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पूर्व सांसद व माफिया धनंजय सिंह पर मेहरबान लखनऊ पुलिस, जानिए क्या है वजह?

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Published : Aug 24, 2021, 9:32 AM IST

पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड में लखनऊ पुलिस अभी तक पूर्व सांसद धनंजय सिंह को गिरफ्तार नहीं कर पाई है. इसको लेकर लखनऊ पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर धनंजय सिंह पर लखनऊ पुलिस इतनी मेहरबान क्यों है. वहीं मामले के विवेचक पहले इंस्पेक्टर विभूतिखंड चंद्रशेखर सिंह थे, लेकिन उनको हटाकर अब इंस्पेक्टर गाजीपुर को इसका विवेचक बनाया गया है.

पूर्व सांसद धनंजय सिंह.
पूर्व सांसद धनंजय सिंह.

लखनऊ: मऊ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड में आरोपी पूर्व सांसद माफिया सरगना धनंजय सिंह पर लखनऊ पुलिस मेहरबान है. 25 हजार के इनामी और भगौड़ा घोषित धनंजय को खोजने का लखनऊ पुलिस ढोंग कर रही, जबकि वह रोजाना तय राजनीतिक व सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं. धनंजय पर लखनऊ पुलिस की मेहरबानी सत्ता के गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई है. अक्सर रस्सी को सांप बताकर कार्रवाई करने में माहिर लखनऊ पुलिस की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि, धनंजय की गिरफ्तारी को लेकर कटघरे में खड़े हो रहे पुलिस कमिश्नर ने अजीत सिंह हत्याकांड की जांच विभूतिखंड इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह से हटाकर गाजीपुर थाने के इंस्पेक्टर को सौंप दी है. माना जा रहा है कि इंस्पेक्टर विभूतिखंड सही ढंग से विवेचना नहीं कर रहे थे. पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर का कहना है कि जांच गंभीरता से कराई जा रही है. पुलिस ने हत्या में शामिल करीब सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. फरार आरोपी पर इनाम घोषित है. कोर्ट ने उन्हें भगौड़ा घोषित कर रखा है. गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.

पंचायत चुनाव में रहे सक्रिय, लेकिन पुलिस नहीं ढूंढ पाई
हाल में हुए पंचायत चुनाव में माफिया धनंजय सिंह ने हनक की दम पर अपनी पत्नी को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जिताया. फिर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में धनंजय ने अपनी पत्नी को खड़ा किया और जीत भी हासिल की. सूत्रों की मानें तो धनंजय की पत्नी के चुनाव जीतने के पीछे सत्ताधारी पार्टी का ही हाथ बताया जाता है. दरअसल, सत्ताधारी पार्टी ने सीधे धनंजय सिंह की पत्नी को टिकट न देकर जौनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सहयोगी दल के खाते में दे दी और फिर उस दल से धनंजय की पत्नी को टिकट दिलाया गया. परिणाम यह रहा कि धनंजय की पत्नी जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष बन गईं. चुनाव में धनंजय सिंह सक्रिय रहे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ना मुनासिब नहीं समझा. पुलिस ने कई बार दिखावे की दबिश भी दी और वापस लौट आई. इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसके बाद पुलिस की जमकर किरकिरी हुई थी. इसके अलावा भी धनंजय राजनीतिक और निजी कार्यक्रमों में शामिल होते देखे गए.

तीसरी शादी के बाद बदले दिन
बीएसपी के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को यूपी के राजनीतिक गलियारों में एक दबंग नेता के रूप में जाना जाता है. 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर से सांसद रहे धनंजय सिंह बाद में मायावती से रिश्ते खराब होने पर बसपा से निष्कासित कर दिए गए थे. धनंजय सिंह ने तीन शादियां कीं. उनकी पहली पत्नी ने शादी के नौ महीने बाद ही संदिग्ध परिस्थियों में आत्महत्या कर ली थी. दूसरी पत्नी डॉ. जागृति सिंह अपनी घरेलू नौकरानी की हत्या करने के आरोप में नवंबर 2013 में गिरफ्तार हुई थीं. मामले में सुबूत मिटाने के आरोप में धनंजय सिंह को भी जेल जाना पड़ा, हालांकि उन्होंने सफाई दी कि हत्या के वक्त वह जौनपुर में थे.

