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सड़क सुरक्षा में मंत्री अधिकारी नहीं ले रहे दिलचस्पी, एनआरएससी के सदस्य ने उठाए सवाल

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Published : Nov 22, 2022, 6:58 PM IST

Updated : Nov 22, 2022, 7:26 PM IST

देश में हर साल सड़क हादसों में जितने लोगों की मौत होती हैं उसका 15 परसेंट सिर्फ उत्तर प्रदेश का ही आंकड़ा होता है. हर वर्ष उत्तर प्रदेश में 10000 लोग सड़क हादसों में मौत का शिकार हो जाते हैं. बावजूद इसके न परिवहन विभाग और न ही विभागीय मंत्री और अधिकारी ही इस मामले में गंभीरता दिखाते हैं.

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लखनऊ : देश में हर साल सड़क हादसों में जितने लोगों की मौत होती हैं उसका 15 परसेंट सिर्फ उत्तर प्रदेश का ही आंकड़ा होता है. हर वर्ष उत्तर प्रदेश में 10000 लोग सड़क हादसों में मौत का शिकार हो जाते हैं. बावजूद इसके न परिवहन विभाग और न ही विभागीय मंत्री और अधिकारी ही इस मामले में गंभीरता दिखाते हैं. केंद्र सरकार की तरफ से हादसों को रोकने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस, पैनिक बटन लगाने के साथ ही कंट्रोल कमांड सेंटर बनाने के लिए बजट भी निर्भया फंड के तहत दे दिया गया, लेकिन अभी तक विभाग ने इस पर कोई काम नहीं किया. विभाग की लापरवाही से ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने के दौरान महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं.

यह आरोप मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ कमल सोई (Dr. Kamal Soi, Member, National Road Safety Council 'NRSC') ने लगाए हैं. एनआरएससी के मेंबर डॉक्टर कमल सोई का कहना है कि निर्भया कांड के बाद महिलाओं के साथ होने वाले अपराध पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार ने रिटायर्ड न्यायमूर्ति जेएस वर्मा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था. सभी सार्वजनिक सेवा वाहनों में आपातकालीन पैनिक बटन सहित वाहन में लोकेशन ट्रैकिंग उपकरण लगाए जाने की सिफारिश की गई थी.

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ कमल सोई.

केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में अधिसूचना जारी कर सीएमवी नियम 1989 का नियम 125 एच लागू किया. जिसके तहत देश में सार्वजनिक सर्विस वाहनों और राष्ट्रीय परमिट वाले माल वाहनों में आपातकालीन पैनिक बटन सहित वाहन में लोकेशन ट्रैकिंग उपकरणों को फिट कराना अनिवार्य कर दिया गया. बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहां पर इस दिशा में कोई काम ही नहीं किया गया है. बैक एंड सर्विसेज के लिए बीएसएनल को दो साल पहले लेटर ऑफ अवार्ड जारी होने के बावजूद वीएलटीडी निर्माताओं की मिलीभगत से बीएसएनएल के साथ परिवहन विभाग ने कोई समझौता नहीं किया. जिससे अभी तक कंट्रोल कमांड सेंटर भी संचालित नहीं हो पाया और वाहनों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम भी नहीं लगाए जा सके हैं. इसमें देरी से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा खतरे में है.

उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग को सुनिश्चित करना चाहिए कि वाहन विशिष्ट फिटमेंट प्रक्रिया सहित वीएलटी डिवाइस निर्माता की मंजूरी वाले वाहनों में सिर्फ ओईएम स्वीकृत वीएलटी उपकरण ही फिट करने की अनुमति हो और कोई उपकरण न लगाया जाए. उत्तर प्रदेश में वाहनों में एचएसआरपी लगाने में भी लगातार देरी की जा रही है. एचएसआरपी (HSRP) न लगे होने के चलते वाहनों से अपराध की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इस पर विभाग और सरकार को जल्द से जल्द गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. उन्होंने परिवहन विभाग से एआईएस 140 कोड पर वीएलटीडी फिटमेंट के लिए बैक एंड सर्विसेज प्रदान करने के लिए बीएसएनल के साथ समझौते पर मुहर लगाने की मांग की.


राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ कमल सोई ने ये भी आरोप लगाया कि मंत्रियों पर नौकरशाह हावी हैं. यही वजह है कि अब तक वाहनों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस नहीं लगाई जा सकी है और एचएसआरपी लगाने में भी देरी की जा रही है. बीएसएनएल के साथ अभी तक समझौता नहीं हो पाया है. सेंट्रल कंट्रोल एंड कमांड सेंटर भी नहीं बन पा रहा है. कम पढ़े लिखे मंत्रियों को नौकरशाह समझा ले जाते हैं इसीलिए काम नहीं हो रहा है. इस और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्वयं ध्यान देना चाहिए. उन्हें कम से कम छह माह के लिए पूरी तरह से परिवहन विभाग को अपने हाथों में ले लेना चाहिए, तभी यह काम पूरा हो पाएगा.

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Last Updated : Nov 22, 2022, 7:26 PM IST
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