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DGP Appointment in UP : 8 महीने से कार्यवाहक डीजीपी के सहारे है यूपी पुलिस, जानें नई नियुक्ति में क्या है पेंच

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Published : Feb 2, 2023, 11:13 AM IST

उत्तर प्रदेश में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति (DGP Appointment in UP) को लेकर सरकार और संघ लोक सेवा आयोग के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है. यही कारण है कि आठ महीनों के बाद भी यूपी को स्थायी डीजीपी नहीं मिल सका है. मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डाॅ. डीएस चाैहान का कार्यकाल नजदीक आने से (मार्च 2023) आने से एक बार फिर मंथन तेज हो गया है.

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लखनऊ : मार्च 2023 को कार्यवाहक डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान का रिटायरमेंट होना है. इसके बावजूद अभी तक यूपी को बीते आठ महीनों से स्थाई डीजीपी नहीं मिल सका है. सूत्रों के मुताबिक अब तक सरकार संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव नहीं भेज सकी है. मौजूदा डीजीपी के रिटायरमेंट से दो महीने पहले ही प्रस्ताव भेज दिया जाना होता है. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि आखिरकार क्या देश की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स अगले कुछ और महीने अस्थाई डीजीपी के सहारे ही चलेगी?

11 मई, 2022 को पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल को पद से सरकार ने हटा दिया था. राज्य सरकार ने डीजी इंटेलीजेंस व विजिलेंस डा.डीएस चाैहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया और उसके लगभग चार माह बाद स्थायी डीजीपी के चयन का प्रस्ताव आयोग को भेजा गया था. वरिष्ठता क्रम में 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल पहले, आरपी सिंह दूसरे व इसी बैच के जीएल मीणा तीसरे स्थान पर थे. इनके बाद वरिष्ठता सूची में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी आरके विश्वकर्मा, कार्यवाहक डीजीपी डीएस चाैहान, केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर तैनात 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार अग्रवाल, डीजी जेल आनंद कुमार व विजय कुमार के नाम भेजे गए थे. हालांकि आयोग ने सरकार के प्रस्ताव पर सवाल उठाते हुए बैरंग वापस भेज दिया और फिर नए सिरे से जवाब के साथ प्रस्ताव की मांग की.


अब तक नहीं भेजा गया प्रस्ताव : अब जब आयोग द्वारा प्रस्ताव को लौटाए जाने को फिर चार महीने बीत चुके हैं, तो एक बार फिर चर्चा इस बात की होने लगी है कि क्या डीएस चौहान स्थाई डीजीपी बन पाएंगे. दरअसल, डीजीपी पद के तीन अधिकारियों के पैनल चयन के लिए आयोग को पद खाली होने की तिथि से तीन महीने पहले सूचना देनी होती है. चूंकि मई 2022 को मुकुल गोयल अचानक पद से हटाए गए थे. ऐसे में सरकार ने कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त कर चार महीने बाद आयोग को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन आयोग ने सितंबर में ही प्रस्ताव वापस भेज दिया और सरकार से मुकुल गोयल को पद से हटाने का कारण पूछा. अब डीएस चौहान अगले दो महीनों में रिटायर हो जाएंगे और सरकार आयोग को प्रस्ताव नहीं भेज सकी है. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या एक बार फिर अगले कुछ और महीनों के लिए अस्थाई डीजीपी से ही सरकार काम चलाएगी.


डीएस चौहान के स्थाई डीजीपी बनने में रोड़ा : सरकार ने सितंबर में आयोग को डीजीपी के लिए जो प्रस्ताव भेजा था, उसमें डीएस चौहान का भी नाम शामिल था. सरकार जानती थी कि आयोग वरिष्ठता के आधार पर जिन तीन नामों का पैनल भेजेगी उसमें डीएस चौहान का नाम शामिल होगा. क्योंकि प्रस्ताव डीजीपी पद खाली होने की तारीख से भेजा गया था उस हिसाब से डीएस चौहान के रिटायरमेंट होने में छह महीने शेष थे. अब जब मार्च में चौहान का रिटायरमेंट होना है तो यह इस पर निर्भर करेगा कि सरकार प्रस्ताव किस तिथि के अनुरूप भेजती है. यदि मई 2022 के तिथि से सरकार आयोग को प्रस्ताव भेजेगी तो ही चौहान का नाम पैनल में शामिल किया जाएगा और अगर प्रस्ताव वर्तमान तिथि के अनुसार भेजा जाता है तो डीएस चौहान, आरपी सिंह और आरके विश्वकर्मा का नाम डीजीपी की रेस से बाहर हो जाएगा.

कौन DGP की रेस में आगे : सरकार ने सितंबर माह में आयोग को जिन 30 साल की सेवा पूरी कर चुके आईपीएस अधिकारियों के नाम भेजे थे, उसमें 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल पहले, आरपी सिंह दूसरे इसी बैच के जीएल मीणा तीसरे स्थान पर थे. इनके बाद वरिष्ठता सूची में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी आरके विश्वकर्मा, कार्यवाहक डीजीपी डीएस चाैहान, केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर तैनात 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार अग्रवाल, डीजी जेल आनंद कुमार व विजय कुमार के नाम भेजे गए थे. जीएल मीणा 31 जनवरी को रिटायर हो चुके हैं. आरपी सिंह अगले माह रिटायर होने हैं. मार्च में कार्यवाहक डीजीपी डाॅ. डीएस चौहान और मई में डीजी आरके विश्वकर्मा व चंद्र प्रकाश का भी सेवाकाल पूरा हो रहा है. ऐसे में यदि वर्तमान की तिथि से सरकार अभी प्रस्ताव भेजती है तो सूची में 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल के बाद दूसरे स्थान पर 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी आनंद कुमार का नाम सबसे ऊपर ही होगा और डीएस चौहान रेस से बाहर हो जाएंगे.

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि वैसे तो यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह किस अधिकारी से काम लेना चाहती है और किससे नहीं. यह जरूर है कि एक बड़ी फोर्स को उसका स्थाई डीजीपी नहीं मिल पा रहा है. यह चिंताजनक है, वे कहते है कि पहले पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल को अचानक से हटा देना फिर यूपीएससी का प्रस्ताव लौटाते हुए मुकुल गोयल को हटाए जाने का कारण पूछना ये दिखाता है कि आयोग सरकार द्वारा पुलिस चीफ के चयन प्रक्रिया से अधिक खुश नहीं है. ऐसे में सरकार भी अब फूंक फूंक कर कदम रखते हुए सारी तैयारी के साथ प्रस्ताव भेजेगी. भले ही तब तक कार्यवाहक डीजीपी तैनात रहे. सरकार की मंशा थी कि डीएस चौहान को एक्सटेंशन मिल जाए, जिससे पैनल में उनका नाम शामिल हो सके, लेकिन उसके भी आसार अब कम ही दिखाई दे रहे हैं.

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