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LDA की अलमारियों के ताले टूटे तो बाहर आए फाइलों में कैद राज

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Published : Mar 10, 2021, 8:33 PM IST

लखनऊ विकास प्राधिकरण की ज्वाइंट सेक्रेटरी रितु सुहास ने अपने ही कार्यालय में छापा मारा. इस दौरान LDA की बंद आलमारियों का ताला तोड़ा गया तो ऐसी कई फाइलें मिलीं, जिनमें भ्रष्टाचार के राज कैद थे.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
लखनऊ विकास प्राधिकरण

लखनऊः लखनऊ विकास प्राधिकरण में शुरू हुई फाइल की खोजबीन में उस वक्त बड़े खुलासे होने शुरू हुए जब प्राधिकरण की वरिष्ठ अधिकारी और ज्वाईंट सेक्रेटरी रितु सुहास ने अपने ही कार्यालय में छापा मारा. ज्वाईंट सेक्रेटरी ने वर्षों से गायब प्राधिकरण की फाइलों को मौके पर तलब किया तो कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. कर्मचारियों ने कहा कि फाइलें अलमारी में हैं और इनकी चाभियां सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों के पास हैं. इसके बाद ऋतु सुहास ने बंद अलमारियों के ताले तोड़ने का आदेश दे डाला. इस दौरान वीडियोग्राफी भी कराई.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
मुलायम सरकार की भ्रष्ट फाइल मिली
अलमारियों के ताले टूटने के बाद फाइलों को विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने खंगालना शुरू कर दिया. जिसमें सबसे पहले समाजवादी पार्टी की सरकार में लॉटरी के बगैर मकान आवंटित करने की फाइल निकली. इस फाइल में सपा के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष दिवंगत नेता रामशरण दास का पत्र है, जिसमें किसी गौरव अवस्‍थी को 112 मीटर का भूखंड देने की सिफारिश की गई थी. पत्र में लिखा गया है कि मुख्‍यमंत्री भी इस संबंध में आदेश दे चुके हैं. 16 अगस्‍त 2005 को मुख्‍यमंत्री कैंप कार्यालय की मुहर भी इस पत्र पर लगी हुई है. पत्र में स्‍पष्‍ट है कि बिना लॉटरी के ही गौरव अवस्‍थी को भूखंड दिया जाना है. इसी पत्र के आधार पर आवंटन की ये पूरी फाइल बनाई गई थी. इस मामले में जल्‍द कार्यवाही करने का आदेश दिया गया है. दूसरी ओर अनेक पत्रावलियां समायोजन से भी जुड़ी हुई मिली हैं. अधिकांश फाइलें गोमती नगर योजना से जुड़ी थीं.
दर्जनों अलमारियों का ताला टूटा
बता दें कि प्राधिकरण में सैकड़ों की संख्‍या में फाइलें अलमारियों में बंद हैं. संयुक्‍त सचिव ऋतु सुहास ने कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई कि वे अलमारियों में से सारी फाइलें निकालें. बड़े राज खुलने के डर से अनेक कर्मचारी प्राधिकरण से फाइलें लेकर चले गए. बता दें कि लखनऊ विकास प्राधिकरण की 24 हजार फाईलें गायब हैं, जो आज तक नहीं मिली. इसके चलते जाने कितने घोटाले आज तक खोले नहीं जा सके हैं.
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