गैंगरेप के अभियुक्तों को बचाने का प्रयास पड़ा महंगा, पॉक्सो कोर्ट ने अधिकारियों पर कार्रवाई के दिए आदेश

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Published : Oct 5, 2021, 10:18 PM IST

लखनऊ जिला एवं सत्र न्यायालय

लखनऊ जिला एवं सत्र न्यायालय ने गैंगरेप के केस में अभियुक्तों को बचाने के प्रयास को लेकर संबंधित अधिकारियों के प्रति कड़ा रुख अख्तियार किया है. पॉक्सो कोर्ट ने विवेचक व पर्यवेक्षक अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

लखनऊ: पॉक्सो (POCSO) के विशेष जज महेश चन्द्र वर्मा ने पीड़िता के सामूहिक दुष्कर्म (gang rap) मामले में बयान दर्ज कराने के बाद भी कम दंडनीय धाराओं में चार्जशीट दाखिल करने पर कड़ा रवैया अपनाया है. कोर्ट ने इस मामले के विवेचक व तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी और पर्यवेक्षक अधिकारी व तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक पश्चिमी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं.


कोर्ट ने इस सदंर्भ में प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को पत्र जारी किया है. कोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि अवैधानिक कृत्यों के लिए इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उसकी रिपोर्ट दो माह में कोर्ट को प्रेषित की जाए. कोर्ट ने इसके साथ ही अभियुक्त मोहम्मद अशरफ और मुशर्रफ उर्फ बबलू के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366, 376डी, 323 व पॉक्सो एक्ट की धारा 5 (जी) व 6 के साथ ही एसस/एसटी एक्ट की धारा 3 (2) (4) में आरोप तय कर दिया है. इसके साथ ही 16 अक्टूबर को अभियोजन को अपना गवाह पेश करने का आदेश दिया है.

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अदालत के समक्ष अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक अशोक श्रीवास्तव का कहना था कि इस मामले की एफआईआर थाना चौक में दर्ज हुई थी. विवेचना के दौरान नाबालिग पीड़िता ने अपने बयान में गैंगरेप का जिक्र किया है, लेकिन अभियुक्तों को बचाने की नियत से जानबूझकर कम दंडनीय धाराओं में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया.

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