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लखनऊ: राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, भाजपा में होंगे शामिल

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Published : Jul 30, 2019, 7:06 PM IST

डॉ. संजय सिंह (फाइल फोटो)

कांग्रेस पार्टी से उनके वरिष्ठ नेताओं का पार्टी छोड़कर जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. अपना राजनीति सफर कांग्रेस पार्टी से शुरू करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. संजय सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. अब वह भाजपा में शामिल होंगे. इससे पहले वह जनमोर्चा, समाजवादी जनता दल जैसी पार्टियों में भी रह चुके हैं.

लखनऊ: कांग्रेस पार्टी को जिस समय मरहम की जरूरत है, उस समय पार्टी को जख्म ही जख्म मिल रहे हैं. पहले इस्तीफों की झड़ी और अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी छोड़कर जाने का भी सिलसिला शुरू हो गया है. 20 साल बाद एक बार फिर कांग्रेस के सीनियर लीडर डॉ. संजय सिंह भाजपा में शामिल होंगे. 1996 में वे पहली बार कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए थे, लेकिन 1999 में वापस कांग्रेस में आ गए थे.

राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा.

जानें डॉ. संजय सिंह का राजनीति सफर-

  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. संजय सिंह ने अपनी राजनीति कांग्रेस पार्टी से ही शुरू की थी, लेकिन वह लगातार कांग्रेस में टिके नहीं रह सके.
  • उन्होंने कई पार्टियों में अपनी जगह तलाशी और जगह हासिल भी की.
  • इन पार्टियों में जनमोर्चा, समाजवादी जनता दल और भारतीय जनता पार्टी शामिल हैं.
  • हालांकि कांग्रेस पार्टी ने ही उन्हें सबसे ज्यादा तवज्जो दी और मंत्री से लेकर राज्यसभा सांसद तक बनाया.
  • वर्ष 1977 से 1980 तक वह यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे.
  • 1977 में उन्होंने संजय गांधी के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन किया और 1980 में कांग्रेस पार्टी की सरकार की वापसी में उनकी अहम भूमिका रही.
  • 1980 में वे पहली बार विधायक बने और श्रीपद मिश्रा के मुख्यमंत्री बनने पर 1982 में संजय सिंह राज्य सरकार में मंत्री बने और1989 तक पर मंत्री रहे.
  • इसके बाद वीपी सिंह के साथ उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ी और जनमोर्चा के साथ हो लिए.
  • इसके बाद 1990 में चंद्र शेखर की पार्टी समाजवादी जनता दल में शामिल हो गए.
  • 1990 में वे समाजवादी जनता दल से राज्यसभा सांसद बने और केंद्र सरकार में केंद्रीय संचार राज्यमंत्री बने.
  • 1989 में समाजवादी जनता दल की लहर के आगे वह कांग्रेस से चुनाव हार गए थे.
  • 1996 में भाजपा में शामिल हुए और अमेठी से चुनाव लड़े. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हरा दिया.

इसके बाद 1999 में यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के खिलाफ भी चुनावी मैदान में उतर पड़े, लेकिन यहां पर उनकी एक भी न चली. सोनिया गांधी ने उन्हें बुरी तरह हराया. इसके बाद फिर से डॉ. संजय सिंह 1999 में ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. डॉ. संजय सिंह सलमान खुर्शीद के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रहते दूसरे कार्यकाल के दौरान पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे थे. वर्ष 2009 में कांग्रेस से सुलतानपुर से वे सांसद भी चुने गए. वर्ष 2014 में कांग्रेस ने उन्हें असम से राज्यसभा सांसद बनाया. कांग्रेस से अगले साल अप्रैल माह तक राज्यसभा सांसद का उनका कार्यकाल बाकी था, लेकिन अब वह कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने जा रहे हैं. ऐसे में अब असम से ही बीजेपी उन्हें फिर से राजसभा सांसद बना सकती है. इसके बाद छह साल तक फिर से वे राजसभा सांसद हो सकते हैं.

