ETV Bharat / state

विधान परिषद चुनाव के लिए दावेदारों की फौज ने बढ़ाई सपा की टेंशन

author img

By

Published : Jun 2, 2022, 9:35 PM IST

उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 20 जून को चुनाव होना है. आगामी चुनाव को देखते हुए सपा-भाजपा मंथन कर रहीं हैं. वहीं, विधान परिषद की सीट के लिए अधिक दावेदारों ने समाजवादी पार्टी के नेतृत्व की टेंशन बढ़ा दी है.

यूपी विधान परिषद चुनाव ने बढ़ाई सपा की टेंशन
यूपी विधान परिषद चुनाव ने बढ़ाई सपा की टेंशन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 20 जून को चुनाव होना है. विधान परिषद के चुनाव के लिए सपा-भाजपा का मंथन जारी है. यूपी की सत्ता में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सामने यह चुनाव कई मुश्किलें खड़ी कर रहा है. विधानसभा में विधायकों की संख्या कम होने के कारण उसके हिस्से में महज 4 सीटें ही आ रही हैं, जबकि भाजपा 9 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकेगी. सपा के सामने दो तरह की चुनौतियां हैं. पहली यह कि पार्टी नेतृत्व कई दावेदारों में किसका चयन करे और किसे छोड़े. दूसरी चुनौती गठबंधन के दलों की है.

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को सपा पहले ही राज्यसभा भेजने की घोषणा कर चुकी है. ऐसे में माना जा रहा है कि रालोद विधान परिषद के लिए अपना दावा नहीं ठोकेगा. लेकिन सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर सपा पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं. इस चुनावी माहौल ने समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है.
गौरतलब है कि 6 जुलाई को विधान परिषद की तेरह सीटें रिक्त हो रही हैं. इसके लिए नामांकन की आखिरी तारीख 9 जून है, जबकि 20 जून को चुनाव होना है. विधान परिषद की एक सीट जीतने के लिए विधानसभा के 31 सदस्यों की जरूरत होती है. भाजपा गठबंधन के पास 273 और सपा गठबंधन के पास 125 विधानसभा सदस्य हैं. ऐसे में साफ है कि सपा गठबंधन के साथ मिलकर 4 सीटें ही जीत सकती है. चूंकि एक गठबंधन के नेता जयंत चौधरी को सपा पहले ही राज्यसभा भेजने का ऐलान कर चुकी है, इसलिए रालोद से विधान परिषद के लिए कोई दावेदारी होने की उम्मीद कम है.

हालांकि गठबंधन के दूसरे नेता और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पहले से ही अखिलेश पर दबाव बनाने में जुटे हुए हैं. राजभर किसी भी हालत में अपने बेटे अरुण राजभर के लिए विधान परिषद सीट चाहते हैं. विधानसभा सत्र के पहले ही दिन राजभर ने अखिलेश को अपनी तरह एसी से निकल कर सक्रिय रहने की सलाह दी थी. यही नहीं उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण के विरोध को भी गलत बताया था. ऐसे में यदि सपा ने एक सीट राजभर की पार्टी की सुभासपा को दे दी, तो सपा नेताओं के लिए महज 3 सीटें ही रह जाएंगी.

सपा में विधान परिषद में उम्मीदवारी को लेकर लगातार कयासों का दौर जारी है. तमाम नेता अपनी दावेदारी के लिए पेशबंदी में जुटे हुए हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के सामने गठबंधन और सामाजिक समीकरणों का संतुलन बना पाना भी एक बड़ी चुनौती होगी. सपा के सामने अपने बड़े नेताओं को समायोजित करने के अलावा फ्रंटल संगठनों और महिला विंग से भी किसी न किसी को विधान परिषद भेजने का दबाव है. सपा मुखिया अखिलेश के निकट कुछ युवा नेता भी विधान परिषद में जाना चाहते हैं.

ऐसे में पार्टी के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. फिर भी जिन नेताओं के नाम चर्चा में सबसे आगे हैं, उनमें पिछली सरकार में नेता प्रतिपक्ष रहे राम गोविंद चौधरी और भाजपा छोड़ सपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है. दोनों ही नेताओं को हालिया विधानसभा चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ा था. अखिलेश परिवार की करीबी जुही सिंह भी महिला कोटे से टिकट चाहती हैं. वहीं कांग्रेस छोड़कर सपा में आए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नेता इमरान मसूद भी विधान परिषद के लिए प्रबल दावेदार हैं.

वरिष्ठ सपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद सिंह गोप भी दावेदारों की लिस्ट में शामिल हैं. उन्होंने हर दौर में पार्टी का साथ दिया है, इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद सिंह गोप को वफादारी का इनाम मिल सकता है. इस वक्त विधान परिषद में सपा के महज 11 सदस्य हैं. जुलाई में यह संख्या घटकर 9 रह जाएगी. मई माह में राजपाल कश्यप, अरविंद कुमार और डॉ. संजय लाठर की विधान परिषद की सदस्यता समाप्त हो गई थी. जबकि 6 जुलाई को अतर सिंह, सुरेश कुमार कश्यप, जगजीवन प्रसाद, दिनेश चंद्रा, डॉ. कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, शतरुद्र प्रकाश, बलराम यादव, राम सुन्दर दास निषाद, भूपेंद्र सिंह, दीपक सिंह और केशव प्रसाद मौर्य की सदस्यता समाप्त होने वाली है.

इसे पढ़ें- UPSC ने जारी किए सिविल सेवा परीक्षा के मार्क्स, टॉपर श्रुति शर्मा को मिले 54.56% अंक

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.