इससे पहले 4 बार दल बदल चुके हैं स्वामी प्रसाद मौर्या, जानिए राजनीतिक सफरनामा...

author img

By

Published : Jan 11, 2022, 4:30 PM IST

Updated : Jan 11, 2022, 5:09 PM IST

स्वामी प्रसाद मौर्य.

योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. चुनाव घोषणा होने के बाद मौर्य के सपा में शामिल होने से सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. आइए जानते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफरनामा.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य इसके पहले भी कई दल बदल चुके हैं. पांच बार विधायक रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने पांचवीं बार दल बदला है. स्वामी प्रसाद ने कहा है कि भाजपा में दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के साथ में अन्याय हो रहा था. इस विचारधारा मेरे घुटन महसूस कर रहे थे इसलिए पार्टी को छोड़ रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ नवलकान्त सिन्हा.

गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का जन्म 2 जनवरी 1954 को प्रतापगढ़ में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्स‌िटी से लॉ में स्नातक और एमए की डिग्री की हासिल की है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने 1980 में राजनीति में सक्रिय रूप से कदम रखा. वह इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने और जून 1981 से सन 1989 तक महामंत्री पद पर रहे. इसके बाद 1989 से सन 1991 तक यूपी लोकदल के मुख्य सचिव रहे. मौर्य 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश जनता दल के महासचिव पद पर रहे.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2 जनवरी 1996 को बसपा की सदस्यता ली और प्रदेश महासचिव बने. 1996 में ही मौर्य बसपा के टिकट पर डलमऊ विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. मौर्य मई 2002 से अगस्त 2003 तक उन्हें मंत्री का दर्जा मिला और अगस्त 2003 से सितंबर 2003 तक नेता प्रतिपक्ष भी रहे. इसी तरह 2007 में डलमाऊ विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़े विधानसभा पहुंचे. मौर्य 2007 से 2009 तक मंत्री भी रहे. जनवरी 2008 में मौर्य को बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. वहीं, इसके बाद मौर्य ने 2009 में पडरौना विधानसभा उपचुनाव जीता और केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की मां को हराया. 2012 विधानसभा में मिली हार के बाद मायावती ने स्वामी प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाया और उनकी जगह रामअचल राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य 8 अगस्त 2016 को भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा के टिकट पर 2017 विधानसभा चुनाव में फिर से स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना विधानसभा सीट से विधायक चुने गए और श्रम विभाग, सेवायोजन, शहरी रोजगार और गरीबी उन्मूलन विभागों के मंत्री बने.

वहीं, राजनीतिक जानकारों के अनुसार स्वामी प्रसाद मौर्य की सपा में शामिल होने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह थी कि बेटी संघमित्रा मौर्य के सांसद होने के बाद खुद के लिए पडरौना तो बेटे उत्कृष्ट मौर्य के लिए ऊंचाहार से भारतीय जनता पार्टी की टिकट की मांग कर रहे थे. जबकि भाजपा संगठन इस बार संघमित्रा गौतम के सांसद होने की वजह से स्वामी प्रसाद का भी टिकट काटने की तैयारी कर रही थी. इसके साथ ही 2016 में बसपा से जो टीम स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ आई थी, वह भी अब उनके पीछे-पीछे भाजपा से जाने की तैयारी कर रही है.

इसे भी पढ़ें-BJP को लगा बड़ा झटका, स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में शामिल


वहीं, भाजपा के सूत्रों का कहना है कि वास्तविक वजह यह है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपने पूरे परिवार को संवैधानिक पदों पर सेट करना चाहते थे. जिसका पार्टी संगठन की ओर से इनकार हो गया था. संघमित्रा गौतम के सांसद होने के बाद 2022 के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य को भी टिकट की ना हो गई थी. जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे के लिए भी ऊंचाहार से टिकट मांग रहे थे.

वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार नवलकान्त सिन्हा का मानना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने से विपक्ष को मौका मिलेगा कि वह कह सके कि भारतीय जनता पार्टी के भीतर पिछड़े वर्ग का सम्मान नहीं है, उत्पीड़न किया जाता है. इसीलिए पिछले वर्ष से जुड़े स्वामी प्रसाद मौर्य कितने बड़े नेता थे. उन्होंने भाजपा को छोड़ दिया और उनके साथ में उन्हीं के वर्ग से जुड़े अनेक नेता सपा में शामिल हो गए. इसका डैमेज कंट्रोल भारतीय जनता पार्टी को करना होगा.

Last Updated :Jan 11, 2022, 5:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.