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पूरा सरकारी अमला होने के बावजूद मंत्रियों के व्यक्तिगत पीआरओ पर साल भर में करोड़ों के खर्च पर सवाल

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Published : Mar 15, 2023, 4:18 PM IST

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यूपी के मंत्रियों के व्यक्तिगत पीआरओ पर साल भर में खर्च होने वाले करोड़ों रुपयों पर सवाल उठने लगा है. जारी आदेश के अनुसार, डिप्टी सीएम के पास एक समीक्षा अधिकारी और एक सहायक समीक्षा अधिकारी के अलावा 11 कर्मचारी होंगे.

जानकारी देते संवाददाता ऋषि मिश्रा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्रियों के पास एक से दो व्यक्तिगत पीआरओ हैं, जिनमें प्रत्येक का वेतन 50-50 हजार रुपये है. साल भर में करोड़ों रुपए का खर्च सरकारी खजाने से इन व्यक्तिगत पीआरओ के लिए किया जाता है. मगर इनकी जरूरत की सार्थकता का जवाब किसी के पास नहीं है. अनेक स्तर पर समय-समय पर इस पर सवाल भी उठाए गए हैं. कई पीआरओ के मामले में कार्रवाई भी हुई है. इसके बावजूद यह व्यवस्था खत्म नहीं की जा रही है.

उप मुख्यमंत्रियों, कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों के पास बड़ा अमला होता है, जिनमें निजी कर्मचारी भी हैं. जिनमें एक निजी सचिव, दो अतिरिक्त निजी सचिव, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, तीन वर्ग चार कर्मचारी और एक पीआरओ शामिल हैं, हालांकि पीआरओ को केवल डिप्टी सीएम, कैबिनेट मंत्रियों और राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) के लिए अनुमति दी जाती है, जबकि अन्य राज्य मंत्रियों को सरकारी खर्च पर पीआरओ प्रदान नहीं किया जाता है. फिर भी किसी न किसी मद में राज्य मंत्री भी अपने पीआरओ की तनख्वाह का जुगाड़ कर ही लेते हैं.


गोपनीय विभाग द्वारा जारी ताजा आदेश के अनुसार, डिप्टी सीएम के पास एक समीक्षा अधिकारी और एक सहायक समीक्षा अधिकारी के अलावा 11 कर्मचारी होंगे. कैबिनेट मंत्रियों और राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) में नौ कर्मचारी होंगे (पहले की तरह), लेकिन राज्य मंत्रियों के पास केवल सात कर्मचारी होंगे. उनके साथ कोई पीआरओ नहीं होगा.

यदि कोई अतिरिक्त स्टाफ की मांग की जाती है तो मुख्यमंत्री के अनुमोदन से अस्थायी पद सृजित किया जाएगा, लेकिन अपनी पसंद की नई नियुक्ति को समायोजित करने के लिए, डिप्टी सीएम और मंत्रियों को अपने मौजूदा कर्मचारियों में से एक को सरेंडर करना होगा. आदेश में कहा गया है कि ओएसडी को उतना ही वेतन दिया जाएगा जितना कि मंत्री द्वारा सरेंडर किए जाने वाले कर्मचारियों को दिया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि 'राज्य मंत्रियों को भी एक से अधिक ओएसडी रखने की अनुमति होगी, लेकिन निजी कर्मचारियों की अधिकतम संख्या की सीमा को बनाए रखना होगा. पीआरओ के स्थान पर ओएसडी की नियुक्ति की जाएगी.'

आए थे भाजपा नेता बनने, बन गए पीआरओ : भारतीय जनता पार्टी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता बनने आए अनेक युवा नेता पीआरओ बन चुके हैं. हाल ही में एक मंत्री के पीआरओ पर अनेक गंभीर आरोप लगे थे, उनको निलंबित कर दिया गया है. भारतीय जनता पार्टी के अनेक युवा नेता पीआरओ बनकर कद्दावर स्थिति में आ चुके हैं. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे ने बताया कि 'निश्चित तौर पर निजी पीआरओ की व्यवस्था बिल्कुल खराब है और उसको समाप्त होना चाहिए, जब इतना बड़ा सरकारी अमला मंत्री के साथ होता है. इसके बावजूद मोटी तनख्वाह पर पीआरओ रखने की कोई आवश्यकता नहीं है.'

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