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सावधान! कहीं आपके बच्चे सोशल मीडिया के नशे में तो नहीं कर रहे ऑनलाइन फ्रॉड

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Published : Jan 1, 2023, 8:34 AM IST

लखनऊ साइबर सेल की जांच में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब लोगों को अकाउंट से पैसे निकलना साइबर क्राइम लगा, लेकिन बाद में पैसे उन्हीं के बच्चों द्वारा निकाला जाना सामने आता है. ऐसे में साइबर एक्सपर्ट ने बच्चों के अभिभावकों को सलाह दी है.

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मां-बाप बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर बनाएं.

लखनऊ: राजधानी के कैंट निवासी सेना के जवान के डेबिट कार्ड से कई बार में पैसे निकल गए. यह डेबिट कार्ड उनकी पत्नी के पास था. पत्नी ने जवान को साइबर ठगी होने का अंदेशा जताया. सैनिक ने लद्दाख से लखनऊ आकर साइबर सेल में शिकायत की और जब जांच हुई, तो पता चला कि उनके 12 वर्षीय बेटे ने फ्री फायर गेम के लिए डेबिट कार्ड से पेमेंट किया था. मामला बेटे से जुड़ता देख सैनिक ने अपनी शिकायत वापस ले ली.

यह कोई पहला मामला नहीं था. साइबर सेल की जांच में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब लोगों को उनके अकाउंट से पैसे निकलना साइबर क्राइम लगा लेकिन बाद में पैसे उन्हीं के बच्चों द्वारा निकाला जाना सामने आता है. ऐसे में साइबर एक्सपर्ट व पुलिस बच्चों के इस कारनामों से हैरान व चिंतित है.

दादी के अकाउंट्स से चुपके से कर ली 11 लाख की शॉपिग
लखनऊ साइबर सेल(Lucknow Cyber ​​Cell) में तैनात पुलिसकर्मी बताया कि सितंबर माह में कपूरथला में रहने वाली बुजुर्ग महिला के अकाउंट से 11 लाख रुपये उड़ गए. उनके बेटे ने बैंक में पता किया, तो उन्हें बताया गया कि उनके खाते से ऑनलाइन शॉपिंग की गई है. बेटे को लगा कि उनकी मां के साथ साइबर फ्रॉड (cyber fraud) हुआ है. उन्होंने सायबर सेल में शिकायत की, जिसके बाद जांच में सामने आया कि बुजुर्ग महिला की पोती ने ही उनके अकाउंट से पेटीएम रजिस्टर कर लिया और बुजुर्ग दादी के अकाउंट से धीरे-धीरे 11 लाख रुपये निकाल कर पोती ने ऑनलाइन गेम, ब्वायफ्रेंड के लिए आईफोन व कपड़े खरीद लिए थे. जब हमने ये बात शिकायतकर्ता को बताई तो उन्हें अपनी शिकायत पर कोई भी कार्रवाई न करने का निवेदन किया.

ऑनलाइन फ्रॉड के 10% मामले घर में दिए जा रहे अंजाम
साइबर सेल प्रभारी रंजीत राय ने बताया कि ऐसे मामले सिर्फ कैंट व अलीगंज तक ही सीमित नहीं है. ऑनलाइन फ्रॉड डेबिट व क्रेडिट कार्ड से होने वाले ऑनलाइन फ्रॉड की जब भी शिकायतें आती हैं,क तो जांच में 10 प्रतिशत मामलों में घर में रहने वाले सोशल मीडिया व इंटरनेट के आदी बच्चे ही पैसों का ट्रांसफर करते हैं. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया और इंटरनेट का नशा है, जो बच्चों को अपराध की दुनिया तक ले जाता है.

ऑनलाइन गेमिंग युवाओं को अपराध की दुनिया में रहा धकेल
साइबर एक्सपर्ट संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि ऑनलाइन गेमिंग ऐप हर साल लाखों युवाओं को अपने जाल में फंसा रही है. पूरी दुनिया में कोविड के दौरान युवाओं व बच्चों में इंटरनेट व सोशल साइट्स के अधिक क्रेज बढ़ा है, उसी क्रेज ने अब उन्हें इसका नशा लगा दिया है. इसका फायदा ऑनलाइन गेमिंग एप (online gaming app) को भी हुआ है. ऑनलाइन गैम्बलिंग इंडस्ट्री (online gambling industry) की हर साल की कमाई 10 हजार करोड़ से अधिक है. संदीप ने बताया कि ये एक तरह का ऐसा नशा होता है, जिसमें उस युवा को यह पता ही नहीं चल पाता है कि वो किस रैकेट में फंसता जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब भारत में पहली बार कोरोना के चलते लॉक डाउन लगा था, तब 700 करोड़ से भी अधिक बार ऑनलाइन गेम डाउनलोड किये गए थे.

बच्चों से सोशल मीडिया के बारे में पैरेंट्स करें बात
साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि मां बाप को यह समझना होगा कि अपने बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर बनाए रखें. बच्चों से सोशल मीडिया अकाउंट्स के बारे में चर्चा करिए. आज का वक्त जुड़ाव का है. अगर आप बच्चों के साथ नही जुड़ेंगे, तो बच्चे आपको खुद से दूर कर देंगे. यह दूरी ही कारण है कि बच्चे सोशल मीडिया के नशे में इतना रम जा रहे कि घर में ही खाते खाली कर दे रहे. वो कहते हैं कि सोशल मीडिया व ऑनलाइन गेम का नशा बच्चों पर आपराधिक प्रवत्ति का असर डालती है. सोशल आइसोलेशन की आदत के साथ साथ ऑनलाइन हिंसक गेम से बच्चों को हेल्थ डिसऑर्डर हो रहा है.

बच्चों को दे मोबाइल का लिमटेड एक्सेस
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता व डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक का कहना है कि ये जरूरी है कि जो गाइडलाइन स्कूलों में बच्चों के लिए दी जाती है उनका स्क्रीन टाइम लिमटेड किया जाए. फोन का भी लिमटेड ही एक्सेस दिया जाए. पहले भी बहुत सारे ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें ऑनलाइन गेम चैलेंज पूरा करने के लिए बच्चों ने घर छोड़ दिया. ये ध्यान देना जरूरी है कि बच्चे जब भी मोबाइल इस्तेमाल करें, तो वह किसी न किसी बड़े की निगरानी में ही हों. अलग से उसे कोई भी एक्सेस न दिया जाए.

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