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प्रबंधन के रवैए से त्रस्त रोडवेजकर्मी, सुनवाई न होने का लगाया आरोप, जानिए क्या बोले जिम्मेदार

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Published : Apr 17, 2023, 2:25 PM IST

Updated : Apr 17, 2023, 4:54 PM IST

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चालक-परिचालकों ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए अपना दर्द बयां किया. वहीं विभाग के अधिकारी ने समस्या का समाधान होने की बात कही.

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प्रबंधन के रवैए से त्रस्त रोडवेजकर्मी, सुनवाई न होने का लगाया आरोप.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चालक-परिचालकों की दिन रात की मेहनत से ही अधिकारियों को वेतन मिलता है, लेकिन उन्हीं अधिकारियों पर कर्मचारियों को ही प्रताड़ित करने का आरोप लग रहा है. आरोप है कि कर्मचारियों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उनकी तमाम ऐसी समस्याएं हैं जिनका समाधान परिवहन निगम को करना है, लेकिन परेशान कर्मचारियों का पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं है. संविदा के तमाम चालक-परिचालक प्रबंधन के रवैए से खफा हैं. "ईटीवी भारत" से तमाम चालक-परिचालकों ने अपनी समस्याएं रखीं.

यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के शाखा अध्यक्ष प्रदीप पांडेय का कहना है कि आए दिन रोडवेज प्रशासन की तरफ से नए-नए नियम कानून चालक-परिचालकों पर थोप दिए जाते हैं. जब समस्याओं के समाधान के लिए कर्मचारी अधिकारियों के सामने आवाज उठाते हैं तो उनकी सुनवाई तक नहीं होती है. लोड फैक्टर को लेकर लगातार उच्चाधिकारी चालक-परिचालक पर दबाव बनाते हैं. कहीं भी यह नहीं लिखा है कि बस स्टेशन पर एक भी सवारी बस में हो और सड़क पर संचालन के लिए बस भेज दी जाए, लेकिन अब लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर इसी तरह के आदेश जारी कर रहे हैं. इससे रोडवेज के संविदा चालक परिचालक जो जरा सा वेतन पाते हैं उनकी इनकम तक नहीं आ पाती है. एक तरफ 25 सवारियों से कम होने पर बस निरस्त करने के आदेश होते हैं, वहीं दूसरी तरफ एक भी सवारी होने पर बस ले जाने के लिए कह दिया जाता है. दूसरी बात लंबी दूरी की बस पर दो ड्राइवरों की ड्यूटी लगी लगा दी जाती है. ड्राइवरों को पैसा आधी आधी दूरी का ही दिया जाता है. यह कहां का न्याय है? नियमित चालकों की तरह ही संविदा चालकों की भी ड्यूटी लगाई जाए. उन्हें भी उतना ही पैसा दिया जाए.' प्रदीप पांडेय का कहना है कि 'कोरोना काल का अभी भी कई महीनों का पेमेंट परिवहन निगम की तरफ से नहीं किया गया है, जबकि इस दौरान चालक-परिचालकों ने कितनी मेहनत की थी. अपनी जान पर खेलकर लोगों को उनके घर पहुंचाया था. एक माह का सिर्फ पैसा दिया गया और पांच माह का पैसा अधिकारी डकारने की फिराक में हैं. अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. लिहाजा मजबूरन मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है.

प्रबंधन के रवैए से त्रस्त रोडवेजकर्मी, सुनवाई न होने का लगाया आरोप, जानिए क्या बोले जिम्मेदार.
प्रबंधन के रवैए से त्रस्त रोडवेजकर्मी, सुनवाई न होने का लगाया आरोप, जानिए क्या बोले जिम्मेदार.


चालक कमल किशोर का कहना है कि 'इस समय बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है. इससे पहले इतनी दिक्कत कभी नहीं हुई. नए-नए नियम बना दिए जाते हैं. एक सवारी के साथ बस भेजने का दबाव बनाया जाता है. मेरा काफी पैसा फंसा हुआ है. उसका भुगतान तक नहीं किया जा रहा है. कोई सुनवाई नहीं होती है.' इसी तरह रोडवेज के अन्य चालक-परिचालकों का कहना है कि 'रोडवेज की इनकम लगातार घटती जा रही है. इसकी वजह है कि रोडवेज बस के समानांतर डग्गामार बसों का संचालन हो रहा है. प्राईवेट बसें रोडवेज से आधे किराए में यात्रियों को ले जाती हैं. डग्गामार पर परिवहन निगम के अधिकारी रोक नहीं लगा पा रहे हैं और लोड फैक्टर कम आने पर अपने ही चालक-परिचालकों के वेतन से कटौती कर लेते हैं. यह बिल्कुल भी सही नहीं है.' चालक परिचालकों की यह भी शिकायत है कि रात में ही रूट से आने के बाद कैश जमा करने के आदेश हैं, लेकिन बस स्टेशन पर रात में बस पहुंचने के बाद कैश काउंटर खुले ही नहीं मिलते. ऐसे में कैशबैक लेकर भटकना पड़ता है. डर इस बात का रहता है कि कहीं कोई कैश बैग न छीन ले जाए. कई बार अधिकारियों को इससे अवगत कराया गया, लेकिन कोई सुनता ही नहीं है.'

