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डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 142 छात्र-छात्राओं को प्रदान किए गए मेडल, राज्यपाल ने किया सम्मानित

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 23, 2023, 5:48 PM IST

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डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (एसएमयू) का 10वां दीक्षांत समारोह शनिवार को आयोजित किया गया. इस दौरान राज्यपाल और विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्ष आनंदी बेन पटेल की मौजूदगी में 1622 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गईं.

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह. देखें खबर

लखनऊ : डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (एसएमयू) का 10वां दीक्षांत समारोह शानिवार को आयोजित हुआ. विश्वविद्यालय ने दीक्षांत समारोह में कुल 122 छात्र-छात्राओं को कुल 142 छात्र-छात्राओं को मेडल प्रदान किए गए. राज्यपाल और विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्ष आनंदी बेन पटेल की अध्यक्षता में समारोह आयोजित हुआ. समारोह में गुजरात के सूरत स्थित डिसेबल वेलफेयर ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री कनुभाई हसमुखभाई टेलर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप मौजूद रहे.

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.
डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.

तीन छात्र कुलाध्यक्ष मेडल से सम्मानित हुए : विश्वविद्यालय के सभी संकायों में सर्वाधिक अंक लाने वाले छात्रों को कुलाध्यक्ष पदक से सम्मानित किया गया. इसमें अभिनव तिवारी को स्वर्ण, दिव्यांशी दत्ता को रजत और प्रीति को कांस्य पदक दिया गया. यह तीनों ही छात्र इंजीनियरिंग संस्थान के हैं. वहीं आर्ट्स संकाय, कॉमर्स संकाय, शिक्षा संकाय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय, कम्प्यूअर साइंस एवं सूचना प्रौद्योगिकी संकाय, विधि संकाय एवं अभियांत्रिकी व प्रौद्योगिकी संस्थान मिलाकर कुल 7 संकाय में पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर आने वाले 21 छात्रों को मुख्यमंत्री मेडल दिए गए.

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.
डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.



111 छात्र कुलपति मेडल से हुए सम्मानित : कुलपति पदक में प्रत्येक बीए, बीवीए, एमए (इतिहास, अर्थशास्त्र, हिन्दी, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, अंग्रेजी), एमवीए, एमएसडब्ल्यू, बीकॉम, एमकॉम, बीबीए, एमबीए, बीएड (श्रवणबाधितार्थ, दृष्टिबाधितार्थ, बौद्धिक अक्षमता), बीएएसएलपी, बीपीओ, एमएड (श्रवणबाधितार्थ, दृष्टिबाधितार्थ, बौद्धिक अक्षमता), एमएससी(भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, माइक्रोबायलॉजी, सूचना प्रौद्योगिकी, सांख्यिकी), एमसीए, बीकॉम एलएलबी, एलएलएम, बीटेक (इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल, कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन), बैचलर ऑफ मेडिसिन-बैचलर ऑफ सर्जरी एवं बैचलर ऑफ साइंस इन नर्सिंग पाठ्यक्रम के पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर आने वाले कुल 117 छात्रों को सम्मानित किया जाएगा.

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.
डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि शिक्षा एक सार्वजनिक सेवा है एक उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान वह होती है. जिसमें प्रत्येक छात्र का स्वागत करते हुए उसकी देखभाल की जाती है. सुरक्षित और प्रेरणादायक शैक्षिक वातावरण की मौजूदगी में जहां सभी छात्रों को सीखने और इसके लिए विविध प्रकार के अनुभव एवं उपयुक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं. इससे अर्जित करना प्रत्येक शिक्षण संस्थान का लक्ष्य होना चाहिए.

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.
डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.

राज्यपाल ने कहा कि प्राचीन सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में या नीति तैयार की गई है. ज्ञान, प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन में सदा सर्वोच्च मानवीय लक्ष्य माना जाता है. प्राचीन भारत में शिक्षा का लक्ष्य सांसारिक जीवन अथवा विद्यालय के बाद के जीवन की तैयारी के रूप में ज्ञान अर्जन करना नहीं, बल्कि पूर्ण आत्मज्ञान और मुक्ति के रूप में माना गया है. तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी जैसे प्राचीन भारत के विश्व स्तरीय संस्थाओं ने अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षक और शोध के ऊंचे प्रतिमान स्थापित किए हैं. जिससे विभिन्न पृष्ठभूमि और देश से आए विद्यार्थी और विद्वान लाभान्वित हुए हैं.

