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गर्भावस्था के दौरान PCOD की समस्या से होती है दिक्कतें, बहुत ही सामान्य होते हैं इसके लक्षण

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 7, 2023, 8:27 PM IST

Updated : Nov 7, 2023, 10:09 PM IST

हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाएं पीसीओडी की गिरफ्त में (PCOD problem is detected during pregnancy) आ जाती हैं. डाॅक्टरों के मुताबिक, प्रदेश की 25 से 30 फीसदी महिलाएं इससे पीड़ित हैं.

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लखनऊ : महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण पीसीओडी (मतलब पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज) की दिक्कतें होती है. इसे ओवेरियन सिस्ट के कारण महिलाओं में अंडाशय को प्रभावित करती है. डॉक्टरों के मुताबिक, 'प्रदेश की 25 से 30 फीसदी महिलाएं इससे पीड़ित हैं. महिला सरकारी अस्पतालों में पीसीओडी से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है. गर्भावस्था के दौरान जब यह दिक्कत होती है तो महिला को बेबी कंसीव करने में दिक्कत होती है. इसके लक्षण बहुत ही सामान्य होते हैं. जिसे आमतौर पर महिलाएं नजर अंदाज कर देती हैं. अगर सही समय पर उचित इलाज लिया जाए तो गर्भावस्था में पीसीओडी किसी रुकावट का काम नहीं करेगी.'

लक्षण दिखें तो हो जाएं अलर्ट
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युवा पीढ़ी है जागरूक : हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. निवेदिता कर के मुताबिक, बीमारी चाहे जो भी हो अगर समय पर इलाज मिल जाए तो उस बीमारी को जड़ से समाप्त किया जा सकता है. बहुत सी महिलाएं पीसीओडी को एक गंभीर बीमारी मान लेती हैं, जबकि ऐसा नहीं है. शुरुआत में इसका इलाज अगर हो जाए तो किसी प्रकार की कोई समस्या महिला को नहीं होती है. पीसीओडी को लेकर महिलाओं को जागरूक होने की जरूरत है, वहीं आजकल की युवा पीढ़ी इन सभी बीमारियों को लेकर काफी ज्यादा जागरूक रहती है, लेकिन आमतौर पर महिलाएं अपने ऊपर ध्यान नहीं देती हैं. शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव पर ध्यान नहीं देती हैं. जिसकी वजह से छोटी सी बीमारी भी बड़ा रोग बन जाती है, हालांकि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज में ऐसा कुछ नहीं है. हार्मोनल असंतुलन की वजह से कई बार ऐसा हो जाता है.'

गर्भावस्था के दौरान पता चलती है पीसीओडी की समस्या
गर्भावस्था के दौरान पता चलती है पीसीओडी की समस्या

शुरुआत में दिखेंगे यह लक्षण : डॉ. निवेदिता ने बताया कि 'पीसीओडी कोई बीमारी नहीं है बल्कि, यह एक प्रकार का सिंड्रोम है. इसमें बहुत अधिक डरने व घबराने की जरूरत नहीं है. अगर आपको लग रहा है कि आपको पीसीओडी है या आपका वजन बढ़ रहा है, आपका बीपी बढ़ रहा है या फिर आपको शुगर हो रहा है और साथ में आपके शरीर में अनचाहे बाल उग रहे हैं, वहीं सिर के बाल झड़ रहे हैं तो ऐसे में संभल जाइए. इन लक्षणों से आप समझ सकते हैं कि आपको पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम है. डॉ. निवेदिता ने बताया कि रोजाना अस्पताल की ओपीडी में लगभग 150 से 200 गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. जिनमें से कुछ महिलाएं पीसीओडी की भी होती हैं.'

गर्भावस्था के दौरान पता चलती है पीसीओडी की समस्या
गर्भावस्था के दौरान पता चलती है पीसीओडी की समस्या

पहले की तुलना में दिनचर्या खराब : क्वीन मेरी महिला अस्पताल की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा मल्होत्रा ने बताया कि 'केजीएमयू का यह महिला अस्पताल है, यहां पर प्रदेश भर से महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. रोजाना लगभग 250 से 300 मरीज की ओपीडी चलती है. इसके अलावा 50 से 70 महिलाएं रोज भर्ती होती हैं. अस्पताल में जब महिलाएं आती हैं, उस समय पीसीओडी से पीड़ित महिला को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उन्हें पीसीओडी है. उस समय में काफी ज्यादा पैनिक हो जाती हैं. पीसीओडी कोई बीमारी नहीं बल्कि एक तरह का सिंड्रोम है.'

