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जीवित्पुत्रिका व्रत : आज सूर्यास्त के बाद से ही शुरु हो जाएगा निर्जला व्रत

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Published : Sep 29, 2021, 8:19 AM IST

हिंदू पंचाग के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) का बहुत महत्व है. इसे जिउतिया, जितिया (Jitiya), जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन, जीतिया व्रत भी कहा जाता है.

जीवित्पुत्रिका व्रत
जीवित्पुत्रिका व्रत

लखनऊ : जितिया व्रत छठ व्रत (Chhath Vrat) की तरह ही होता है. जितिया व्रत 28 सितंबर को सूर्यास्त के बाद से शुरू होकर 30 सितंबर सूर्योदय के बाद खोला जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. इतना ही नहीं, संतान प्राप्ति, उनके स्वास्थ्य आदि के लिए भी ये व्रत रखा जाता है.

जितिया व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर दशमी को व्रत खोला जाता है. प्रथम दिन यानि अष्मटी के दिन नहाए खाए होता है और फिर 29 सितंबर को निर्जला व्रत रखा जाता है. ये व्रत मुख्यरूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रखा जाता है. जितिया व्रत के दौरान व्रत रखा जाता है, कथा सुनी जाती है. इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी.

जितिया इस साल 27-29 सितंबर तक मनाया जाएगा और व्रत 28 सितंबर को शुरू होगा. इस बार जितिया व्रत की टाइमिंग को लेकर हिंदू पंचांग एकमत नहीं है. बनारसी पंचांग और मिथिला पंचांग में समय अलग-अलग दिए गए हैं. इस बार जितिया व्रत दो दिनों का है. 27 सितंबर को नहाय-खाय और ओठगन प्रात: चार बजे तक रहेगा. इसके बाद 28 सितंबर को निर्जला व्रत शुरू होगा और 29 सितंबर को शाम 5:10 बजे तक रहेगा. यानि इस बार निर्जला व्रत लगभग 36 घंटे का होगा. व्रत का पारण 30 सितंबर को किया जाएगा. मान्यता है कि जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण दोपहर 12 बजे तक कर लेना चाहिए.

जितिया व्रत का महत्व

जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, निरोगी जीवन और खुशहाली के लिए करती है. तीन दिनों तक चलने वाले इस व्रत का काफी महत्व है. वंश वृद्धि के लिए भी इस व्रत को करना शुभ माना जाता है.

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