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राधा रानी की नगरी बरसाने में खेली गई लड्डू की होली, देखें वीडियो

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Published : Mar 11, 2022, 1:26 PM IST

गुरुवार को बरसाना में श्री लाडली जी के मंदिर में लड्डू मार होली का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने पहुंचकर लड्डू मार होली का आनंद लिया.

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मथुरा: पूरे भारत में होली का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में होली के पर्व को अलग ही रूप में मनाया जाता है. यहां बसंत पंचमी के बाद से ही होली की शुरुआत हो जाती है. विभिन्न मंदिरों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यहां रंगों की होली के साथ-साथ फूलों की, लड्डू की और लट्ठमार होली खेलने का प्रचलन है. जिसे खेलने व देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु मथुरा पहुंचते हैं. वहीं, गुरुवार को बरसाना में श्री लाडली जी के मंदिर में लड्डू मार होली का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने पहुंचकर लड्डू मार होली का आनंद लिया.

यूं शुरू हुई बरसाने में लड्डू होली

माना जाता है कि द्वापर युग में बरसाना में होली खेलने के लिए राधा रानी के पिता वृषभानु जी ने नंदगांव की सखियों को निमंत्रण लेकर कान्हा के पिता नंदबाबा के पास भेजा था. नंदबाबा ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और स्वीकृति का पत्र पंडा के हाथों बरसाना भेजा. बरसाने में वृषभानु ने नंदगांव से आए लोगों का स्वागत किया और थाली में पंडों को लड्डू खाने को दिया. इस बीच बरसाने की गोपियों ने पंडे को गुलाल लगा दिया, फिर क्या था पंडे ने गोपियों को लड्डुओं से मारना शुरू कर दिया. इस तरह लड्डू मार होली की परंपरा बरसाने में शुरू हुई.

बरसाने में खेली गई लड्डू की होली

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बरसाना की लड्डू मार होली का श्रद्धालु ने लिया आनंद

कान्हा की नगरी मथुरा में 5 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन से ही होली की शुरुआत हो जाती है. बसंत पंचमी को बांके बिहारी मंदिर में ठाकुरजी को गुलाल लगाने की परंपरा है. जिसके बाद 10 मार्च को बरसाना में लड्डू मार होली होती है.11 मार्च को बरसाना में लठमार होली खेली जाती है तो वहीं 12 मार्च को नंद गांव में लठमार होली होती है. इसके बाद 14 मार्च को श्रीकृष्ण जन्मभूमि और द्वारकाधीश मंदिर में रंगों की होली होती है.14 मार्च को बिहारी जी के मंदिर में होली खेली जाती है. 16 मार्च को छड़ी मार होली गोकुल में खेली जाती है. 18 मार्च को होलिका दहन होता है और 19 मार्च को रंगों की होली होती है. 20 मार्च को बलदेव में औरंगा होता है.

भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा और राधाजी की जन्म स्थली बरसाना क्रीड़ा स्थली गोकुल लीला स्थली वृंदावन में होली का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. बरसाना में लड्डू मार होली खेलने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु बरसाना पहुंचते हैं. वहीं गुरुवार को बरसाना के प्रसिद्ध श्री लाडली जी मंदिर में लड्डू मार होली खेली गई,जिसमें देश के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. पिछले 2 सालों से कोरोना के कारण मथुरा में होली नहीं हो पा रही थी. लेकिन इस बार भव्य रूप से होली के आयोजन को देख श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए.

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