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छात्रवृत्ति को लेकर समाज कल्याण विभाग के अफसरों में खींचतान

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Published : Mar 3, 2021, 9:32 AM IST

लखनऊ समाज कल्याण विभाग में 2 प्रमुख अफसरों के बीच खींचतान जारी होने की वजह से छात्रवृत्ति बांटने में समस्या पैदा हो रही है. वहीं अधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. पिछले महीने शुरू हुए समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा और निदेशक समाज कल्याण बालकृष्ण त्रिपाठी के बीच विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है.

प्रमुख सचिव ने निदेशक पर लगाए आरोप
प्रमुख सचिव ने निदेशक पर लगाए आरोप

लखनऊ : समाज कल्याण विभाग में 2 प्रमुख अफसरों के बीच खींचतान जारी होने की वजह से छात्रवृत्ति बांटने में समस्या पैदा हो रही है. वहीं अधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. पिछले महीने शुरू हुए समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा और निदेशक समाज कल्याण बालकृष्ण त्रिपाठी के बीच विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं ये मामला मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी के संज्ञान में आने के बाद भी शांत नहीं हो सका. अब विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने एक बार फिर से निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी पर छात्रवृत्ति वितरण को लेकर नया आरोप लगाया है.

प्रमुख सचिव ने निदेशक पर लगाए आरोप

विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने एक पत्रावली पर निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने फाइल की नोट सीट पर लिखा है कि निदेशक शासन से छात्रों की छात्रवृत्ति बांटने को लेकर, लूट करने की खुली छूट दिए जाते हैं. दरअसल छात्रवृत्ति बांटने को लेकर इस प्रकार की नोटिंग फाइल में की है. इसके साथ ही प्रमुख सचिव ने ये भी लिखा है कि अगर छात्रवृत्ति न बंटने से निदेशक और संयुक्त निदेशक के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के अंतर्गत एफआईआर दर्ज हुई तो वे स्वयं जिम्मेदार होंगे. प्रमुख सचिव ने विभाग के निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई के लिए नियुक्ति विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय को भी पत्रावली भेजी है.

नियमों के अनुसार भेजी जानी है छात्रवृत्ति

विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने कहा है कि समाज कल्याण विभाग के तहत बांटी जाने वाली छात्रवृत्ति को लेकर अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए 60% केन्द्रांश बच्चों के खातों में दिल्ली से राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से ही सक्षम पोर्टल पर दिया जाना है. नियमावली 2017 की शर्तें वित्त मंत्री के निर्देशों में बनी समितियों से भी ज्यादा कठोर हैं. क्या इनका पालन हुआ है. इस बार भी पालन करना है. सत्यापन और जांच सतत प्रक्रिया है. इसका वितरण से संबंध है कि गलत और अपात्र को छात्रवृत्ति न दी जाए.

नियुक्ति विभाग को भी कार्रवाई के लिए लिखा जाए पत्र

प्रमुख सचिव ने विभागीय पत्रावली में ये भी लिखा है कि निदेशक समाज कल्याण शासन से चाहते हैं कि उन्हें लूटने की खुली छूट दी जाये, और अपात्र को छात्रवृत्ति देने के लिए आदेश दिए जाएं. इनके विरुद्ध नियुक्त विभाग को भी कार्रवाई करनी चाहिए. इसके साथ ही जनजाति निदेशालय ने नियमों के अनुसार सभी बिल ट्रेजरी में लगा दिए थे, पर पीएफएमएस के तकनीकी कारण से भुगतान नहीं हो रहा है. शेष बिल भेज दिए गए हैं. वहीं निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण ने भी 80 फीसद छात्रवृत्ति वितरित कर दी है. निदेशक समाज कल्याण तत्काल भारत सरकार को सूचना भेजें, इस प्रकार की बात उन्होंने अपने पत्र में निदेशक के लिए लिखी है.

जांच समिति की रिपोर्ट न मिलने से नहीं भेजी गई धनराशि

विभागीय सूत्र बताते हैं कि शासन ने आदेश दिया था कि 3 अलग-अलग समितियों से जांच कराने के बाद ही निजी संस्थानों के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाए. जबकि अभी तक इन समितियों की रिपोर्ट नहीं मिलने की वजह से छात्रवृत्ति नहीं दी जा रही है. इसलिए समाज कल्याण विभाग ने निजी संस्थानों के छात्रों के खातों में राशि ट्रांसफर नहीं की है. इसी को लेकर प्रमुख सचिव मुद्दा बना रहे हैं. अभी तक सरकारी और सहायता प्राप्त सरकारी शिक्षण संस्थानों के करीब 1 लाख छात्रों को ही छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ मिल पाया है.

मैखिक आदेश पर धनराशि भेजने पर फंसने का है डर

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि धनराशि ट्रांसफर करने के मौखिक आदेश दिए जा रहे हैं, लेकिन पहले जारी शासनादेश के विपरीत जाकर धनराशि का भुगतान नहीं किया जा सकता. भविष्य में कोई वित्तीय अनियमितता या गड़बड़ी होने पर उन्हें ही फंसने का डर बना रहेगा. इसी लिए शासन द्वारा अलग-अलग समितियों की जांच रिपोर्ट का इंतजार है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही धनराशि भेजी जाएगी.

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