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KGMU Department of Surgery में आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम में पीजी स्टूडेंट्स ने सीखे पेनक्रिएटिक सर्जरी के गुर

किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (KGMU Department of Surgery) लखनऊ के जनरल सर्जरी विभाग के 111 वें स्थापना दिवस के अवसर पर चार दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान पीजी स्टूडेंट्स को पेनक्रियाटिक ट्यूमर, गुर्दे की सर्जरी की बारीकियों की जानकारी विशेषज्ञों ने दी.

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Published : Feb 18, 2023, 4:29 PM IST

Updated : Feb 18, 2023, 10:45 PM IST

केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस

लखनऊ : किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में शुक्रवार को पेनक्रियाटिक ट्यूमर, गुर्दे की सर्जरी की बारीकियों की जानकारी पीजी स्टूडेंट्स को विशेषज्ञों ने दिया. लैप्रोस्कोप से ऑपरेशन कर सस्ती जाली लगाने की नई तकनीक केजीएमयू के डॉक्टरों ने विकसित की है. इसका फायदा गरीब मरीजों को मिलना शुरू हो गया है. अभी तक बड़ा चीरा लगाकर ही सस्ती जाली लगाई जा रही थी. यह बातें केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव अरुण सोनकर ने कहीं.

केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) जनरल सर्जरी विभाग के 111 वें स्थापना दिवस से पूर्व कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. डॉ. उन्होंने बताया कि हॉर्निया में आंत पेट की भीतरी सतह से बाहर आ जाती हैं. इसकी वजह से मरीजों को तमाम तरह की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. मरीज के पेट में दर्द होने लगता है. खाना ठीक से नहीं पचता है. आंतों में रुकावट से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है. ऐसे मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है. आंतों को सही जगह पर लाने के लिए जाली लगाई जाती है.
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस


डॉ. अक्षय ने बताया कि बड़ा चीरा लगाकर आंतों को भीतर करने के लिए सस्ती जाली लगाई जाती है. इसकी कीमत करीब छह से सात हजार रुपये है. लैप्रोस्कोप से लगाई जाने वाली जाली की कीमत करीब 30 हजार रुपये है. उन्होंने बताया कि अब लैप्रोस्कोप से सस्ती जाली भी लगाई जा रही है. अभी तक सस्ती जाली संक्रमण के डर से नहीं लगाई जा रही थी. क्योंकि जाली आंतों के पास लगाई जाती थी. इससे सस्ती जाली के आंतों में चिपकने का खतरा बना रहता है. जो संक्रमण का कारण होता है. पेट में त्वचा की सात परत होती हैं. छठी व सातवीं परत के बीच लैप्रोस्कोप से सस्ती जाली प्रत्यारोपित की जाती है. आंतों के सीधे संपर्क में न होने से संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है. कार्यक्रम में जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. अभिनव अरुण सोनकर डॉ. सुरेंद्र, डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. अवनीश कुमार समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.

देखें पूरी खबर.

अब पीलिया के साथ गॉलब्लैडर के कैंसर का होगा इलाज : अब पीलिया संग गॉल ब्लेडर कैंसर का इलाज मुमकिन हो गया है. गॉल ब्लेडर कैंसर के साथ पीलिया से पीड़ित 100 में 20 मरीजों का ऑपरेशन किया जा सकता है. खून व रेडियोलॉजी से जुड़ी जरूरी जांच कराकर मरीज को ऑपरेशन किया जा सकता है. यह जानकारी चंडीगढ़ पीजीआई जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. लिलेश्वर कमन ने दी. वे शनिवार को केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे. अटल बिहारी वाजपेई सांइटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में डॉ. लिलेश्वर कमन ने कहा कि गॉल ब्लेडर में पथरी को लंबे समय तक नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. समय पर ऑपरेशन न होने ये कैंसर में तब्दील हो सकता है. खासतौर पर तराई इलाकों में रहने वालों में गॉल ब्लेडर पथरी की आशंका अधिक रहती है. पथरी की वजह से मरीज को पेट में दर्द होता है, पर जब पथरी अधिक पुरानी हो जाती है तो दर्द का अहसास कम हो जाता है. धीरे-धीरे पथरी की वजह से कैंसर हो जाता है. ऐसे में पीलिया हो जाता है. कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में फैलने की दशा में पीलिया होता है. पेट के दाहिनी तरफ भारीपन रहता है. पेट में गांठें हो जाती हैं. खाना नहीं पचता है. वजन में भी गिरावट शुरू हो जाती है. ऐसे में जरूरी जांच कराकर ऑपरेशन किया जा सकता है. 20 फीसदी मरीजों को ऑपरेशन कर जान बचाई जा सकती है.

केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस



आगरा के डॉ. एसडी मौर्या ने पित्त की नली में पथरी व रूकावट पर व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि पित्त की नली में पथरी का इलाज लेजर व दूरबीन विधि से किया जा सकता है. यह सफल भी है. केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अभिनव अरुण सोनकर ने कहा कि विभाग में आधुनिक तकनीक से मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है. अब विभाग में लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन अधिक हो रहे हैं. हार्निया, गॉल ब्लेडर, पित्त की नली व आंतों समेत दूसरी बीमारी का इलाज हो रहा है. डॉ. केके सिंह ने कहा कि 111 साल में यहां से 10 विभागों का जन्म हुआ है. पहले न्यूसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, गेस्ट्रो, ट्रॉमा सर्जरी समेत दूसरे विभागों का उदय यहीं से हुआ है. इस मौके पर विभाग के डॉ. संजीव कुमार, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. अवनीश कुमार समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.

10 फीसदी टीबी मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत : टीबी के मरीजों को समय पर इलाज कराना चाहिए. 10 फीसदी फेफड़े की टीबी से पीड़ित मरीजों में ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है. संक्रमण या दूसरे कारणों से फेफड़ा फट जाता है. इससे मरीज की जान जोखिम में पड़ जाती है. जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि फेफड़े में संक्रमण, टीबी या निमोनिया के बढ़ने की वजह से मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है. खांसी आती है. मरीज को लगातार बुखार बना रहता है। भूख नहीं लगती है. उन्होंने बताया कि फेफड़ा फटने या फिर संक्रमण की दशा में ऑपरेशन कर मरीज को नया जीवन दिया जा सकता है.

हृदय की सर्जरी और सिजेरियन प्रसव एक साथ
हृदय की सर्जरी और सिजेरियन प्रसव एक साथ

हृदय की सर्जरी और सिजेरियन प्रसव एक साथ : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में एक महिला के हृदय की सर्जरी के साथ सीजेरियन प्रसव एक साथ करके चिकित्सा जगत में इतिहास रचा है. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि यह महिला दिल की एक बहुत ही गंभीर बीमारी से पीड़ित थी. इस बीमारी का इलाज सर्जरी के माध्यम से संभव था, लेकिन गर्भावस्था के कारण कोई भी चिकित्सा संस्थान इस सर्जरी को करने के लिये तैयार नहीं था. क्योंकि इससे जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा हो सकता था. केजीएमयू में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. नौ फरवरी को केजीएमयू में आशा पिलखवा की सीजेरियन सेक्शन के बाद हार्ट सर्जरी हुई. इस सर्जरी के बाद जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. शुक्रवार को आशा और उनके बच्चे को केजीएमयू से डिस्चार्ज कर दिया गया.

डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि 27 वर्षीय महिला आशा पिलखवा को उत्तराखंड से किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में इलाज के लिए लाया गया था. गर्भावस्था के साथ जानलेवा हृदय रोग होने के कारण उन्हें उत्तराखंड के कई अस्पतालों से रेफर किया गया था. क्योंकि ज्यादातर ऐसे मरीज सक्रिय प्रसव के दौरान या एनेस्थीसिया के बाद बेहोश हो जाते हैं. क्योंकि उनका दिल बड़ी सर्जरी को बर्दाश्त नहीं कर सकता. ऐसे में उत्तराखंड के विभिन्न अस्पतालों ने सर्जरी से मना कर दिया और उच्च केंद्र के लिए रेफर कर दिया गया. दुर्भाग्य से आशा पिलखवा गर्भवती होने से पहले अपने दिल का ऑपरेशन कराने से चूक गईं. दिल की जानलेवा बीमारी के साथ बच्चे की डिलीवरी एक बड़ी चुनौती थी. ऐसे में सीजेरियन सेक्शन और हार्ट सर्जरी से बच्चे के जन्म के दौरान मां की मृत्यु की संभावना अधिक थी. एमयू के प्रसूति रोग विशेषज्ञ, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट और कार्डियक सर्जन ने मिलकर आशा पिलखवा को इस दिक्कत से निकालने के लिये एक साथ बैठकर विचार किया. चर्चा के बाद डॉक्टरों ने तय किया कि एक ही सिटिंग में सीजेरियन सेक्शन और कार्डियक सर्जरी करके आशा और उसके बच्चे को बचाया जा सकता है. इस सफल सर्जरी में एनेस्थीसिया प्रो. जीपी सिंह, डॉ. करन कौशिक, डॉ. रति प्रभा, प्रसूति एवं स्त्री विभाग- प्रो. सुजाता देव, डॉ. वंदना सोलंकी, डॉ. नम्रता और सीवीटीएस- प्रो.एसके सिंह, डॉ. विवेक, डॉ. भूपेंद्र, डॉ. जीशान शामिल रहे.

