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Breathing problem है तो सर्दियों में अलर्ट हो जाएं, यूपी के हॉस्पिटलों में बढ़े मरीज

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Published : Jan 16, 2023, 8:47 PM IST

अगर आपको सांसों की प्रॉब्लम है तो सर्दी में सचेत रहें. यूपी के सभी अस्पतालों की इमरजेंसी में मरीज की तादाद बढ़ रही है. ओपीडी में भी सांसों से संबंधित समस्या लेकर लोग पहुंच रहे हैं. जानिए क्या है हालत और बचाव के उपाय...

problem of breathing then stay alert
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लखनऊ : सर्दी में सांस के गंभीर मरीजों की बीमारी उभर आई है. बड़ी संख्या में सांस के मरीजों को गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है. हालात यह हैं कि अस्पतालों में बेड फुल हो रहे हैं. डॉक्टरों ने सांस के मरीजों को सेहत का खास ख्याल रखने की सलाह दी है. डॉक्टरों ने ऐसे लोगों को सर्दी में बाहर न निकलने और ठंडे पानी से न नहाने की सलाह दी है.

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लखनऊ के अस्पतालों में इन दिनों सांस के मरीजों की लाइन लगी है
किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू), बलरामपुर, सिविल समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों में सांस के भर्ती मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है. 90 फीसदी बेड फुल हो गए हैं. इन अस्पतालों में आईसीयू के लगभग सभी बेड भरे हुए हैं. सबसे ज्यादा अस्थमा अटैक के मरीज आ रहे हैं. सांस लेने में तकलीफ और खांसी की परेशानी लेकर मरीज अस्पताल आ रहे हैं. काफी मरीजों को बेहोशी की हालत में भी भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है. केजीएमयू रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. अजय वर्मा के मुताबिक अस्थमा अटैक के मरीज बढ़े हैं. ओपीडी में मरीजों की संख्या घटी है. जबकि भर्ती मरीजों की संख्या में करीब 30 फीसदी का इजाफा हुआ है.
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ध्यान से पढ़ें यह सलाह, मगर अमल में लाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
बलरामपुर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट रोग विभाग के डॉ. एके गुप्ता बताते हैं कि सांस के मरीज सेहत का ख्याल रखें. डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का सेवन करें. गर्म पानी से भांप लें. ठंडी वस्तुओं के सेवन से बचें. अगर डॉक्टर ने इनहेलर लेने की सलाह दी है तो उसे नियमित लें. सूप, चाय, काफी ले सकते हैं. सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर एनबी सिंह ने कहा कि हर साल इस मौसम में अस्थमा और सीओपीडी के मरीज अस्पताल की ओपीडी में बढ़ जाते हैं. मौजूदा समय में सांस से संबंधित मरीजों को खास दिक्कत हो रही है. इसके पीछे वायु प्रदूषण और एनवायरमेंट में होने वाला धुंध मुख्य कारक है. अस्थमा और सीओपीडी में कोई खास अंतर नहीं होता है. उन्होंने बताया कि अस्थमा कम उम्र के लोगों में होती है और जब अस्थमा लंबे समय तक बना रहता है तब वह सीओपीडी का रूप ले लेती है. ज्यादातर 45 साल से अधिक उम्र के लोग सीओपीडी से ग्रसित होते हैं और 45 साल से कम उम्र के लोग अस्थमा के शिकार होते हैं.पढ़ें : Brain Fog : यदि किसी भी काम में आपका मन नहीं लग रहा है, तो हो सकता है आप ब्रेन फॉगिंग से जूझ रहे हों
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