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हिंदी दिवस: यहां हर बच्चों के मन में बसते हैं दिनकर, कंठस्थ हैं उनकी रचनाएं

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Published : Sep 14, 2019, 8:57 AM IST

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं में जीवन के कई रहस्य और प्रेरणा छुपी होती है. यही कारण है कि बेगूसराय के कण-कण में रामधारी सिंह दिनकर आज भी विद्यमान हैं.

हिन्दी दिवस पर याद किए गए दिनकर

बेगूसराय: राष्ट्रकवि की उपाधि अर्जित करने वाले हिंदी साहित्य के महानायक रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं आज भी प्रासंगिक हैं. उनकी कविताएं आजादी के पूर्व अंग्रेजों से लोहा लेने के दौरान क्रांतिकारियों में जोश भर देती थी. दिनकर की कविताएं जिले के राजकीयकृत मध्य विद्यालय बीहट के बच्चों की जुबां पर है.

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राजकीयकृत मध्य विद्यालय बीहट

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं में जीवन के कई रहस्य और प्रेरणा छुपी होती हैं. यही कारण है कि बेगूसराय के कन-कन में रामधारी सिंह दिनकर आज भी विद्यमान हैं.

इस विद्यालय में हैं 'छोटे दिनकर'
दिनकर आज भी लोगों के दिल में बसते हैं. जिले में एक ऐसा विद्यालय है, जिसने रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं और उनकी यादों को सहेजने के लिए एक अनोखा प्रयोग किया है. यहां बच्चों-बच्चों को रामधारी सिंह जी की कविताएं याद है. छोटे-छोटे बच्चे जब रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं सुनाते हैं तो हर कोई दंग रह जाता है.

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कक्षा में बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका.

उच्चस्तरीय है यहां की पढ़ाई
बेगूसराय जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर राजकीयकृत मध्य विद्यालय बीहट स्थित है. ये विद्यालय राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पैतृक गांव सिमरिया से कुछ ही दूरी पर है. सरकारी विद्यालय होने के बावजूद भी यहां की पढ़ाई उच्चस्तरीय है.

कण-कण में समाहित हैं कविताएं
खास बात यह है की हिंदी साहित्य पर इस विद्यालय का सबसे ज्यादा फोकस होता है. ऐसे में बात जब हिंदी साहित्य की हो और जिला राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का हो तो फिर उनकी कविताएं इस विद्यालय के कण-कण में समाहित होना लाजमी है.

हिन्दी दिवस विशेष.

धाराप्रवाह पाठ करते हैं बच्चें
इस विद्यालय में पढ़ने वाले छोटे से छोटे बच्चे को भी राष्ट्रकवि दिनकर की कविता कंठस्थ है. बच्चे बड़ी आसानी से पूरी कविता एक सुर में सुना देते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब इस विद्यालय का दौरा किया तो वाकई में विद्यालय प्रबंधन और यहां के छात्र-छात्राओं का यह प्रयास सराहनीय रहा. यहां पढ़ने वाले लगभग सभी बच्चे राष्ट्रकवि दिनकर की रचित विभिन्न कविताओं का धाराप्रवाह पाठ करते हैं. इन बच्चों की कविताएं सुनकर विद्यालय भी गुंजायमान हो जाता है.

'राष्ट्रकवि' के रूप में मिला सम्मान
महानायक रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को गंगा नदी से सटे सिमरिया गांव में हुआ था. दिनकर को सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक हिंदी कवियों में से एक माना जाता है. राष्ट्रवादी कवियों में राष्ट्रवादी कविता के साथ दिनकर एक विद्रोही कवि के रूप में उभरे. वीर रस और राष्ट्रवाद की भावना को बढाने वाली प्रेरणादायक देशभक्ति पूर्ण रचना के कारण उन्हें 'राष्ट्रकवि' के रूप में सम्मान दिया गया.

Intro:एंकर- बेगूसराय जिले के गंगा नदी से सटे सिमरिया गांव में जन्म लेकर राष्ट्रकवि की उपाधि अर्जित करने वाले हिंदी साहित्य के महानायक रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं ना सिर्फ आजादी के पूर्व अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए प्रासंगिक हुआ करती थी, आजादी के बाद भी उनकी कविताएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं ।उनकी कविताओं में जीवन के कई रहस्य और प्रेरणा छुपी होती हैं ।यही वजह है कि बेगूसराय के कन कन में रामधारी सिंह दिनकर अभी भी विद्यमान हैं। हम आपको एक ऐसे विद्यालय लिए चलते हैं जिस विद्यालय ने रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं और उनकी यादों को सहेजने के लिए एक अनोखा प्रयोग किया है। इसके तहत यहां के छोटे-छोटे बच्चे भी रामधारी सिंह दिनकर की कविता जब सुनाएंगे तो आप दंग रह जाएंगे।


Body:vo- बेगूसराय जिला मुख्यालय से दूर यह राजकीयकृत मध्य विद्यालय बिहट है ।ये विद्यालय राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पैतृक गांव सिमरिया से कुछ दूरी पर स्थित है। सरकारी विद्यालय होने के बावजूद भी यहां की पढ़ाई उच्चस्तरीय है। खास बात यह है की हिंदी साहित्य पर इस विद्यालय का ज्यादा फोकस होता है। ऐसे में जब बात हिंदी साहित्य की हो और जिला राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का हो तो फिर राष्ट्रकवि दिनकर के द्वारा रचित कविताएं इस विद्यालय के कण-कण में समाहित सी हैं। हालात यह है इस विद्यालय में पढ़ने वाले छोटे से छोटे बच्चे भी राष्ट्रकवि दिनकर की कविता धड़ल्ले से गाते और पाठ करते हैं। ईटीवी भारत की टीम ने इस विद्यालय का दौरा किया वाकई विद्यालय प्रबंधन और यहां के छात्र छात्राओं का यह प्रयास सराहनीय है। एक दो नहीं दर्जनों ऐसे बच्चे हैं जो राष्ट्रकवि दिनकर द्वारा रचित विभिन्न कविताओं का धाराप्रवाह पाठ करते हैं। ऐसे ही कुछ बच्चों से संवाददाता ने खास बातचीत की तो बच्चों ने राष्ट्रकवि दिनकर की कविताएं गाकर जब समा बांधा तो घंटों विद्यालय दिनकर की कविता से गुंजायमान रहा।
वन टू वन विथ & सलोनी एंड अदर
सेफ़ाली कुमारी
बिट्टू


Conclusion:fvo- बहरहाल जो भी हो इतना तय है की स्कूल और बच्चों के द्वारा किया जा रहा यह संयुक्त प्रयास दिनकर की स्मृतियों और कविताओं के संग्रह के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा। अगर राष्ट्रकवि दिनकर के प्रति यही प्रेम और जज्बा अन्य शिक्षण संस्थान भी दिखाएं तो हम यह निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि राष्ट्रकवि दिनकर सैकड़ों साल तक कविता के रूप में हमारे आपके बीच विद्यमान होंगे।
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