बाद में जागृति से उनका तलाक हो गया और 2017 में उन्होंने 'निप्पो समूह' घराने की बेटी श्रीकला रेड्डी से पेरिस में तीसरी शादी शाही अंदाज में की. यह शादी सुर्खियों में रही थी. श्रीकला रेड्डी के पिता तेलंगाना के हूजूरनगर से निर्दलीय विधायक रहे हैं. बताया जाता है कि श्रीकला के पिता के संबंध आरएसएस और बीजेपी के उच्चपदस्थ नेताओं से हैं. अगस्त 2019 में पूर्वांचल के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी बीजेपी में शामिल हो गईं और उनके भाजपा में शामिल होने के साथ ही धनंजय की सुरक्षा बढ़ा दी गई. उन्हें फिर से वाई श्रेणी की सुरक्षा बहाल कर दी गई. दरअसल, दिल्ली में नौकरानी की हत्या में सुबूत मिटाने के आरोप में फंसे धनंजय की लंबे समय से चली आ रही वाई श्रेणी सुरक्षा हटा दी गई थी.

अब गाजीपुर इंस्पेक्टर करेंगे प्रकरण की छानबीन
बहुचर्चित अजीत सिंह हत्याकांड की विवचेना स्थानांतरित कर दी गई है. अब इंस्पेक्टर गाजीपुर इसके विवेचक हैं. इससे पहले इंस्पेक्टर विभूतिखंड चंद्रशेखर सिंह इसकी विवेचना कर रहे थे. हत्या के बाद से तत्कालीन एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र सिंह, विवेचक इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह पर अंगुलियां उठ रही थीं. विरोध के स्वर भी उठे, लेकिन कमिश्नर डीके ठाकुर ने सिर्फ एसीपी विभूतिखंड को स्थानांतरित कर इंस्पेक्टर को बरकरार रखा. एसीपी को हटाने के पीछे वजह भी खास थी. दरअसल, तत्कालीन एसीपी बनारस जेल में बंद कुख्यात माफिया के रिश्ते में बताए जाते हैं.

यह पूरा मामला
बता दें कि छह जनवरी 2021 में अजीत सिंह की विभूतिखंड में कठौता चौराहे के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्याकांड में एक लाख के इनामिया गिरधारी का नाम सामने आया था. गिरधारी को दिल्ली पुलिस ने नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर रिमांड पर लखनऊ लेकर आई थी, इसी दौरान गिरधारी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. छानबीन में पता चला कि एक अन्य शूटर को धनंजय ने शरण दी थी और उसका इलाज भी कराया था. इसके बाद हत्याकांड की साजिश रचने में धनंजय का नाम उजागर हुआ. इस मुकदमे में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को आरोपी बनाया गया. धनंजय का नाम हत्याकांड में सामने आने के बाद 20 फरवरी को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. पुलिस ने 25 हजार का इनाम और फिर भगौड़ा भी घोषित किया. इसके बाद कुर्की की कार्यवाही से पहले की नोटिस जारी हुई. पांच मार्च, 2021 को धनंजय ने प्रयागराज के एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में एक दूसरे मामले में आत्मसमर्पण कर दिया था. 31 मार्च को वह जमानत पर रिहा हो गए थे. लखनऊ पुलिस आरोपित की तलाश कर रही है. हालांकि अभी तक उन्हें पकड़ा नहीं जा सका है.

इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी
मऊ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या के बाद साथी मोहर सिंह ने FIR दर्ज कराई थी. मोहर ने तब आजमगढ़ जेल में बंद कुंटू सिंह, अखंड सिंह और गिरधारी को नामजद कराया था. इसके बाद पुलिस ने प्रकाश में आए संदीप उर्फ बाबा, मुस्तफा उर्फ बंटी, शिवेंद्र सिंह उर्फ अंकुर, बंधन सिंह, प्रिंस व रेहान को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था. 7 अप्रैल को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी. अब इंस्पेक्टर गाजीपुर शेष आरोपितों के खिलाफ विवेचना करेंगे.

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