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बसंतर की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना को भारतीय रणबांकुरों ने चटाई थी धूल, मैदान छोड़ कर भाग खड़े हुए थे दुश्मन

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 16, 2023, 7:07 PM IST

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भारत ने पाकिस्तान समेत कई देशों से युद्ध किए और देश के रणबांकुरों ने कभी तिरंगे को झुकने नहीं दिया. बसंतर का ऐतिहासिक युद्ध में भी भारत के जांबाजों ने अपने रण कौशल से पाकिस्तानी दुश्मन सेना को धूल चटाई और मैदान छोड़ कर भागने पर विवश कर दिया था.

लखनऊ : देश में हुए तमाम युद्धों के बारे में तो देशवासियों को जानकारी है, लेकिन कुछ युद्ध ऐसे भी हुए हैं जिन्हें प्रसिद्धि तो कम मिली, लेकिन हमारे वीर जवानों ने उस युद्ध में अपने रणकौशल का ऐसा प्रदर्शन किया जो दुश्मन सेना को नाकों चने चबाने वाला साबित हुआ. दुश्मन सेना पर हमारे वीर योद्धा इतने भारी पड़े कि रणभूमि में विरोधी सेना के पास भागने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा. पाकिस्तानी दुश्मन सेना हमारे वीर सैनिकों के आगे नतमस्तक हुई. ऐसे युद्ध का नाम है "बसंतर की लड़ाई".

बसंतर की लड़ाई' की 52वीं वर्षगांठ पर जुटे सैन्य अधिकारी.
बसंतर की लड़ाई' की 52वीं वर्षगांठ पर जुटे सैन्य अधिकारी.
ऐतिहासिक 'बसंतर की लड़ाई' की 52वीं वर्षगांठ का भारतीय सेना की तरफ से पारंपरिक गौरव और गंभीरता के साथ आयोजन किया गया. युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के सम्मान में लेफ्टिनेंट जनरल संजय मित्रा, अति विशिष्ट सेवा मेडल, जनरल ऑफिसर कमांडिंग स्ट्राइक 1 और इस अवसर पर उपस्थित सभी पूर्व सैनिकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. 'बसंतर की लड़ाई' इतिहास के पन्नों में दर्ज सबसे भीषण युद्धों में से एक है. इसमें एक ही दिन में स्ट्राइक 1 के बहादुरों सैनिकों ने दुश्मन के 53 टैंकों को नष्ट कर दिया और उनके इलाके में बड़े पैमाने पर जमीन पर कब्जा कर लिया, जिससे लड़ने के लिए दुश्मन का मनोबल और इच्छाशक्ति टूट गई.
बसंतर की लड़ाई' की 52वीं वर्षगांठ पर जुटे सैन्य अधिकारी.
बसंतर की लड़ाई' की 52वीं वर्षगांठ पर जुटे सैन्य अधिकारी.

मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह ने बताया कि पांच युद्ध सम्मान, दो परमवीर चक्र, 10 महावीर चक्र, 42 वीर चक्र, 89 सेना मेडल और 28 मेंशन इन डिस्पैच उन यूनिटों और वीर सैनिकों को प्रदान किए गए. जिनकी बहादुरी के पराक्रम ने सामूहिक रूप से और अकेले ही ऑपरेशन की सफलता में योगदान दिया. 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान स्ट्राइक 1 की तरफ से दिखाई गई वीरता और पराक्रम भावी पीढ़ी के लिए इतिहास के पन्नों में स्थायी रूप से दर्ज हो गए. इस अवसर पर जनरल ऑफिसर कमांडिंग स्ट्राइक 1 ने सभी रैंकों को राष्ट्र की सेवा के प्रति खुद को फिर से समर्पित करने और देश के हित को सर्वोपरि रखने के लिए प्रोत्साहित किया.

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