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लखनऊ: विधायक की चिठ्ठी नहीं आई काम, विवेचना ट्रांसफर करने का आदेश खारिज

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Published : Nov 23, 2019, 10:41 AM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी में हत्या के प्रयास के मामले में विधायक के कहने पर आरोप पत्र दाखिल होने के बावजूद केस सीबीसीआईडी के सुपुर्द विवेचना कर दी गई थी.

विवेचना ट्रांसफर करने का आदेश खारिज

लखनऊ: हत्या के प्रयास के एक मामले में गृह विभाग के विशेष सचिव ने भाजपा विधायक की चिठ्ठी पर आरोप पत्र दाखिल हो जाने के बावजूद विवेचना सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दिया. न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने भवानी फेर दूबे की याचिका पर दिया.

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विवेचना ट्रांसफर करने का आदेश खारिज

मामले की विवेचना हाईकोर्ट के ही आदेश पर जीआरपी के एसपी की निगरानी में हुई थी. याची की ओर से कहा गया था कि उसका बेटा स्लीपर क्लास में ट्रेन से यात्रा कर रहा था, लेकिन उसके पास जनरल क्लास का टिकट था. चेकिंग के दौरान टीटीई अनिल कुमार सिंह ने उससे टिकट मांगा तो उसने सारी परिस्थिति बताकर फाइन भरने की बात कही.


जानें क्या था पूरा मामला-

  • हत्या के प्रयास के मामले में गृह विभाग के विशेष सचिव ने आरोप पत्र दाखिल किया था.
  • आरोप पत्र दाखिल हो जाने के बावजूद विवेचना सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दी गई थी.
  • ट्रायल कोर्ट को यह आदेश भी दिया गया है कि मामले की सुनवाई शीघ्रता से पूरी की जाए.
  • साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन निर्देशों का ट्रायल कोर्ट सख्ती से पालन करे.

याचिका में कहा गया कि आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बावजूद अभियुक्त को लाभ पहुंचाने की नियत से विशेष सचिव ने भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के कहने पर 19 जून 2018 को केस विवेचना के लिए सीबीसीआईडी के सौंप दिया गया. हालांकि न्यायालय ने 23 जुलाई 2018 को ही विवेचना ट्रांसफर किये जाने पर रोक लगा दी थी. मामले पर अब अंतिम निर्णय देते हुए न्यायालय ने कहा है कि विवेचना ट्रांसफर किये जाने का आदेश गलत था लिहाजा इसे खारिज किया जाता है.

विधायक की चिठ्ठी नहीं आई काम, विवेचना ट्रांसफर करने का आदेश खारिज
हत्या के प्रयास के मामले में विधायक के कहने पर आरोप पत्र दाखिल होने के बावजूद विवेचना कर दी गई थी सीबीसीआईडी के सिपूर्द
विधि संवाददाता
लखनऊ। हत्या के प्रयास के एक मामले में गृह विभाग के विशेष सचिव ने भाजपा विधायक की चिठ्ठी पर आरोप पत्र दाखिल हो जाने के बावजूद विवेचना सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दिया था। लेकिन अभियुक्त को विधायक की इस चिठ्ठी का कोई फाएदा नहीं हुआ, क्योंकि पहले तो हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवेचना ट्रांसफर किये जाने के उक्त आदेश पर रोक लगाई और अब आदेश को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट को यह आदेश भी दिया है कि मामले की सुनवाई शीघ्रता से पूरी की जाए व अनावश्यक रूप से सुनवाई को टाला न जाए। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन निर्देशों का ट्रायल कोर्ट सख्ती से पालन करे।
    यह आदेश न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन व न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने भवानी फेर दूबे की याचिका पर दिया। मामले की विवेचना हाईकोर्ट के ही आदेश पर जीआरपी के एसपी की निगरानी में हुई थी। याची की ओर से कहा गया था कि उसका बेटा स्लीपर क्लास में ट्रेन से यात्रा कर रहा था लेकिन उसके पास जनरल क्लास का टिकट था। चेकिंग के दौरान टीटीई अनिल कुमार सिंह ने उससे टिकट मांगा तो उसने सारी परिस्थिति बताकर फाइन भरने की बात कही। टीटीई ने फाइन के बावजूद और पैसे की मांग की जिस पर उसके बेटे ने मना किया तो टीटीई ने उसे पिस्टल दिखाकर धमकाया और धक्का दे दिया। ट्रेन से गिरने के कारण उसके बेटे को गम्भीर चोटें आईं। याची ने एफआईआर लिखाई लेकिन सही जांच ने होने के कारण हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर न्यायालय के आदेश पर जीआरपी के एसपी के देखरेख में विवेचना हुई और विवेचक ने कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया जिस पर निचली अदालत ने संज्ञान भी ले लिया।
    याचिका में कहा गया कि आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बावजूद अभियुक्त को लाभ पहुंचाने की नियत से विशेष सचिव ने भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के कहने पर 19 जून 2018 को केस विवेचना के लिए सीबीसीआईडी के सौंप दिया गया। हालांकि न्यायालय ने 23 जुलाई 2018 को ही विवेचना ट्रांसफर किये जाने पर रोक लगा दी थी। मामले पर अब अंतिम निर्णय देते हुए न्यायालय ने कहा है कि विवेचना ट्रांसफर किये जाने का आदेश गलत था लिहाजा इसे खारिज किया जाता है।
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