द्वारा भी की गई.

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