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प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर और पर्सनल यूजर आईडी से रेलवे टिकट में हो रही ठगी

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Published : Oct 15, 2020, 7:19 PM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार टिकट बुकिंग में धांधली का मामला सामने आया है. यहां प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर और पर्सनल यूजर आईडी की सहायत से फर्जी टिकट एजेंट ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं.

टिकट बुकिंग में चल रही धांधली.
टिकट बुकिंग में चल रही धांधली.

लखनऊ: रेलवे में टिकट बुकिंग का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. टिकट एजेंट गरीब और मजदूरों को कंफर्म टिकट देने के नाम पर ठगी का शिकार बना रहे हैं. पर्सनल आईडी से टिकट जारी होने का खेल चल रहा है और आरपीएफ अब इस खेल को खत्म करने में जुटी हुई है. आरपीएफ के हत्थे कई ऐसे टिकट एजेंट अब तक चढ़ चुके हैं, जो बड़े ही शातिराना अंदाज से टिकट बुकिंग का यह धंधा चला रहे हैं. पिछले साल डेढ़ दर्जन से ज्यादा तो इस साल अब तक आरपीएफ ने एक दर्जन से ज्यादा फर्जी टिकट एजेंटों को गिरफ्त में लिया है.

टिकट बुकिंग में चल रही धांधली.

लखनऊ बना गोरखधंधे का मुख्य केंद्र

अनलॉक के बाद जैसे ही ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ, वैसे ही टिकट दलाल भी पूरी तरह सक्रिय हो गए. जालसाजों ने आईआरसीटीसी की वेबसाइट में सेंध लगाकर आधा दर्जन से ज्यादा प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर बना डाले. इसके जरिए अवैध रूप से तैयार टिकट बेचने और इस्तेमाल करने का धंधा भी चल पड़ा. एक माह में सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के चार दर्जन के करीब मामले सामने आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ इस गोरखधंधे का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है.

कोलकाता से जुड़े हैं टिकट दलालों के तार

टिकट दलाली का गोरखधंधा किस स्तर तक फल-फूल रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले जहां प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर मुंबई और अहमदाबाद से 25000 रुपये में खरीदे जाते थे, वहीं सॉफ्टवेयर अब महज 3000 रुपये में कोलकाता से आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं. पिछले दिनों पहली बार लखनऊ में नए सॉफ्टवेयर का सुपर सेलर पकड़ा गया था. उसके साथ कोलकाता से सॉफ्टवेयर बेचने वाले सुपर सेलर और सात दलालों समेत कुल 18 एजेंटों के नेटवर्क का खुलासा हुआ. इनमें से ज्यादा दलाल अभी भी रेलवे प्रोटक्शन फोर्स की पकड़ से दूर हैं.

यूट्यूब पर है दलालों की सक्रियता

आरपीएफ को यूट्यूब पर सक्रिय सिंडिकेट का भी पता चला है. यह प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर मोबाइल और लैपटॉप पर इंस्टॉल करता है. व्हाट्सएप पर संपर्क कर ऑनलाइन लेनदेन करता है. नए प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर की मुख्य कड़ी लखनऊ में है. इस पर लगातार आरपीएफ की तरफ से नजर रखी जा रही है.

यह हैं प्रमुख प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर

रेड मिर्ची के बाद रेड मैंगो, द बोल्टी सॉफ्टवेयर प्रमुख हैं. इनके अलावा साढे़ तीन दर्जन से ज्यादा और भी प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर हैं. तत्काल प्लस, तत्काल प्रो, रियल मैंगो, तत्काल सुपरफास्ट और ब्लैक प्रिंट भी प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर हैं.

इस तरह करते हैं सेंधमारी

भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम की वेबसाइट में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से दलाल सेंधमारी करते हैं. एप्लीकेशन खोल कर संबंधित यात्रियों के बैंक का विवरण पहले ही भर देते हैं. कैप्चा का तोड़ भी टिकट एजेंटों ने निकाल लिया है.

इतने दलाल हुए अब तक गिरफ्तार

आरपीएफ इंस्पेक्टर राजेश कुमार बताते हैं कि वर्ष 2019 में लखनऊ जंक्शन पर कुल 13 मामले पकड़े गए थे, जिसमें 20 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसमें 253 टिकट के एवज में 4,52,532 रुपये जुर्माना लिया था. इसी साल 2020 में अब तक 12 मामले पकड़ में आए, जिनमें 15 लोगों को गिरफ्तार किया और 127 टिकटों के एवज में 2,99,034 रुपये जुर्माना वसूला गया.

दरअसल प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर और पर्सनल आईडी से टिकट बुकिंग का यह धंधा इसलिए चल रहा है क्योंकि पकड़े जाने पर आरपीएफ की तरफ से कम जुर्माने का प्रावधान है. कोई भी टिकट एजेंट अगर पकड़ा जाता है तो महज 10000 रुपया जुर्माना देकर छूट जाता है. इसके बाद फिर से वह इसी काम में लिप्त हो जाता है. प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर और पर्सनल आईडी के जरिए टिकट बुक करके एजेंट जरूरतमंदों का हक मार देते हैं. लोग टिकट के लिए लाइन में ही लगे रह जाते हैं और सारे टिकट पहले ही बुक हो जाते हैं.

टिकट एजेंट पर्सनल यूजर आईडी का इस्तेमाल का टिकट जारी कर रहे हैं. इसमें वह गरीबों और मजदूरों को अपना शिकार बना रहे हैं. ज्यादातर पर्सनल आईडी और फिर प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर पकड़ में आए हैं, जिनकी मॉनिटरिंग की जा रही है. लगातार ऐसे दलालों पर कार्रवाई भी कर रहे हैं. जनता को भी जागरूक कर रहे हैं कि वह इन टिकट एजेंटों के झांसे में न आए.

- राजेश कुमार, इंस्पेक्टर, रेलवे सुरक्षा बल

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