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कहां हुआ था महाकवि तुलसीदास का जन्म, जानिए शोधकर्ता की जुबानी

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Published : Aug 29, 2022, 5:13 PM IST

Updated : Aug 29, 2022, 5:31 PM IST

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गोस्वामी तुलसीदास की सांकेतिक फोटो

कुछ दिन पहले सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से एक ट्वीट (CM Yogi Office Tweet) हुआ था, जिसमें राजापुर (चित्रकूट) को गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली (goswami tulsidas birthplace) बताया गया. इस लेकर फिर बहस छिड़ गई है. एक शोधकर्ता ने तुलसीदास की जन्मस्थली को लेकर क्या दावा किया है चलिए जानते हैं?

लखनऊ: महाकवि तुलसीदास का जन्म कहां हुआ था (Where was Tulsidas born), इसे लेकर आज भी विवाद गहराया हुआ है. कुछ लोग एटा के सोरो को गोस्वामी तुलसीदास को जन्मस्थली (goswami tulsidas birthplace) मानते है तो कुछ बांदा के राजापुर को. हालांकि एक धड़ा ऐसा भी है जो तुलसी की चौपाइयों को आधार बनाकर अयोध्या के करीबी जिला गोंडा को उनका जन्मस्थान मानता है. साथ ही ये मांग करता है कि दस्तावेजों में भी गोंडा के सूकरखेत को ही जन्मस्थली लिखा जाए.

बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से एक ट्वीट (CM Yogi Office Tweet) हुआ और उसमें कहा गया कि संत तुलसीदास जी की जन्मस्थली राजापुर के पर्यटन विकास की कार्ययोजना को समयबद्ध ढंग से पूर्ण कराएं. राजापुर में रामलीला मंचन के लिए व्यवस्थित मंच तैयार कराया जाए. यहां पुस्तकालय की स्थापना भी कराई जाए. इस ट्वीट के बाद एक बार फिर यह विवाद उभर कर आ गया कि जब तुलसी का जन्मस्थान गोंडा है, तो आखिरकार इसे राजापुर (चित्रकूट) क्यों बताया गया जबकि सपा शासनकाल में अखिलेश सरकार ने गोंडा को तुलसी दास का जन्मस्थान मान लिया था.

तुलसीदास की जन्मस्थली के बारे में जानकारी देते शोधकर्ता डॉ. स्वामी भगवदाचार्य

पिछले कई सालों से महाकवि तुलसीदास की जन्मस्थली पर शोध कर रहे डॉ. स्वामी भगवदाचार्य कहते हैं कि गजेटियर में विवादास्पद बातें हैं. जन्मस्थान पर विवाद के बाद जब उपलब्ध सामग्रियों की चर्चा करने के लिए साल 1959 में दिल्ली में गोष्ठी हुई थी तो सोरो (एटा) का दावा उसी समय सर्वसम्मति से ख़ारिज कर दिया गया था, क्योंकि कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं था. साल 1999 में लखनऊ में एक गोष्ठी हुई. उसमें हाईकोर्ट के कई जज भी थे, तब भी तीनों स्थानों के पक्ष में किसी के पास कोई साक्ष्य नहीं थे.

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डॉ. भगवदाचार्य ने कहा कि तुलसीदास का जन्म 1554 संवत में हुआ था जबकि उस वक्त राजापुर न होकर विक्रमपुर हुआ करता था. 1913 में विक्रमपुर का नाम राजापुर किया गया था. यही नहीं राजापुर के बारे में बुंदेलखंड गजेटियर और इम्पिरियल गजेटियर दोनों में कहा गया है कि तुलसीदास ने राजापुर का निर्माण कराया यानि जिसको उन्होंने खुद बसाया वहां उनका जन्म कैसे हो सकता है वो उनकी कर्मभूमि हो सकती है. यही नहीं, वहां पाई गई पांडुलिपि को सागर विश्विद्यालय का कुलपति द्वारा जांचा गया, तो वह 200 साल कम की निकली थी. यहीं नहीं बांदा राजापुर की भाषा बुंदेली है जबकि तुलसीदास अवधि भाषा बोलते थे.

चौपाइयों में मिलते है गोंडा के साक्ष्य
भगवदाचार्य कहते हैं कि गोंडा सूकरखेत को क्यों तुलसीदास का जन्मस्थान कहते है, इसके पीछे भी एक तथ्य है. गोंडा में अवधी भाषा बोली जाती है और तुलसीदास ने रामचरित मानस अवधी भाषा में लिखी है. राजापुर गोंडा में तुलसीदास के पिता के नाम 45 बीघा जमीन है, जो राजस्व अभिलेखों में अंकित है. यही पर पास में तुलसीदास के गुरु नरहरिदास जी का आश्रम है और तुलसी ने बालकांड की चौथी चौपाई में संकेत दिया है कि 'मैं पनि निज गुरुसन सुनी, कथा सौ सूकर खेत. समुझो नहि तसि बालपन, तब अति रहे उठाअचेत.' तुलसीदास ने कवितावली में यह कहा है कि ‘तुलसी तिहारो घर जायो है...(आपने किष्किंधा में सुग्रीव और लंका में विभीषण का उद्धार किया. मेरा तो आपके घर जन्म हुआ मेरा उद्धार कब करेंगे).

इस बारे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जगदीश गुप्ता कहते हैं कि अब तक जो भी तथ्य सामने आए हैं, उससे शूकर क्षेत्र की प्रणामिकता सरयू और घाघरा संगम पर पसरा गांव के निकट ही सिद्ध होता है. गीता प्रेस गोरखपुर के द्वारा प्रकाशित सटीक रामायण में सुकर क्षेत्र के रूप में राजापुर गोंडा का ही उल्लेख है, न कि एटा के शूकर क्षेत्र और बांदा के राजापुर क्षेत्र का. इन स्थानों पर भी तुलसीदास जी का आना जाना मान्य हो सकता है. लेकिन नरहरी के गुरुत्व रूप में जिस स्थान का संबंध है, वह गोंडा जनपद के पास सूकरखेत है. 'कहत कथा इतिहास बहु आए सूकरखेत, संगम सरयू-घाघरा संत जनम सुख देत' का उल्लेख उन्हीं की जीवनी में हुआ है. यानि कि सरयू घाघरा का जहां संगम होता है वहां मौजूद सूकरखेत में उनका जन्म हुआ था.

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भगवदाचार्य कहते है कि तमाम तथ्यों के बावजूद आज भी युवा पीढ़ी को तुलसीदास की जन्मस्थली सोरों (एटा) और राजापुर (बांदा) ही पढ़ाया जा रहा है. यहां तक सरकारी अभिलेखों में भी इन्हीं स्थानों को जगह दी है जबकि यह प्रमाणिक हो चुका है कि तुलसीदास का जन्म राजापुर, गोंडा सूकरखेत ही है. वो कहते है कि अब असल जन्मस्थली लोगों को पढ़ाया जाए और पाठ्यक्रम में इसी को जगह दी जाए.

Last Updated :Aug 29, 2022, 5:31 PM IST
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