यूपी के मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल वरिष्ठ आईएएस की फिर होगी जांच, जानिए क्या है मामला

यूपी के मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल वरिष्ठ आईएएस की फिर होगी जांच, जानिए क्या है मामला
महिला उत्पीड़न के मामले में घिरे यूपी के वरिष्ठ आईएएस डॉ. रजनीश दुबे (Senior IAS Dr. Rajneesh Dubey) की मुसीबत कम होने के नाम नहीं ले रही है. पहली बार जांच में बरी होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फिर से जांच शुरू की गई है. इस बार जांच अल्पसंख्यक विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग को सौंपी गई है.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल डॉ. रजनीश दुबे (Senior IAS Dr. Rajneesh Dubey) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर महिला उत्पीड़न के मामले में जांच शुरू हो चुकी है. डॉ. रजनीश दुबे पशुपालन विभाग में अपर मुख्य सचिव के पद पर तैनात हैं और उन अधिकारियों में शामिल हैं जो मुख्य सचिव बनाए जा सकते हैं. हालांकि उत्पीड़न जैसे गंभीर मामले की जांच उनकी पदोन्नति की राह में रोड़ा बन सकती है.
मामला वर्ष 2021 का है, जब रजनीश दुबे ACS नगर विकास विभाग थे. उसी विभाग की महिला अफसर ने उनके खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यूपी के 1988 बैच के सीनियर IAS अफसर के खिलाफ नियुक्ति विभाग ने जांच कराने का आदेश जारी किया है. इस बाबत अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई है.
वर्ष 2021 में वरिष्ठ आईएएस रजनीश दुबे बतौर अपर मुख्य सचिव नगर विकास विभाग में कार्यरत थे. इसी दौरान एक महिला अधिकारी ने उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. पूर्व में भी इस मामले की जांच हुई थी. जिसमें रजनीश दुबे को बरी किया गया था. महिला अधिकारी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील की. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नियुक्ति विभाग ने जांच के लिए समिति गठित की है. जांच के लिए अल्पसंख्यक विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग को जांच अधिकारी बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मोनिका एस. गर्ग को "कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013" के प्रावधानों के तहत आंतरिक शिकायत समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है.