प्रबंधन के रवैए से त्रस्त रोडवेजकर्मी, सुनवाई न होने का लगाया आरोप, जानिए क्या बोले जिम्मेदार.
प्रबंधन के रवैए से त्रस्त रोडवेजकर्मी, सुनवाई न होने का लगाया आरोप, जानिए क्या बोले जिम्मेदार.

क्या कहते हैं अधिकारी : लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर का कहना है कि 'कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान किया जाता है. उनकी सुनवाई भी होती है. जहां तक बात कोरोना काल के पैसे देने की है तो यह पूरा पैसा चालक-परिचालकों को दिया गया है. कोई बकाया नहीं है. बसों की इनकम बढ़ाने के लिए ही नए नियम बनाए जाते हैं. वह नियम भी चालक-परिचालकों के खिलाफ नहीं होते हैं. चालक-परिचालकों की अगर शिकायत है तो अपना मांग पत्र मेरे सामने रखें, उनका समाधान जरूर किया जाएगा.

33 घंटे के बाद ड्राइवर-कंडक्टर ने समाप्त की हड़ताल : रोडवेज अफसरों की मनमानी से नाराज होकर हड़ताल पर चले गए ड्राइवरों-कंडक्टरों ने 33 घंटे के बाद हड़ताल समाप्त की. हड़ताल के कारण करीब 70 हजार मुसाफिरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. हड़ताल के कारण बस पकड़ने चारबाग, आलमबाग, कैसरबाग और अवध बस स्टेशन पहुंचे यात्रियों को वापस लौटना पड़ा. इसके अलावा बसें ना मिलने के कारण मुसाफिरों को एक बस अड्डे से दूसरे बस अड्डे तक दौड़ लगानी पड़ी.

प्रबंधन के रवैए से त्रस्त रोडवेजकर्मी, सुनवाई न होने का लगाया आरोप, जानिए क्या बोले जिम्मेदार.
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वार्ता के बाद कर्मचारियों ने वापस ली हड़ताल : बसों के संचालन ठप होने से यात्रियों की बड़ी परेशानी को देखते हुए शुक्रवार की शाम को मुख्य प्रधान प्रबंधक टेक्निकल के नेतृत्व में हड़ताल पर गए कर्मचारियों के साथ वार्ता शुरू हुई. इस वार्ता में हड़ताल पर गए कर्मचारियों ने अपने 36 कर्मचारियों पर हुई कार्यवाही को वापस लेने का मांग रखा. जिस पर एमडी ने सहमति जताई कि सोमवार को उन पर हुई कार्रवाई को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया जाएगा. परिवहन निगम के पीआरओ अजीत सिंह ने बताया कि 14 अप्रैल की शाम लखनऊ क्षेत्र के संविदा कर्मचारियों के संगठन के पदाधिकारियों के साथ उच्च अधिकारियों की बैठक हुई. जिसमें अधिकारियों ने कर्मचारियों की मांगों का जल्द से जल्द निस्तारण कराने का आश्वासन दिया. कर्मचारियों की ओर से रखी गई सभी मांगों को सोमवार को एमडी के सामने रखा जाएगा.

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ट्रांसपोर्टनगर, इंदिरानगर से इकाना स्टेडियम के लिए मिलेंगी ई-बसें : इकाना स्टेडियम में होने वाले क्रिकेट मैच को देखने के लिए दर्शकों को मेट्रो स्टेशनों से ई-बसें मिल सकेगा. दर्शकों को मेट्रो स्टेशन मुंशीपुलिया, इंदिरानगर और ट्रांसपोर्टनगर से सीधे इकाना स्टेडियम तक इलेक्ट्रिक बसों की सुविधा मिलेगी. लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आरके त्रिपाठी ने बताया कि आईपीएल क्रिकेट मैच को लेकर शनिवार को मेट्रो स्टेशनों से लिंक सिटी बसें चलेंगी. क्रिकेट मैच के चलते दर्शकों को मेट्रो की सुविधा रात साढ़े बारह बजे तक मिलेगी. आखिरी मेट्रो रात 12:30 बजे एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के लिए रवाना होगी.

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Last Updated : Apr 17, 2023, 4:54 PM IST
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