लखनऊ : इतिहासकार स्व. पद्मश्री डाॅ. योगेश प्रवीण की स्मृति में बुधवार को संस्कार भारती की जानकीपुरम इकाई की ओर से ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. सभा में स्व. योगेश के करीबियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. सभा गूगल मीट पर आयोजित हुई.
इतिहासकार जो खुद इतिहास में समा गया
'तुम्हारे दिल की चुभन भी ज़रुर कम होगी
किसी के पांव का कांटा निकालकर देखो.'
यह पंक्तियां उस शख्स की है, जिनकी छोटी सी काया में छुपी विशाल शख्सियत के आगे सभी नतमस्तक हैं. जिसके व्यक्तित्व की सरलता और सहजता का पूरा शहर कायल है. उनके चले जाने से उन सभी की जो उन्हें थोड़ा भी जानते थे, आंखें नम हैं. बोल नहीं निकल रहे बस निःशब्द हैं. एक इतिहासकार, जो आज स्वयं इतिहास के पन्नों में समा गया है.
'मेरी बातें सभी सुनना चाहते, किताबें कोई नहीं खरीदता'
योगेश जी सदैव संस्कार भारती के कार्यक्रमों का हिस्सा रहते थे. इकाई की अध्यक्ष आरती पांडे ने कहा कि मुझे मेरी पुस्तक के विमोचन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर आशीर्वाद दिया था और कहा था कि 'पुस्तक के गीतों की कार्यशाला कराना, मैं भी आऊंगा.' लेकिन अब यह संभव न हो पायेगा. कोषाध्यक्ष देवेंद्र मोदी ने बताया कि जब भी किसी कार्यक्रम में धन की आवश्यकता हुई, सबसे पहले उन्हीं का हाथ आगे बढा. उन्होंने यह भी बताया कि वह कहते थे कि 'मेरी बातें सभी सुनना चाहते हैं, बुलाते हैं, लेकिन मेरी पुस्तकों को कोई नहीं खरीदता.' उनकी बातों में लेखक का दर्द भी दिखता था.
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'ऐसा लगता परिवार का सदस्य चला गया'
महामंत्री मुक्ता चटर्जी ने बताया कि 'नि:शब्द हूं. इतनी बातें हैं कुछ कह नहीं पा रही, अश्रुपूर्ण नमन है.' संरक्षक आशा श्रीवास्तव ने बताया कि 'सदैव उनका आशीर्वाद मिलता रहा है. ऐसा लगता है परिवार से कोई चला गया है.' उपाध्यक्ष रीता श्रीवास्तव ने कहा कि 'योगेश जी सदा अपनी रचनाओं के जरिए जीवित रहेंगे. 'ज्योति किरण रतन ने कहा कि 'शादी के पहले मैं उनकी शिष्या थी. शादी के बाद मैं जब उनके घर मिलने गयी, तो बहु के समान मुझे प्यार और दुलार दिया. मेरे बच्चों पर भी उनका आशीर्वाद सदा रहा है. 'इस मौके पर रीता पांडे, रेखा अग्रवाल, सुमन पांडे आदि ने भी डॉ. योगेश प्रवीन के विषय में अपने-अपने उद्गार व्यक्त किए.