ETV Bharat / state

जीआई टैग मिलने से देश दुनिया में गौरव बढ़ाएगा पूर्वांचल का गवरजीत आम

author img

By

Published : Nov 21, 2022, 6:01 PM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

इस बाबत निदेशक हॉर्टिकल्चर आर के तोमर (Director Horticulture RK Tomar) और ज्वाइंट डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर (बस्ती) अतुल सिंह का कहना है कि खुशबू और स्वाद में गवरजीत का कोई जवाब नहीं है. आप कह सकते हैं कि चूस कर खाने वाली यह सबसे अच्छी प्रजाति है. मई के लास्ट या जून के पहले हफ्ते में यह बाजार में आ जाती है. 90 फीसद खपत पूर्वांचल में ही हो जाती है.

लखनऊ : बात चाहे खुशबू की हो, स्वाद की हो या रंग की, नाम के अनुरूप गवरजीत आम लोगों का दिल जीत लेता है. पूर्वांचल के गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती और संतकबीरनगर जिलों के लाखों लोगों को आम के सीजन में इसका इंतजार रहता है, ऐसे में अगर गवरजीत को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) मिल जाता है तो इसका गौरव और बढ़ जायेगा. योगी सरकार ने जिन 15 कृषि उत्पादों के जीआई टैगिंग के लिए आवेदन किया है, उसमें गवरजीत भी है.


गवरजीत की खास बात है कि यह आम तेजी से पकता है. सामान्य स्थितियों में इसे बहुत दिन तक रखा नहीं जा सकता. अगर भंडारण की उचित व्यवस्था हो तो इसके निर्यात की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. गोरखपुर पहले ही देश के प्रमुख महानगरों से हवाई सेवा से जुड़ा है. कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनकर तैयार है. अयोध्या में निर्माणाधीन है. पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय होने की वजह से गोरखपुर पहले ही रेल के जरिए पूरे देश से जुड़ा है. पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के नाते रोड कनेक्टिविटी भी अच्छी होगी. इसको जोड़ने वाला गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे इस कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगा. ऐसे में अगर गवरजीत को जीआई टैंगिंग मिल जाती है तो देश-दुनिया में इसके निर्यात की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. इसकी अन्य खूबियों की बात करें तो यह आम की अर्ली प्रजाति है. इसकी आवक दशहरी के पहले शुरू होती है. जब तक डाल की दशहरी आती है तब तक यह आम खत्म हो जाता है. मौसम ठीक ठाक रहे तो डाल के गवरजीत की आवक जून के दूसरे हफ्ते में शुरू हो जाती है.


अमूमन यह आम डाल पर ही पकता है और पत्तियों के साथ बिकता है. मांग इतनी कि इसका सौदा पेड़ में बौर आने के साथ ही हो जाता है. फुटकर खरीदार बाग से ही इसे खरीद लेते हैं. मंडी में यह कम ही आता है. फुटकर दुकानों से ही ग्राहक इसे हाथों हाथ ले लेते हैं. सीजन में सबसे अच्छे भाव गरवजीत के ही मिलते हैं. पिछले सीजन में फुटकर में प्रति किलोग्राम बेहतर गुणवत्ता वाले गरवजीत का भाव 200 रुपये था.


अपनी इन्हीं खूबियों के नाते जून 2016 में लखनऊ के लोहिया पार्क में आयोजित प्रदेश स्तरीय आम महोत्सव में इसे प्रथम पुरस्कार मिला था. इजरायल की मदद से योगी सरकार इसे लोकप्रिय (ब्रांड) बनाने का प्रयास कर रही है. हाल के वर्षों में इसकी लोकप्रियता बढ़ी है. अब सीजन में अगर कोई बस्ती के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से आम के 500 पौध खरीदता है तो उसमें 50 गवरजीत के होते हैं. खरीदने वालों में लखनऊ और आंबेडकर नगर आदि जिलों के भी लोग हैं. यहां के प्रतिष्ठित लोग सीजन में अपने चाहने वालों को बतौर गिफ्ट यह आम भी देते हैं. एक तरह से यहां के लोगों के लिए यह स्टेट्स सिंबल है, चूंकि पूर्वांचल के लोग हर जगह हैं लिहाजा इस रूप में यह मुंबई, कोलकाता और अन्य महानगरों में भी पहुंचता है.


इस बाबत निदेशक हॉर्टिकल्चर आर के तोमर (Director Horticulture RK Tomar) और ज्वाइंट डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर (बस्ती) अतुल सिंह का कहना है कि खुशबू और स्वाद में गवरजीत का कोई जवाब नहीं है. आप कह सकते हैं कि चूस कर खाने वाली यह सबसे अच्छी प्रजाति है. मई के लास्ट या जून के पहले हफ्ते में यह बाजार में आ जाती है. 90 फीसद खपत पूर्वांचल में ही हो जाती है. योगी सरकार की यह पहल सफल रही तो इसका लाभ पूर्वांचल के गोरखपुर देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, बहराइच, गोंडा और श्रावस्ती जिले के लाखों किसानों-बागवानों को इसका मिलेगा. क्योंकि ये सभी जिले एक एग्रोक्लाईमेट जोन (कृषि जलवायु क्षेत्र) में आते हैं.


उल्लेखनीय है कि योगी सरकार ने गवरजीत समेत 15 उत्पादों के जीआई टैंगिंग के लिए आवेदन किया है. इनमें बनारस का लंगड़ा आम, पान पत्ता, बुंदेलखंड का कठिया गेहूं, प्रतापगढ़ का आंवला, बनारस का लाल पेड़ा, लाल भरवा मिर्च, पान (पत्ता), तिरंगी बर्फी, ठंडई, पश्चिम यूपी का चौसा आम, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, जौनपुर की इमरती, मुजफ्फरनगर का गुड़ और रामनगर का भांटा गोल बैगन हैं. इन सबके जीआई पंजीकरण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले कृषि उत्पाद को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है. जीआई टैग द्वारा कृषि उत्पादों के अनाधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है. यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाले कृषि उत्पादों का महत्व बढ़ा देता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीआई टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है. इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है तथा विशिष्ट कृषि उत्पादों को पहचान कर उनका भारत के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात और प्रचार प्रसार करने में आसानी होती है.

यह भी पढ़ें : गुजरात चुनाव में आज फिर सीएम योगी की जनसभाएं, बनाएंगे माहौल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.