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चुनाव चिन्ह आवंटन के अधिकार को चुनौती, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

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Published : Jan 5, 2021, 10:03 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग के चुनाव चिन्ह आवंटन के अधिकार को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. याचिका में सिम्बल आर्डर 1968 के पैराग्राफ 10, 10ए और 10बी को चुनौती दी गई है.

लखनऊ हाईकोर्ट.
लखनऊ हाईकोर्ट.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग के चुनाव चिन्ह आवंटन के अधिकार को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर जवाब मांगा है. याचिका में सिम्बल आर्डर 1968 के पैराग्राफ 10, 10ए और 10बी को चुनौती दी गई है. जिस पर न्यायालय ने चुनाव आयोग को 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अग्रिम सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने श्रद्धा त्रिपाठी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याची का कहना है कि सिम्बल आर्डर के पैराग्राफ 10, 10ए और 10बी के तहत चुनाव आयेाग स्वयं चुनाव चिन्ह आवंटन का कार्य करता है, जबकि कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के पैरा 10 के अनुसार यह कार्य चुनाव अधिकारी का है. याची की ओर से दलील दी गई कि सिम्बल आर्डर के प्रावधान रूल्स 1961 के प्रावधानों के विपरीत होने के कारण रद् किए जाने चाहिए.

याचिका ने कहा गया कि सिम्बल आर्डर के प्रावधान होने के कारण चुनाव आयोग बड़े राजनीतिक दलों को तो पहले से ही चुनाव चिन्ह आवंटित कर देता है, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशियों को यह चिन्ह नामांकन के बाद ही मिल पाता है. याचिका का विरोध करते हुए चुनाव ओयाग की ओर से कहा गया कि याचिका पोषणीय ही नहीं है. साथ ही यह दलील भी दी गई कि उक्त विवाद सुप्रीम कोर्ट पहले ही तय कर चुका है. हालांकि न्यायालय ने कहा कि हमें उचित लगता है कि इस प्रकरण में आयोग का प्रति शपथ पत्र दाखिल होना चाहिए.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग के चुनाव चिन्ह आवंटन के अधिकार को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर जवाब मांगा है. याचिका में सिम्बल आर्डर 1968 के पैराग्राफ 10, 10ए और 10बी को चुनौती दी गई है. जिस पर न्यायालय ने चुनाव आयोग को 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अग्रिम सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने श्रद्धा त्रिपाठी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याची का कहना है कि सिम्बल आर्डर के पैराग्राफ 10, 10ए और 10बी के तहत चुनाव आयेाग स्वयं चुनाव चिन्ह आवंटन का कार्य करता है, जबकि कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के पैरा 10 के अनुसार यह कार्य चुनाव अधिकारी का है. याची की ओर से दलील दी गई कि सिम्बल आर्डर के प्रावधान रूल्स 1961 के प्रावधानों के विपरीत होने के कारण रद् किए जाने चाहिए.

याचिका ने कहा गया कि सिम्बल आर्डर के प्रावधान होने के कारण चुनाव आयोग बड़े राजनीतिक दलों को तो पहले से ही चुनाव चिन्ह आवंटित कर देता है, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशियों को यह चिन्ह नामांकन के बाद ही मिल पाता है. याचिका का विरोध करते हुए चुनाव ओयाग की ओर से कहा गया कि याचिका पोषणीय ही नहीं है. साथ ही यह दलील भी दी गई कि उक्त विवाद सुप्रीम कोर्ट पहले ही तय कर चुका है. हालांकि न्यायालय ने कहा कि हमें उचित लगता है कि इस प्रकरण में आयोग का प्रति शपथ पत्र दाखिल होना चाहिए.

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