यह भी पढ़ें : Encounter In Kushinagar: ग्राहक सेवा केंद्र पर लूट को अंजाम देने वाले दो बदमाश गिरफ्तार

केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस

लखनऊ : किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में शुक्रवार को पेनक्रियाटिक ट्यूमर, गुर्दे की सर्जरी की बारीकियों की जानकारी पीजी स्टूडेंट्स को विशेषज्ञों ने दिया. लैप्रोस्कोप से ऑपरेशन कर सस्ती जाली लगाने की नई तकनीक केजीएमयू के डॉक्टरों ने विकसित की है. इसका फायदा गरीब मरीजों को मिलना शुरू हो गया है. अभी तक बड़ा चीरा लगाकर ही सस्ती जाली लगाई जा रही थी. यह बातें केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव अरुण सोनकर ने कहीं.

केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) जनरल सर्जरी विभाग के 111 वें स्थापना दिवस से पूर्व कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. डॉ. उन्होंने बताया कि हॉर्निया में आंत पेट की भीतरी सतह से बाहर आ जाती हैं. इसकी वजह से मरीजों को तमाम तरह की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. मरीज के पेट में दर्द होने लगता है. खाना ठीक से नहीं पचता है. आंतों में रुकावट से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है. ऐसे मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है. आंतों को सही जगह पर लाने के लिए जाली लगाई जाती है.
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस


डॉ. अक्षय ने बताया कि बड़ा चीरा लगाकर आंतों को भीतर करने के लिए सस्ती जाली लगाई जाती है. इसकी कीमत करीब छह से सात हजार रुपये है. लैप्रोस्कोप से लगाई जाने वाली जाली की कीमत करीब 30 हजार रुपये है. उन्होंने बताया कि अब लैप्रोस्कोप से सस्ती जाली भी लगाई जा रही है. अभी तक सस्ती जाली संक्रमण के डर से नहीं लगाई जा रही थी. क्योंकि जाली आंतों के पास लगाई जाती थी. इससे सस्ती जाली के आंतों में चिपकने का खतरा बना रहता है. जो संक्रमण का कारण होता है. पेट में त्वचा की सात परत होती हैं. छठी व सातवीं परत के बीच लैप्रोस्कोप से सस्ती जाली प्रत्यारोपित की जाती है. आंतों के सीधे संपर्क में न होने से संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है. कार्यक्रम में जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. अभिनव अरुण सोनकर डॉ. सुरेंद्र, डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. अवनीश कुमार समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.

देखें पूरी खबर.

अब पीलिया के साथ गॉलब्लैडर के कैंसर का होगा इलाज : अब पीलिया संग गॉल ब्लेडर कैंसर का इलाज मुमकिन हो गया है. गॉल ब्लेडर कैंसर के साथ पीलिया से पीड़ित 100 में 20 मरीजों का ऑपरेशन किया जा सकता है. खून व रेडियोलॉजी से जुड़ी जरूरी जांच कराकर मरीज को ऑपरेशन किया जा सकता है. यह जानकारी चंडीगढ़ पीजीआई जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. लिलेश्वर कमन ने दी. वे शनिवार को केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे. अटल बिहारी वाजपेई सांइटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में डॉ. लिलेश्वर कमन ने कहा कि गॉल ब्लेडर में पथरी को लंबे समय तक नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. समय पर ऑपरेशन न होने ये कैंसर में तब्दील हो सकता है. खासतौर पर तराई इलाकों में रहने वालों में गॉल ब्लेडर पथरी की आशंका अधिक रहती है. पथरी की वजह से मरीज को पेट में दर्द होता है, पर जब पथरी अधिक पुरानी हो जाती है तो दर्द का अहसास कम हो जाता है. धीरे-धीरे पथरी की वजह से कैंसर हो जाता है. ऐसे में पीलिया हो जाता है. कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में फैलने की दशा में पीलिया होता है. पेट के दाहिनी तरफ भारीपन रहता है. पेट में गांठें हो जाती हैं. खाना नहीं पचता है. वजन में भी गिरावट शुरू हो जाती है. ऐसे में जरूरी जांच कराकर ऑपरेशन किया जा सकता है. 20 फीसदी मरीजों को ऑपरेशन कर जान बचाई जा सकती है.

केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस



आगरा के डॉ. एसडी मौर्या ने पित्त की नली में पथरी व रूकावट पर व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि पित्त की नली में पथरी का इलाज लेजर व दूरबीन विधि से किया जा सकता है. यह सफल भी है. केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अभिनव अरुण सोनकर ने कहा कि विभाग में आधुनिक तकनीक से मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है. अब विभाग में लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन अधिक हो रहे हैं. हार्निया, गॉल ब्लेडर, पित्त की नली व आंतों समेत दूसरी बीमारी का इलाज हो रहा है. डॉ. केके सिंह ने कहा कि 111 साल में यहां से 10 विभागों का जन्म हुआ है. पहले न्यूसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, गेस्ट्रो, ट्रॉमा सर्जरी समेत दूसरे विभागों का उदय यहीं से हुआ है. इस मौके पर विभाग के डॉ. संजीव कुमार, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. अवनीश कुमार समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.

10 फीसदी टीबी मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत : टीबी के मरीजों को समय पर इलाज कराना चाहिए. 10 फीसदी फेफड़े की टीबी से पीड़ित मरीजों में ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है. संक्रमण या दूसरे कारणों से फेफड़ा फट जाता है. इससे मरीज की जान जोखिम में पड़ जाती है. जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि फेफड़े में संक्रमण, टीबी या निमोनिया के बढ़ने की वजह से मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है. खांसी आती है. मरीज को लगातार बुखार बना रहता है। भूख नहीं लगती है. उन्होंने बताया कि फेफड़ा फटने या फिर संक्रमण की दशा में ऑपरेशन कर मरीज को नया जीवन दिया जा सकता है.

हृदय की सर्जरी और सिजेरियन प्रसव एक साथ
हृदय की सर्जरी और सिजेरियन प्रसव एक साथ

हृदय की सर्जरी और सिजेरियन प्रसव एक साथ : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में एक महिला के हृदय की सर्जरी के साथ सीजेरियन प्रसव एक साथ करके चिकित्सा जगत में इतिहास रचा है. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि यह महिला दिल की एक बहुत ही गंभीर बीमारी से पीड़ित थी. इस बीमारी का इलाज सर्जरी के माध्यम से संभव था, लेकिन गर्भावस्था के कारण कोई भी चिकित्सा संस्थान इस सर्जरी को करने के लिये तैयार नहीं था. क्योंकि इससे जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा हो सकता था. केजीएमयू में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. नौ फरवरी को केजीएमयू में आशा पिलखवा की सीजेरियन सेक्शन के बाद हार्ट सर्जरी हुई. इस सर्जरी के बाद जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. शुक्रवार को आशा और उनके बच्चे को केजीएमयू से डिस्चार्ज कर दिया गया.

डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि 27 वर्षीय महिला आशा पिलखवा को उत्तराखंड से किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में इलाज के लिए लाया गया था. गर्भावस्था के साथ जानलेवा हृदय रोग होने के कारण उन्हें उत्तराखंड के कई अस्पतालों से रेफर किया गया था. क्योंकि ज्यादातर ऐसे मरीज सक्रिय प्रसव के दौरान या एनेस्थीसिया के बाद बेहोश हो जाते हैं. क्योंकि उनका दिल बड़ी सर्जरी को बर्दाश्त नहीं कर सकता. ऐसे में उत्तराखंड के विभिन्न अस्पतालों ने सर्जरी से मना कर दिया और उच्च केंद्र के लिए रेफर कर दिया गया. दुर्भाग्य से आशा पिलखवा गर्भवती होने से पहले अपने दिल का ऑपरेशन कराने से चूक गईं. दिल की जानलेवा बीमारी के साथ बच्चे की डिलीवरी एक बड़ी चुनौती थी. ऐसे में सीजेरियन सेक्शन और हार्ट सर्जरी से बच्चे के जन्म के दौरान मां की मृत्यु की संभावना अधिक थी. एमयू के प्रसूति रोग विशेषज्ञ, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट और कार्डियक सर्जन ने मिलकर आशा पिलखवा को इस दिक्कत से निकालने के लिये एक साथ बैठकर विचार किया. चर्चा के बाद डॉक्टरों ने तय किया कि एक ही सिटिंग में सीजेरियन सेक्शन और कार्डियक सर्जरी करके आशा और उसके बच्चे को बचाया जा सकता है. इस सफल सर्जरी में एनेस्थीसिया प्रो. जीपी सिंह, डॉ. करन कौशिक, डॉ. रति प्रभा, प्रसूति एवं स्त्री विभाग- प्रो. सुजाता देव, डॉ. वंदना सोलंकी, डॉ. नम्रता और सीवीटीएस- प्रो.एसके सिंह, डॉ. विवेक, डॉ. भूपेंद्र, डॉ. जीशान शामिल रहे.

यह भी पढ़ें : Encounter In Kushinagar: ग्राहक सेवा केंद्र पर लूट को अंजाम देने वाले दो बदमाश गिरफ्तार

Last Updated : Feb 18, 2023, 10:45 PM IST
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