ETV Bharat / state

गोमती रिवर फ्रंट केस में शिवपाल सिंह यादव से CBI कर सकती है पूछताछ, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

author img

By

Published : Nov 29, 2022, 9:12 AM IST

Updated : Nov 29, 2022, 12:03 PM IST

c
c

सुरक्षा का घेरा घटने के बाद अब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव की मुस्किलें और बढ़ने वाली हैं. गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल व दो अधिकारियों की भुमिका की जांच शुरू हो गई है. घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने शिवपाल व दो अधिकारियों से पूछताछ के लिए शासन से अनुमति मांगी है.

लखनऊ: सुरक्षा का घेरा घटने के बाद अब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Pragatisheel Samajwadi Party) के अध्यक्ष व सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव की मुस्किलें और बढ़ने वाली हैं. गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (Gomti River Front Scam) में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल व दो अधिकारियों की भुमिका की जांच शुरू हो गई है. घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने शिवपाल व दो अधिकारियों से पूछताछ के लिए शासन से अनुमति मांगी है.

यूपी में योगी सरकार बनने के हाद सबसे पहले अखिलेश सरकार में बने गोमती रिवर फ्रंट की जांच करवाई थी. सरकार की जांच में घोटाला सामने आने पर पूरा मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया. सीबीआई अब तक इस घोटाले में आरोपी कई इंजीनियरों को गिरफ्तार कर चुकी है. यही नहीं इस मामले में उस समय के दो कद्दावर आईएएस अधिकारी व सिंचाई मंत्री की भी भुमिका सीबीआई को संदिग्ध मिली थी. जिस कारण सीबीआई शिवपाल व आईएएस अधिकारियों से पूछताछ करना चाहती है. शासन ने पूछताछ की अनुमति देने के लिए सिंचाई विभाग से संबंधित दस्तावेज तलब किए हैं. यदि गोमती रिवर फ्रंट मामले में इन तीनों लोगों की भूमिका संदिग्ध मिली तो सीबीआई को पूछताछ की अनुमति दे दी जाएगी.

जानकारी देते भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी.



सूत्रों के मुताबिक गोमती रिवर फ्रंट की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी जिन दोनों आईएएस अधिकारियों की थी. उनके बारे में यह देखा जा रहा है कि उन्होंने टेंडर की शर्तों में बदलाव के लिए मौखिक या लिखित रूप से कोई आदेश तो नहीं दिया. वहीं, शिवपाल के मामले में यह जानकारी जुटाई जा रही है कि गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में अभियंताओं को अतिरिक्त चार्ज देने में उनकी क्या भूमिका रही? बिना टेंडर काम देने या गुपचुप ढंग से टेंडर की शर्तें बदले जाने में भी उनकी भूमिका की पड़ताल हो रही है. किसी भी पूर्व मंत्री ने अपने मंत्री रहते कोई निर्णय लिया हो तो उस अवधि के भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति आवश्यक होती है.

दरअसल, गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के लिए अखिलेश सरकार ने 2014-15 में 1513 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे. सपा सरकार के कार्यकाल में ही 1437 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए थे. स्वीकृत बजट की 95 फीसदी राशि जारी होने के बावजूद 60 फीसदी काम पूरा नहीं हो पाया. योगी सरकार द्वारा गठित न्यायिक जांच में तो इस परियोजना को भ्रष्टाचार का पर्याय करार दिया गया. परियोजना के लिए आवंटित राशि को ठिकाने लगाने के लिए इंजीनियरों और अधिकारियों ने जमकर बंदरबाट की थी.

यह भी पढ़ें : स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी सचिव रहे अरमान के एक और जालसाज साथी को STF ने किया गिरफ्तार

Last Updated :Nov 29, 2022, 12:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.