लखनऊ: कोरोना संक्रमण (Corona Virus) ने देश की पूरी अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है. कोई भी उद्योग ऐसा नहीं है जो इससे प्रभावित न हुआ हो, लेकिन होटल इंडस्ट्री उन चुनिंदा कारोबारों में से है, जिस पर इस संक्रमण का ज्यादा असर पड़ा है. उत्तर प्रदेश में करोड़ों की होटल इंडस्ट्री (Hotel Industry) इस समय पूरी तरह से बंद चल रही है. यहां काम करने वाले हजारों लोग घरों में बैठे हैं. बड़ी संख्या में बेरोजगार हो गए हैं.
करोड़ों का हो रहा नुकसान
उत्तर प्रदेश होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के आंकड़ों पर भरोसा करें तो प्रदेश में सिर्फ इस संगठन से जुड़े सदस्यों की संख्या 5500 से ज्यादा है. इसमें कई छोटे-बड़े रेस्त्रों के साथ के साथ 5 सितारा और 7 सितारा होटल भी शामिल हैं. एक अनुमान के मुताबिक 50 से 60 लाख लोग इस इंडस्ट्री से सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए. मौजूदा हालातों में हर महीने यह उद्योग 350 से लेकर 500 करोड़ तक का नुकसान उठा रहा है. जिसे वापस लौटे में अभी कम से कम 1 से 2 साल का समय लगना लगभग तय है.
90% तक है बिजनेस लॉस
होटल इंडस्ट्री का 60% कारोबार शादी जैसे दूसरे आयोजनों पर निर्भर है. वहीं 40% कॉर्पोरेट क्लाइंट के भरोसे चलता है. कम्फर्ट होटल विस्ता के मैनेजिंग डायरेक्टर कुणाल अमरनानी कहते हैं कि कॉर्पोरेट को ऑनलाइन मीटिंग और वर्क फ्रॉम होम की आदत पड़ चुकी है. इसलिए अगर हम सोचे कि कोरोना की दूसरी वेब खत्म हो जाने पर यह बिजनेस सामान्य हो जाएगा तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.
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कुणाल ने बताया कि बीते कुछ समय में 80 से 90% तक का बिजनेस लॉस हुआ है. कोरोना संक्रमण के बीते हुए 1 साल में कई होटल बंद हुए हैं. आने वाले एक-दो सालों में और भी बंद होंगे. होटल बेंचे जाएंगे. असल में यह इंडस्ट्री भारी निवेश मांगती है. बड़ी संख्या में लोग ऐसे हैं, जिन्होंने भारी लोन लेकर प्रोजेक्ट शुरू किया. कई लोगों ने अपनी प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन लिया है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से कारोबार ठप होने के कारण इसकी स्थिति बिगड़ गई है. इसका असर आने वाले दो-तीन सालों तक दिखना तय हैं.
समझ नहीं आ रहा कैसे बढ़ाएं बिजनेस
स्काई होटल के जनरल मैनेजर ज्ञानेश ने बताया कि कोरोना की पहली लहर से जैसे-तैसे यह उद्योग उबरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन दूसरी लहर के बाद कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया. शादी जैसे कार्यक्रम पूरी तरह से बंद हो गए. कॉर्पोरेट क्लाइंट जो पहली लहर के बाद जैसे-तैसे आने की हिम्मत जुटा रहे थे, वह भी वापस लौट गए. कामकाज पूरी तरह से ठप है, लेकिन बिजली का बिल, बार का लाइसेंस शुल्क जैसे खर्चे लगातार हो रहे हैं. ज्ञानेश कहते हैं कि समझ में नहीं आ रहा बिजनेस को कैसे बढ़ाया जाए.
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हॉस्पिटैलिटी ठप होने से कई बिजनेस प्रभावित
लाइफस्टाइल क्लब 'द सेंट्रम' के पार्टनर सर्वेश गोयल कहते हैं कि हॉस्पिटैलिटी सिर्फ एक इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है. इससे बहुत सारे बिजनेस जुड़े हैं. यहां शादियां बहुत होती हैं. फिर चाहे कपड़ा हो, बैंड बाजा हो, कैटरिंग हो, डेकोरेशन हो जैसे कई बिजनेस इससे जुड़ जाते हैं. कोरोना संक्रमण और उसके बाद की स्थिति के चलते यह सब बंद हैं. इस इंडस्ट्री में निवेश बहुत ज्यादा है.
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केंद्र और राज्य सरकार से यह हैं उम्मीदें
'द सेंट्रम' के पार्टनर सर्वेश गोयल कहते हैं कि इस उद्योग को दोबारा रफ्तार देने में केंद्र और राज्य सरकार दोनों की समान भूमिकाएं हैं. इस उद्योग को इन से काफी उम्मीदें भी हैं.
- केंद्र सरकार को इस इंडस्ट्री से जुड़े कर्ज की ब्याज दर को कम कर देना चाहिए. कारोबारियों को समय सीमा में भी छूट देने की जरूरत है. इससे स्थितियां सामान्य होने पर कारोबारी आसानी से अपना लोन चुका सकेंगे.
- राज्य सरकार के पास होटल को इंडस्ट्री घोषित किए जाने के संबंध में प्रस्ताव काफी समय से लंबित है. राज्य सरकार से अनुरोध है कि वह इस दिशा में सोचें. सरकार के निर्णय से इस इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों को बहुत बड़ी राहत पहुंचेगी.
- इंडस्ट्री पूरी तरह से ठप पड़ी है. राज्य सरकार की ओर से बार लाइसेंस समेत अन्य शुल्क लिए गए हैं. सरकार से मांग है कि जिस दौर में इंडस्ट्री को बंद रखा गया, उस समय के शुल्क को आगे समायोजित किया जाए.
- कोरोना संक्रमण का प्रकोप इधर कुछ कम हुआ है. ऐसे में जल्द ही उद्योगों के खुलने के संबंध में सरकार के स्तर पर फैसले लिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है. इस इंडस्ट्री की मांग है कि कई बार सरकार आयोजनों में उपस्थित लोगों की संख्या तय कर देती है. इसे न किया जाए.
- सर्वेश गोयल का कहना है कि कई ऐसे आयोजन स्थल हैं जो बहुत बड़े होते हैं और कई आयोजन स्थल छोटे भी हैं. इन हालातों के मद्देनजर आयोजनों में लोगों की संख्या निर्धारित करने की वजह एरिया के हिसाब से मानक तय किया जाए. जैसे अगर एक निर्धारित स्क्वायर फीट एरिया है तो एक निर्धारित संख्या तक लोग शामिल हो सकते हैं.