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अधिकारियों की पॉलिटिक्स में फंस गया निर्भया फंड, महिलाओं को बसों में नहीं मिल रही सुरक्षित सफर की सुविधा

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Published : Dec 15, 2022, 7:00 PM IST

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दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक युवती के साथ हुई हृदयविदारक घटना (निर्भया कांड) ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. बस के अंदर युवती के साथ कई दरिंदों ने दुष्कर्म किया था. ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए सरकार ने जिस निर्भया फंड के जरिए बसों में महिलाओं के सफर को सुरक्षित करने की योजना बनाई थी वह योजना अधिकारियों की राजनीति में फंस कर रह गई है.

जानकारी देते संवाददाता अखिलेश्वर पांडेय.

लखनऊ : दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक युवती के साथ हुई हृदयविदारक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. बस के अंदर युवती के साथ कई दरिंदों ने दुष्कर्म किया था. इसके बाद महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने निर्भया फंड बनाया. इसके तहत रोडवेज बसों में सीसीटीवी कैमरा, पैनिक बटन और व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया. इसके लिए बाकायदा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को ₹83 करोड़ 40 लाख रुपए फंड दिया गया. परिवहन निगम ने इस फंड से 50 पिंक बसें और 24 इंटरसेप्टर खरीद लीं. इसमें कुल 31.1 करोड रुपए खर्च हुए, लेकिन शेष ₹51 करोड़ से ज्यादा परिवहन निगम पांच साल में खर्च ही नहीं कर पाया. लिहाजा, इसी साल सितंबर में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने फंड ड्रॉप कर दिया. इससे रोडवेज अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए. दिल्ली में मंत्रालय से किसी तरह सिफारिश के बाद फिर से फंड रिलीज कराया गया. अब हर हाल में मार्च 2023 तक सभी बसों में व्यवस्थाएं दुरुस्त कर निर्भया फंड खर्च करना है.


उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) ने निर्भया फंड से 50 पिंक बसें खरीदी थीं. इन पिंक बसों में सिर्फ महिलाएं ही सफर कर सकती हैं. बस में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, पैनिक बटन भी लगे हैं. इनका कनेक्शन डायल 112 के साथ ही परिवहन निगम की तरफ से निर्भया फंड के तहत खरीदी गई इंटरसेप्टर से भी जुड़ा है. बस में किसी तरह की सहायता के लिए जैसे ही महिला यात्री पैनिक बटन प्रेस करती है. बाकायदा डायल 112 में बस की लोकेशन पहुंच जाती है. तत्काल संबंधित पुलिस थाने के साथ इंटरसेप्टर पर तैनात अधिकारियों के महिला यात्री की मदद के लिए मौके पर पहुंचने की व्यवस्था है. बस के अंदर लगे कैमरे हर गतिविधि को कैप्चर करते हैं. ऐसे में महिला को क्या दिक्कत हुई जिसके चलते पैनिक बटन प्रेस किया ये भी पता लग जाता है.

हालांकि जिस कंपनी से पिंक बसें खरीदी गई थीं उसी को सर्वर की व्यवस्था भी करनी थी, लेकिन कुछ दिन तक सब सही चला और फिर सर्वर की व्यवस्था भी खत्म हो गई. लिहाजा अब पैनिक बटन दबाने पर भी महिलाओं को सहायता नहीं मिलती. पैनिक बटन शोपीस हो गए हैं. पिक बसों की तर्ज पर ही सभी 11 हजार रोडवेज बसों में सीसीटीवी कैमरे, पैनिक बटन, व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगने थे, लेकिन अभी तक एक भी बस में कोई डिवाइस नहीं लग पाई है. परिवहन निगम के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि फंड इसलिए खर्च नहीं हो पाया क्योंकि परिवहन निगम के जिम्मेदार टेंडर के लिए अलग-अलग नियम और शर्तें ही बनाते रहे जिससे कभी टेंडर हो ही नहीं पाया. अधिकारियों की पॉलिटिक्स में निर्भया फंड खत्म नहीं हो पाया.

अब नहीं लगेंगे बसों में कैमरे : निर्भया फंड के तहत सभी रोडवेज बसों में लगने तो सीसीटीवी कैमरे भी हैं, लेकिन अब बस में पैनिक बटन और व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस लगेगी पर कैमरे नहीं लगाए जाएंगे. इसके पीछे परिवहन निगम के अधिकारी कारण भी बताते हैं. उनका कहना है कि सभी बसों में सीसीटीवी कैमरा लगाने में डेढ़ सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा जबकि बजट इतना नहीं है. लिहाजा बसों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का कोई प्लान नहीं है. यानी रोडवेज बसों में अगर महिला यात्री के साथ कोई अभद्रता होती है या फिर उसे सहायता की आवश्यकता पड़ती है तो पैनिक बटन तो दब जाएगा, लेकिन सीसीटीवी कैमरे न लगे होने के चलते कोई घटना कैप्चर नहीं हो पाएगी.

टेंडर में रखी गई शर्त : रोडवेज अधिकारी बताते हैं कि निर्भया फंड के तहत जिस कंपनी को बसों में पैनिक बटन और व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाने का ठेका मिलेगा उसके लिए यह शर्त भी रखी गई है कि सर्वर की व्यवस्था उसी फर्म की होगी. सर्वर का खर्च परिवहन निगम वहन नहीं करेगा. अधिकारियों के मुताबिक इस फंड से 100 बस स्टेशनों पर बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई जाएंगी जिन पर महिला सुरक्षा से संबंधित संदेश प्रसारित होंगे. महिलाओं को जागरूक किया जाएगा. 23 दिसंबर को निर्भया फंड के तहत बसों में होने वाले कामों के लिए टेंडर निकलेगा. निर्भया फंड से परिवहन निगम को मिले कुल बजट 83 करोड़ 40 लाख में से 22 करोड़ 50 लाख रुपये से 50 पिंक बसें खरीदी गईं. आठ करोड़ 40 लाख रुपये से 24 कैपिसिटी इंटरसेप्टर खरीद ली गईं. अब सभी रोडवेज बसों में शेष बजट से अन्य काम कराए जाएंगे.


उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत कुमार सिंह (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation spokesman Ajit Kumar Singh) का कहना है कि निर्भया फंड के तहत बसों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम और पैनिक बटन (Vehicle Tracking System & Panic Button) लगाए जाने हैं. इसके अलावा 100 बस स्टेशनों पर बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीन महिला सुरक्षा के प्रति जागरूकता से संबंधित संदेशों को प्रसारित करने के लिए लगाई जाएंगी. अगले साल मार्च तक हर हाल में यह काम पूरा हो जाएगा. इसके लिए तेजी से प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है. अभी तक कुछ तकनीकी खामियों के चलते निर्भया फंड का बजट खर्च नहीं हो सका था.

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