कांग्रेस ने डॉ. संजय सिंह को बहुत सम्मान दिया. उन्हें लोकसभा का टिकट दिया. जब यूपी में कांग्रेस की सरकार थी तो उसमें मंत्री बने. 2014 में उन्हें असम से राज्यसभा सांसद बनाया. 2019 में उन्हें फिर से कांग्रेस ने लोकसभा का चुनाव लड़ाया. जब ऐसे समय कांग्रेस की जरूरत थी तब उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्हें कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहिए था.
-बृजेंद्र सिंह, प्रवक्ता कांग्रेस, यूपी

Intro:20 साल बाद फिर भाजपा में गए कांग्रेसी नेता डॉ संजय सिंह, अप्रैल 2020 तक है कांग्रेस से राज्यसभा का कार्यकाल

लखनऊ। कांग्रेस पार्टी को जिस समय मरहम की जरूरत है उस समय पार्टी को हर जख्म ही जख्म मिल रहे हैं। पहले इस्तीफों की झड़ी और अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी छोड़कर जाने का भी सिलसिला शुरू हो गया है। 20 साल बाद एक बार फिर कांग्रेस के सीनियर लीडर डॉ संजय सिंह भारतीय जनता पार्टी में वापस हो गए। 1996 में वे पहली बार कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए थे, लेकिन 1999 में वापस कांग्रेस में आ गए। 20 बरस बाद आज फिर उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया।


Body:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ संजय सिंह ने अपनी राजनीति कांग्रेस पार्टी से ही शुरू की थी, लेकिन वह लगातार कांग्रेस में टिके नहीं। उन्होंने कई पार्टियों में अपनी जगह तलाशी और जगह हासिल भी की। इन पार्टियों में जनमोर्चा, समाजवादी जनता दल और भारतीय जनता पार्टी शामिल हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने ही उन्हें सबसे ज्यादा तवज्जो दी और मंत्री से लेकर राज्यसभा सांसद तक बनाया। वर्ष 1977 से 1980 तक वे यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 1977 में उन्होंने संजय गांधी के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन किया और 1980 में कांग्रेस पार्टी की सरकार की वापसी में उनकी अहम भूमिका रही। 1980 में वे पहली बार विधायक बने। श्रीपद मिश्रा के मुख्यमंत्री बनने पर 1982 में संजय सिंह राज्य सरकार में मंत्री बने। 1989 तक पर मंत्री रहे। इसके बाद वीपी सिंह के साथ उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ी और जनमोर्चा के साथ हो लिए। इसके बाद 1990 में चंद शेखर की पार्टी समाजवादी जनता दल में शामिल हो गए। 1990 में वे समाजवादी जनता दल से राज सभा सांसद बने। केंद्र सरकार में केंद्रीय संचार राज्य मंत्री बने। 1989 में समाजवादी जनता दल की लहर के आगे वह कांग्रेस से चुनाव हार गए थे। 1996 में भाजपा में शामिल हुए और अमेठी से चुनाव लड़े। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हरा दिया। इसके बाद 1999 में यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के खिलाफ भी चुनावी मैदान में उतर पड़े, लेकिन यहां पर उनकी एक भी न चली। सोनिया गांधी ने उन्हें बुरी तरह हराया। इसके बाद फिर से डॉक्टर संजय सिंह 1999 में ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। डॉक्टर संजय सिंह सलमान खुर्शीद के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रहते दूसरे कार्यकाल के दौरान पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे थे। वर्ष 2009 में कांग्रेस से सुल्तानपुर से वे सांसद भी चुने गए। वर्ष 2014 में कांग्रेस ने उन्हें असम से राज्यसभा सांसद बनाया। कांग्रेस से अगले साल अप्रैल माह तक राज्यसभा सांसद का उनका कार्यकाल बाकी था, लेकिन अब उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया, ऐसे में अब असम से ही बीजेपी उन्हें फिर से राजसभा सांसद बना सकती है। इसके बाद 6 साल तक फिर से वे राजसभा सांसद हो सकते हैं।


Conclusion:बाइट: बृजेंद्र सिंह, प्रवक्ता कांग्रेस

कांग्रेस ने डॉक्टर संजय सिंह को बहुत सम्मान दिया। उन्हें लोकसभा का टिकट दिया। वे जब यूपी में कांग्रेस की सरकार थी उसमें मंत्री बने। 2014 में उन्हें असम से राज्यसभा सांसद बनाया। 2019 में उन्हें फिर से कांग्रेस ने लोकसभा का चुनाव लड़ाया। जब ऐसे समय कांग्रेस की जरूरत थी तब उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है उन्हें कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहिए था।
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