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उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का कथक केंद्र उपेक्षा का शिकार, गुरु बिना कथक सीखने वाले लाचार

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 31, 2023, 9:56 PM IST

Updated : Aug 31, 2023, 11:26 PM IST

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के कथक केंद्र में एक दशक से निदेशक और सात वर्ष से कथक गुरु का पद खाली है. केंद्र की आखिरी निदेशक कथक नृत्यांगना कपिला राज वर्ष 2012 तक रहीं. वर्ष 2015 तक कथक केंद्र के गुरु सुरेंद्र सैकिया रहे. इसके बाद से कथक गुरु और निदेशक का पद नहीं भरा गया. ऐसे में कथक सीखने वालों के लिए कथक केंद्र बेगाना सा लग रहा है.

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उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का कथक केंद्र उपेक्षा का शिकार. देखें खबर


लखनऊ : अवध के कथक कलाकारों ने भले ही दुनिया में शहर को दुनिया में पहचान दिलाई हो, लेकिन अपनी ही जमीन पर अनदेखी का शिकार है. लखनऊ से ही पंडित लच्छू महाराज, पदमविभूषण पंडित बिरजू महाराज ने कथक को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. लच्छू महाराज के अथक प्रयासों से ही कथक केंद्र की स्थापना हुई. कथक केंद्र के 51 वर्ष पूरे हो गए हैं. प्रदेश के पहले कथक केंद्र में सात वर्षों से निदेशक और कथक गुरु नहीं है.

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का कथक केंद्र उपेक्षा का शिकार.
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का कथक केंद्र उपेक्षा का शिकार.
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का कथक केंद्र उपेक्षा का शिकार.
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का कथक केंद्र उपेक्षा का शिकार.


कथक केंद्र के निदेशक व पहले कथक गुरु पंडिट लच्छू महाराज वर्ष 1972 से 1078 तक रहे. इसके बाद निदेशक विक्रम सिंघे बने जो बाद में कथक गुरु भी रहे. फिर निदेशक दमयंती जोशी और वर्ष 2000 में कथक नृत्यांगना कपिला राज निदेशक बनीं. इसी तरह कथक गुरुओं में राममोहन मिश्र, गुरु पंडित अर्जुन मिश्र व सुरेंद्र सैकिया आखिरी कथक गुरु रहे. वक्त-वक्त पर प्रशासनिक अधिकारियों ने निदेशक पद का कार्यभार संभाला, लेकिन कथक गुरु का पद अभी तक रिक्त है. मौजूदा समय में बिना कथक गुरु के आउटसोर्सिंग पर तैनात युवा कलाकर प्रशिक्षण देते हैं. कभी नामी कथक कलाकार देने वाली इस अकादमी के कथक केंद्र में महज सौ बच्चे ही प्रशिक्षण ले रहे हैं.

कुमकुम आदर्श.
कुमकुम आदर्श.


नहीं हैं थ्योरी टीचर : कथक केंद्र में वर्ष 2006 में थ्योरी टीचर पूनम निगम के बाद पद खाली है. सारंगी शिक्षक अर्चना यादव तैनात हैं, लेकिन उनसे अन्य कार्य लिए जाते हैं. पखावज वादक के पद पर तबला वादक की तैनाती है. चार वर्ष पहले पखावज वादक के रिटायर होने के बाद से यह पद खाली है. बैले सहायक के पद पर वर्ष 2015 में रामनारायण शुक्ला के रिटायरमेंट के बाद कोई तैनाती नहीं हुई.



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Last Updated : Aug 31, 2023, 11:26 PM IST
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