कैंसर का खतरा
कैंसर का खतरा

शराब और स्मोकिंग से रहें दूर : उन्होंने कहा कि 'मौजूदा समय में बहुत सारी चीजों में बदलाव हुआ है. जिसमें से सबसे बड़ा बदलाव हमारे जीवन शैली और दिनचर्या में आया है. जहां एक तरफ बाहर का खाना लोग खाना पसंद कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ शराब और स्मोकिंग को लाइफस्टाइल से जोड़ लिया गया है. युवा वर्ग की युवतियां भी अब इस होड़ में पीछे नहीं रह गई हैं. बहुत सारी ऐसी युवतियों हैं जो शराब और स्मोकिंग का सेवन करती हैं. जो कि हेल्थ के लिए काफी ज्यादा घातक साबित होता है. इससे न सिर्फ लंग्स कैंसर व लीवर डैमेज की दिक्कत होती है. बल्कि, इससे हार्मोंस में बदलाव भी होता है. जिसके कारण पीसीओडी सिंड्रोम भी होता है. यही नहीं बल्कि यह सारी दिक्कतें एकजुट होकर महिला को बेबी कंसीव करने में भी दिक्कत पैदा करता है. क्योंकि, जब महिला का हार्मोंस इंबैलेंस रहेगा तो बच्चा भी गर्भ में नहीं ठहरेगा. अगर ठहर भी गया तो वह बच्चा स्वस्थ पैदा नहीं होगा. खानपान में हरी सब्जियां फल फूल इत्यादि को शामिल करें. रोजाना एक्सरसाइज या योगा करें. फिजिकल एक्टिविटी करते रहे.'

गर्भावस्था के दौरान पता चलती है पीसीओडी की समस्या
गर्भावस्था के दौरान पता चलती है पीसीओडी की समस्या

सोनोग्राफी, ब्लड व हार्मोंस टेस्ट से पता चलेगी बीमारी : उन्होंने कहा कि 'साधारण तौर पर महिलाएं बहुत सारी लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. अगर उनकी माहवारी अनियमित है और शरीर में अनचाहे बाल पुरुषों की तरह आ रहे हैं तो उन्हें तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में दिखने की जरूरत है. इसके लिए उन्हें अधिक दिक्कत परेशानी भी नहीं होगी. उन्हें बस विशेषज्ञ के पास जाना होगा. पीसीओडी की जांच होती है. इसकी जांच के लिए सोनोग्राफी की जाती है और इस जांच में महिला को पीसीओडी है या नहीं इसके बारे में साफ हो जाता है. सोनोग्राफी के अलावा भी कुछ जांच होती है, जिसमें ब्लड टेस्ट या हार्मोंस टेस्ट कराए जाते हैं और इन तीनों जांचों के आधार पर रिपोर्ट तैयार होती है. अगर पीसीओडी रिपोर्ट में पॉजिटिव आता है तो इसके बाद अधिक घबराने की आवश्यकता नहीं है बल्कि अपना ट्रीटमेंट शुरू करें.'

20 से 40 वर्ष की युवतियां पीसीओडी से अधिक पीड़ित : उन्होंने बताया कि '20 से 40 वर्ष की युवतियां पीसीओडी से अधिक पीड़ित होती हैं. हार्मोन असंतुलन होता है और उसके बाद माहवारी में अनियमितता बढ़ती जाती है. अगर इसका इलाज सही समय पर न कराया जाए तो यह गर्भावस्था के दौरान भी दिक्कतें पैदा करती हैं. 13 से 14 उम्र में लड़की को माहवारी शुरू होती है, वहीं लगभग 45 उम्र में माहवारी का मेनोपॉज होता है. हार्मोन असंतुलन किसी भी लड़की को हो सकता है. इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. ज्यादातर हार्मोन असंतुलन 20 वर्ष से अधिक और 40 वर्ष से काम की युवतियों को होता है इसके पीछे कई कारण है क्योंकि इस उम्र में महिला कई मानसिक तनावों से जूझ रही होती है वह तनाव पढ़ाई लिखाई, करियर पर फोकस या फिर शादी की समस्याएं अनेकों चीज होती हैं. हार्मोन असंतुलन होने का सबसे बड़ा कारण मानसिक तनाव ही होता है. महावारी के बाद महिला का शरीर पूरी तरह से डिटॉक्स हो जाता है, क्योंकि माहवारी में शरीर से गंदा ब्लड बाहर निकल जाता है.'

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Last Updated :Nov 7, 2023, 10:09 PM IST
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