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मनरेगाः खूब मिला रोजगार, अब प्रवासी श्रमिक कहने लगे अलविदा

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Published : Jan 1, 2021, 1:09 PM IST

उत्तर प्रदेश में इस साल मनरेगा के तहत काम में काफी उछाल आया. खासतौर पर लॉकडाउन के दौरान काम करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी. हालांकि जिस तेजी से आंकड़ों में उछाल आया था, उसी तेजी से गिरावट भी आई है. कारण है, प्रवासी श्रमिकों का वापस जाना.

मनरेगा के तहत काम में काफी उछाल आया
मनरेगा के तहत काम में काफी उछाल आया

लखनऊः जिस तरह इस साल तमाम चीजों में बड़े उतार-चढ़ाव आए, उसी तरह मनरेगा में भी काम के आंकड़ों में पहले उछाल आया, फिर गिरावट. उत्तर प्रदेश में इस साल अब तक 86 लाख 48 हजार 162 जॉब कार्डधारक परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया है. इसके तहत 32 करोड़ मानव दिवस सृजित हुए हैं. रोजगार दिए जाने का यह आंकड़ा 23 अप्रैल से 29 दिसंबर के बीच का है. लॉकडाउन शुरू होने पर करीब 40 लाख श्रमिक दूसरे राज्यों से वापस आए. आंकड़े बताते हैं कि प्रवासी श्रमिकों को भी मनरेगा के तहत रोजगार मिला है. दरअसल पिछले साल की तुलना में इस साल मई और जून के महीने में रोजगार पाने वालों की संख्या में जबर्दस्त उछाल आया है, लेकिन देश जैसे जैसे अनलॉक की तरफ बढ़ा, छूट मिली, उद्योग संचालित हुए तो अपने वतन लौटे प्रवासी श्रमिक एक बार फिर अपने कार्य क्षेत्र वापस जाने लगे हैं.

मनरेगा के तहत काम में काफी उछाल आया

मई और जून में जबर्दस्त उछाल
उत्तर प्रदेश में मनरेगा के तहत इस वर्ष एक करोड़ 13 लाख 5 हजार 293 परिवारों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है. परिवार का मतलब इतने जॉब कार्ड धारक परिवारों को रोजगार. इसके सापेक्ष अब तक 86 लाख 48 हजार 162 परिवारों को रोजगार दिया गया है. 2019 के मई माह में 174.94 लाख मानव कार्य दिवस सृजित हुए थे. वहीं इस साल 2020 के मई माह में 722.17 लाख मानव कार्य दिवस सृजित हुए हैं. इस तरह करीब चार गुना उछाल देखने को मिला है. वहीं जून माह की तुलना की जाए तो तीन गुना उछाल आया. साल 2019 के जून में 301.54 लाख मानव कार्य दिवस सृजित हुए. इस साल यह आंकड़ा 829.57 लाख मानव कार्य दिवस पहुंच गया. जुलाई में बारिश के चलते कम काम होता है. पिछले साल जुलाई में 228.80 लाख तो 2020 के इसी माह में 412.52 लाख मानव कार्य दिवस सृजित हुए. जुलाई में भी करीब दोगुने का उछाल रहा. इसके बाद अगस्त में 267.28, सितंबर में 259.68 लाख मानव कार्य दिवस सृजित हुए हैं. यह आंकड़े गवाह हैं कि प्रवासी श्रमिक अपने कार्य क्षेत्र में वापस जाने लगे हैं.

देश में यूपी पहले स्थान पर
मनरेगा के तहत रोजगार देने में यूपी देश में पहले स्थान पर है. वहीं, 72 लाख 92 हजार से अधिक परिवारों को रोजगार देकर पश्चिम बंगाल दूसरे पायदान पर, तो करीब 69 लाख परिवारों को रोजगार देने के साथ राजस्थान तीसरे स्थान पर है. इसके बाद तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार और उड़ीसा जैसे राज्य हैं. अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में लक्ष्य के सापेक्ष 86 लाख से अधिक जॉब कार्ड पर रोजगार दिया गया है. अभी हमारे पास करीब तीन माह बचे हुए हैं. उम्मीद है कि इस दौरान अपने लक्ष्य से भी अधिक रोजगार देने में हम सफल रहेंगे.

करीब 36 लाख अधिक श्रमिकों को दिया गया काम
मनरेगा के अपर आयुक्त योगेश कुमार ने बताया कि कोविड-19 के दौरान भारी संख्या में प्रवासी श्रमिक बाहर से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल में आए. अलग-अलग विभागों ने इनकी संख्या 38 से 40 लाख बताई. मनरेगा की साइट पर जो वृद्धि देखी गई है, वह करीब 38 लाख श्रमिकों की है. सामान्यतः हम लोग 48 से 52 लाख लोगों को रोजगार देते थे. इस बार यह आंकड़ा 84 से 86 लाख पहुंच गया है. इसमें जो बड़ा उछाल आया है, वह मई और जून के महीने में है. यह पिछले मई और जून के मुकाबले दो से तीन गुना अधिक है. अनलॉक की वजह से बाद में मनरेगा के काम में कमी आई है, लेकिन हमारा प्रयास है कि जो लोग भी मनरेगा के तहत काम करने में रुचि दिखा रहे हैं, उन्हें हम काम उपलब्ध कराएं।

31 जिलों में 10 करोड़ मानव दिवस सृजित
इसके साथ ही राज्य के 31 जिलों में गरीब कल्याण रोजगार अभियान चलाया गया. योगेश कुमार ने बताया कि उसमें हमें 125 दिनों में 10 करोड़ मानव दिवस सृजित करने के लिए कहा गया था. इसमें 2800 करोड़ रुपये निवेश किया जाना था. हमने गरीब कल्याण रोजगार के तहत सभी लक्ष्यों को हासिल किया. गरीब कल्याण रोजगार अभियान कुल छह राज्यों में चला था. उसमें यूपी के पास सबसे अधिक टारगेट था. अक्टूबर के चौथे सप्ताह तक इस लक्ष्य को हासिल करना था, तब तक हमने सारे लक्ष्य हासिल कर लिए थे.

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