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गोमती नदी का वोट बैंक होता तो आज वह भी स्वच्छ होती, 10 हजार करोड़ हो चुके हैं खर्च

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Published : Apr 12, 2023, 10:07 AM IST

Updated : Apr 12, 2023, 10:22 AM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की लाइफ लाइन गोमती को स्वच्छ और निर्मल बनाने की मुहिम वर्षों से चल रही है. वर्ष 1984 से अबतक विभिन्न सरकारों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं, लेकिन गोमती नदी आज तक साफ नहीं हो सकी है.

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Lucknow News : गोमती नदी का वोट बैंक होता तो आज वह भी स्वच्छ होती.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव की घोषणा हो चुकी है. चुनाव की घोषणा होने के साथ ही उन समस्याओं की ओर भी ध्यान जाना शुरू हो गया है, जो नगर निगम और निकाय से जुड़ी होती हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी की बात करें तो 1984 से लेकर 2023 तक गोमती नदी को स्वच्छ करने के नाम पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, मगर नतीजा यह है कि आज भी गोमती में डेढ़ दर्जन नाले सीधे गिर रहे हैं. सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के नाम पर तीन एसटीपी काम कर रहे हैं, मगर उनकी क्षमता इतनी नहीं है कि इन सभी नालों का पानी ट्रीट कर सकें. नतीजा यह है कि आज गोमती स्वच्छ नहीं है. पानी में स्नान और आचमन तो दूर गोमती के किनारे टहल भी नहीं सकते. पानी का डिसोल्वड ऑक्सीजन मानकों से कहीं कम है. इससे जलीय वनस्पति और जलीय जीवों पर संकट है.

Gomti River का वोट बैंक होता तो आज वह भी स्वच्छ होती.
Gomti River का वोट बैंक होता तो आज वह भी स्वच्छ होती.
वर्ष 1984 में सबसे पहले कांग्रेस की सरकार में गोमती एक्शन प्लान की शुरुआत की गई. जिसमें गोमती की ड्रेजिंग की बात थी. कुछ काम हुआ और फिर नदी अपनी पुरानी हालत में आ गई. 90 के दशक से लेकर 2000 तक एक बार फिर जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई फिर से गोमती पर काम शुरू हुआ. घाटों का सौंदर्यीकरण हुआ और ड्रेजिंग के लिए मशीनें लाई गईं, मगर हालात नहीं बदले. बहुजन समाज पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में आई. एक बार फिर गोमती को निर्मल करने के लिए 300 करोड़ रुपये की लागत से भरवारा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया. बालागंज स्थित जलकल केंद्र की क्षमता को भी बढ़ाया गया, मगर नतीजा सिफर रहा.
Gomti River का वोट बैंक होता तो आज वह भी स्वच्छ होती.
Gomti River का वोट बैंक होता तो आज वह भी स्वच्छ होती.


अखिलेश यादव की सरकार ने हनुमान सेतु से लेकर ला मार्टिनियर कॉलेज तक दोनों ओर 16 किलोमीटर में घाटों पर रिवरफ्रंट विकसित किया था. लगभग साढे़ तीन साल में 14 सौ करोड़ रुपये का खर्च इस परियोजना पर किया गया था, मगर इस योजना के दूसरे हिस्से में गोमती को प्रदूषण मुक्त करने पर काम कभी नहीं किया गया. जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार 2017 में आई तब रिवरफ्रंट परियोजना की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा गोमती को प्रदूषण से बचाने के लिए जीएच कैनाल के मुहाने पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू किया गया. पिछले करीब पांच साल में यह निर्माण 70 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंचा है. इस घोटाले के मामले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अफसर अभी जेल में हैं. इन सबके बीच गोमती का प्रदूषण वैसी ही बना हुआ है. अब हैदर कैनाल पर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है.

Gomti River का वोट बैंक होता तो आज वह भी स्वच्छ होती.
Gomti River का वोट बैंक होता तो आज वह भी स्वच्छ होती.
गोमती प्रदूषण को लेकर लंबे समय से काम कर रहे रिद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि मैया गोमती का कोई वोट बैंक नहीं है. एक वोट भी नहीं दे सकती हैं. इसलिए नेता उनकी ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. मैंने बहुत प्रयास कर लिया, लेकिन अब मैंने भी पत्र लिखना बंद कर दिया है. कुड़िया घाट पर बनाया गया अस्थाई बंधा तक नहीं तोड़ा जा सका है. अनीता तिवारी नाम की महिला ने बताया कि निश्चित तौर पर सरकार के साथ हमारी भी जिम्मेदारी बनती है. हमको भी नदी प्रदूषित नहीं करनी चाहिए. जौनपुर के रहने वाले विनय तिवारी ने बताया कि गोमती जौनपुर में जाकर समाप्त होती हैं. वहां यह ज्यादा स्वच्छ हैं. जबकि लखनऊ राजधानी होने के बावजूद हालात खराब है. नगर विकास मंत्री एके शर्मा का कहना है कि गोमती स्वच्छता को लेकर हमारी सरकार गंभीर है. गोमती में सीधे गिरने वाले नालों को लेकर हैदर कैनाल पर बड़ा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है. यह भी पढ़ें : कोविड पॉजिटिव मरीजों को वायरस के डर से हो रही सांस लेने में समस्या, जानिए विशेषज्ञों की राय
Last Updated : Apr 12, 2023, 10:22 AM IST
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