ETV Bharat / state

नियामक आयोग दे सकता है उपभोक्ताओं को बड़ी राहत? जानें क्या है पूरा मामला

author img

By

Published : Apr 16, 2022, 5:20 PM IST

लखनऊ में बिजली कंपनियां नियामक आयोग से बिजली दर बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रही हैं. कह रहीं हैं कि पिछले दो सालों से बिजली दर में एक पैसे का भी इजाफा नहीं हुआ है जबकि उन्हें महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है.

etv bharat
नियामक आयोग

लखनऊ: बिजली विभाग के पास 97 हजार करोड़ के घाटे की भरपाई के लिए बिजली दर बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं है. यही वजह है कि बिजली कंपनियां नियामक आयोग से बिजली दर बढ़ाने की मांग कर रही हैं. इसे लेकर इन कंपनियों ने प्रस्ताव भी तैयार किया है. बिजली वितरण कंपनियों का कहना है कि पिछले दो सालों से बिजली दर में एक भी पैसे का इजाफा नहीं हुआ है जबकि वितरण के लिए महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है. हालांकि बिजली कंपनियों के इस प्रस्ताव को नियामक आयोग शायद ही स्वीकार करे. यदि ऐसा हुआ तो इन कंपनियों को झटका देते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग प्रदेश के तीन करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देता दिखाई देगा.

नियामक आयोग

दरअसल, विद्युत अधिनियम में प्रावधान है कि जब तक उपभोक्ताओं का विभाग पर एक भी पैसा कर्ज है, तब तक किसी भी कीमत पर बिजली कंपनियां बिजली की दर नहीं बढ़ा सकतीं हैं. उत्तर प्रदेश की बात करें तो बिजली विभाग उपभोक्ताओं के हजारों करोड़ रुपये का कर्जदार है. ऐसे में नियमत: बिजली विभाग बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं कर सकता. उपभोक्ताओं के लिए रेगुलेटरी कमीशन की तरफ से राहत की बात सामने आ सकती है. इसके तहत उन्हें और भी कई साल तक महंगी बिजली का बिल नहीं चुकाना पड़ेगा.

यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि जब-जब बिजली कंपनियों का प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर कोई भी सरप्लस पैसा निकला है, तब तब 3.7 प्रतिशत और 4.28 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज की वसूली की गई है. वहीं अब जबकि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर अब सरप्लस रुपया 20,596 करोड़ निकल रहा है तो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी कर पाना बिजली विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.

यह भी पढ़ें- गर्मी में फूलने लगी बिजली विभाग की सांसें, कटौती से उपभोक्ताओं को आ रहा पसीना

नियामक आयोग ने जताई नाराजगी : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की इस बात को लेकर नाराजगी भी जताई है कि वार्षिक राजस्व आवश्यकता प्रस्ताव दाखिल करने के बाद आखिर टैरिफ प्रस्ताव क्यों नहीं दाखिल किया गया. नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से कहा कि वह जल्द टैरिफ प्रस्ताव दाखिल करें ताकि बाद में बिजली दरों के बारे में चर्चा की जा सके. बिजली कंपनियां इसीलिए बिजली दर का प्रस्ताव दाखिल नहीं कर पा रही हैं क्योंकि उनपर उपभोक्ताओं का 20,596 करोड़ पहले से ही बकाया है. ऐसे में प्रस्ताव दाखिल नहीं हो सकता.

इस संबंध में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले ही घोषित कर दिया था कि अगले तीन साल तक और बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली दर का भार नहीं डाल पाएंगी. कानूनन वह ऐसा नहीं कर सकतीं हैं. उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर साढ़े 20 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज है. जब तक उपभोक्ताओं का बिजली विभाग पर कर्ज है, तब तक दरों में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती. दरों को बढ़ाने के बजाय उल्टा बिजली कंपनियों को बिजली दरों में कमी करनी चाहिए. अगर फिर भी बिजली की दरों में बढ़ोतरी होती है तो उपभोक्ताओं के साथ धोखा होगा. अब देखना है कि प्रदेश सरकार तीन करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं का साथ देती है या फिर बिजली कंपनियों का.

विद्युत नियामक आयोग में बिजली कंपनियों ने जो वार्षिक राजस्व आवश्यकता प्रस्ताव दाखिल किया, उसमें 67 सौ करोड़ का घाटा दिखाया गया है. इस पर भी उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उपभोक्ता परिषद का कहना है कि कंपनियों ने 20% वितरण लाइन हानियों के आधार पर वार्षिक राजस्व आवश्यकता प्रस्ताव दाखिल किया है जबकि नियामक आयोग ने 11.8 प्रतिशत मानक तय किया है. अगर नियामक आयोग के तय किए गए मानक पर वार्षिक राजस्व आवश्यकता प्रस्ताव बिजली कंपनियां दाखिल करें तो यह 67 सौ करोड़ का घाटा अपने आप ही शून्य हो जाएगा. बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं पर बोझ डालने के लिए ज्यादा लाइन हानियों पर एआरआर दाखिल किया है जो बिल्कुल भी सही नहीं है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.