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.
डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.

जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय अब राज्य के अधीन


इस अवसर पर पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के राज्य मंत्री नरेंद्र कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सफलता से प्रभावित होकर विश्व विख्यात जगद्गुरु रामभद्राचार्य के द्वारा स्थापित जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट को उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन देने का निर्णय लिया है. जिससे उत्तर प्रदेश के विधान मंडल द्वारा विधेयक पेश करके राज्य विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्रदान कर दी है अब उत्तर प्रदेश में दिव्यांग जनों के उच्च शिक्षा के लिए डॉक्टर शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय सहित दो विश्वविद्यालय हो गए हैं जिसके माध्यम से दिव्यांगजनों को शिक्षित बनाकर सशक्त किया जाएगा. कुछ विशेष प्रकृति के विश्वविद्यालय हैं जो पृथक अधिनियम एक्ट से संचालित होते हैं. डॉक्टर शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विद्यालय भी अपने आप में एक विशिष्ट प्रकृति का विश्वविद्यालय है जहां जिसका अपना एक अलग अधिनियम है.

मेडल पाने वालों ने कही यह बात. देखें खबर

किसी ने कोचिंग पढ़ाकर फीस भरी तो कोई पेट्रोमैक्स की रोशनी में पढ़ा


दीक्षांत समारोह में कई ऐसे होनहार छात्र भी हैं जो तमाम मुसीबत के बाद अपनी पढ़ाई पूरी की और विश्वविद्यालय से अपने विषय में गोल्ड मेडल प्राप्त करने में सफल रहे. पदक पाने वालों में मास्टर आफ आर्ट्स हिंदी की छात्रा रूपल यादव भी शामिल है. रूपल को तीन पदक मिले हैं. पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने पर रूपल घर पर बच्चों को कोचिंग पढ़ाकर खुद अपनी पढ़ाई के लिए फीस जुटाई और अपनी पढ़ाई जारी रखी. छात्रा दिव्यांशी के पिता बहुत मुश्किल से दुबग्गा में अपना घर बना सके, मगर पिता के पास बिजली के कनेक्शन के लिए रुपये नहीं बचे. ऐसे में कई महीनों तक दिव्यांशी ने पेट्रोमैक्स की रोशनी में पढ़ाई की. उसके संघर्ष का फल है कि दीक्षांत समारोह में तीन मेडल मिले हैं. इनमें से एक स्वर्ण और दो रजत पदक है.

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.
डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह.


कुलाधिपति एवं कुलपति से तीन पदक पाने वाले अभिनव तिवारी बताते हैं कि वह तीन भाई बहन हैं और पिता प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद पढ़ाई जारी रखी कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है. अब सिविल सर्विसेज की तैयारी कर गरीबों की मदद करने का सपना है मेरी पढ़ाई में मेरे शिक्षकों का बहुत योगदान रहा है. वहीं तीन गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली रूपल यादव बताती हैं कि अपनी पढ़ाई की फीस जमा करने के लिए बच्चों को कोचिंग पढ़ाई शिक्षकों ने जो पढ़ाया उसे अच्छे से सुना. आगे चलकर प्रोफेसर बनना ही मेरा लक्ष्य और हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए काम करना हिंदी पखवाड़ा 1 दिन नहीं बल्कि पूरे वर्ष मनाया जाना चाहिए. इसके अलावा दो स्वर्ण और एक रजत पदक पाने वाली कृतिका सिंह ने कहा कि उन्हें आगे चलकर एक प्रोफेसर के रूप में काम करना है. माता-पिता ने पढ़ाई में बहुत साथ दिया. अधिकांश बच्चे अच्छे नंबर कैसे लाएं इसके पीछे भागते हैं पर इससे बेहतर है कि नॉलेज के पीछे भागें. शिक्षक का पूरा सहयोग लें जितना पढ़ें वह अच्छे से पढ़ें.


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