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UP Transport Corporation के पन्नों से हटेगा उपनगरीय डिपो का नाम, हैदरगढ़ डिपो से चलेगा काम

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Published : Feb 25, 2023, 7:27 PM IST

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UP Transport Corporation) का मानना है कि मौजूदा समय उपनगरीय डिपो से संचालित बसों की जरूरत महानगर परिवहन बसें पूरा कर रही हैं. ऐसे में उपनगरीय डिपो का कोई वजूद नहीं रह जाता है. लिहाजा उपरनगरीय डिपो की बसों को हैदरगढ़ व संबंधित डिपो की बसों की फ्लीट में शामिल कर दिया जाएगा.

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उपनगरीय डिपो का नाम हटेगा.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के इतिहास के पन्नों से बहुत जल्द उपनगरीय डिपो का नाम हट जाएगा. जिन बसों पर उपनगरीय डिपो लिखा हुआ है उसे भी मिटा दिया जाएगा. इसकी जगह पर निगम के रिकॉर्ड में और बसों पर हैदरगढ़ डिपो अंकित होगा. वर्तमान में उपनगरीय डिपो और हैदरगढ़ डिपो दोनों ही चलन में हैं. जबकि हैं दोनों एक ही. दोनों के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक भी एक ही हैं, लेकिन अब उपनगरीय डिपो नहीं बचेगा. यह हैदरगढ़ डिपो में ही तब्दील हो जाएगा. डिपो सात के सात ही रहेंगे, लेकिन वर्तमान में कागजों पर अंकित उपनगरीय डिपो का नाम मिट जाएगा.


उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम के कुल 20 रीजन हैं. इन सभी रीजन के अपने कई डिपो हैं. कुल मिलाकर 20 रीजन में परिवहन निगम के वर्तमान में 115 डिपो संचालित हैं. लखनऊ रीजन की बात करें तो यहां पर वर्तमान में सात डिपो संचालित हैं. इनमें चारबाग डिपो, कैसरबाग डिपो, आलमबाग डिपो, अवध डिपो, रायबरेली डिपो, बाराबंकी डिपो, उपनगरीय डिपो/हैदरगढ़ डिपो. साल 2006 में उपनगरीय डिपो की स्थापना इस उद्देश्य के साथ की गई थी कि 40 से 50 किलोमीटर तक की दूरी की सेवाएं यात्रियों को प्रदान की जा सकें. पुरानी रोडवेज बसों को ही उपनगरीय डिपो में संचालित किया जाता था, लेकिन जब बाद में लखनऊ महानगर परिवहन सेवा की बसें संचालित होने लगीं तो उपनगरीय डिपो की सेवाओं को विस्तार दे दिया गया. वर्तमान में इनका संचालन डेड सौ किलोमीटर तक किया जा रहा है, लेकिन सिटी के अंदर या आसपास अब लखनऊ महानगर परिवहन सेवा का कब्जा हो गया है. लिहाजा अब उपनगरीय डिपो पर संकट मंडराने लगा है. अब उपनगरीय डिपो की जगह हैदरगढ़ डिपो ले लेगा.


उपनगरीय डिपो की बसें डेढ़ सौ किलोमीटर तक की दूरी के लिए संचालित की जाती हैं. हैदरगढ़ डिपो की बसों का संचालन 400 किलोमीटर तक के दायरे में होता है. रोडवेज के अधिकारी बताते हैं कि पहले सिटी बसें शहर के अंदर ही चलती थीं, लेकिन अब बाराबंकी, महमूदाबाद, संडीला और गंगागंज तक इन्हीं बसों का संचालन होने लगा है. जिससे उपनगरीय डिपो की इनकम पर काफी असर पड़ा है. महानगर परिवहन सेवा में इलेक्ट्रिक एसी बसों का संचालन शुरू हो गया और इनका किराया भी साधारण बसों की तरह रखा गया. जिससे उपनगरीय डिपो के सभी यात्री महानगर बस सेवा की तरफ रुख कर गए. अब डेढ़ सौ किलोमीटर के दायरे तक संचालित होने वाली उपनगरीय डिपो की बसों को खत्म कर इन्हें हैदरगढ़ और कैसरबाग में कम दूरी के लिए संचालित किया जाएगा.

उपनगरीय डिपो और हैदरगढ़ डिपो को मिलाकर कुल 119 बसों की फ्लीट है. उपनगरीय की बात करें तो वर्तमान में इस डिपो से 53 बसों का संचालन किया जाता है. वहीं हैदरगढ़ डिपो से 66 बसें संचालित होती हैं. इन दोनों डिपो में अपनी उम्र पूरी कर चुकीं सात बसें नीलाम होने को तैयार है. इसके अलावा कुछ ही दिन बाद 17 और बसें इन दोनों डिपो के बस बेड़े से हटने वाली हैं. यानी तब दोनों डिपो को मिलाकर बसों की संख्या 95 रह जाएगी. धीरे-धीरे उपनगरीय डिपो की कंडम बसें फ्लीट से हट जाएंगी और बची बसों को हैदरगढ़ डिपो और कैसरबाग डिपो में समाहित कर दिया जाएगा. इससे उपनगरीय डिपो का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. उपनगरीय डिपो की बात करें तो यहां डीजल बसों के साथ-साथ सीएनजी बसों का भी संचालन होता है. परिवहन निगम का यही एकमात्र ऐसा डिपो है जहां से सीएनजी बसें भी संचालित होती हैं. इस डिपो में कुल 9 सीएनजी बसों की फ्लीट है.


लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर का कहना है कि उपनगरीय डिपो से संचालित बसों की जरूरत अब महानगर परिवहन बसें पूरा कर रही हैं. यात्री महानगर बस सेवाओं से सफर करने लगे हैं. जिससे उपनगरीय डिपो की बसों का लोड फैक्टर नहीं आ रहा है. लंबी दूरी तक सिटी बसें ही कवर करने लगी हैं. ऐसे में उपनगरीय डिपो का कोई मतलब नहीं रह जाता. वैसे भी उपनगरीय डिपो और हैदरगढ़ डिपो एक ही है. इन दोनों डिपो का अधिकारी एक ही हैं. लिहाजा अब उपरनगरीय डिपो को खत्म कर सभी बसों को हैदरगढ़ डिपो या जिस डिपो को उपनगरीय डिपो की बसों की जरूरत होगी उस फ्लीट में शामिल किया जाएगा. उपनगरीय डिपो समाप्त होगा और हैदरगढ़ डिपो से बसें संचालित होंगी.

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