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...यही हालात रहे तो कहीं खत्म न हो जाए लखनऊ का जरदोजी और चिकन का काम

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Published : Aug 14, 2019, 1:15 PM IST

राजधानी लखनऊ में जरदोजी और चिकनकारी का काम बहुत प्रसिद्ध है. यह काम देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है. जीएसटी लागू हो जाने के बाद से चिकनकारी के व्यापार में भारी गिरावट आई है.

राजीव महेन्दू, वरिष्ठ संगठन मंत्री

लखनऊ: स्वतंत्रता के बाद से भारत देश के व्यापारिक क्षेत्र में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. भारत के व्यापारिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का भी काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. लखनऊ में तैयार होने वाला चिकन का कारोबार, जिसने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है वह भी मुफलिसी के कगार पर पहुंच रहा है. दूसरी तरफ सब्जियों की बात करें तो इसके भी आयात और निर्यात में काफी असर पड़ा है. घटते व्यापार को देखते हुए व्यापारी कारोबार को बंद करने की सोच रहे हैं.

व्यापार में गिरावट के चलते बंद हो रहे व्यापार.

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जीएसटी लागू होने से बंद होने के कागार पर है कारोबार

  • राजधानी लखनऊ की असल पहचान जरदोजी और चिकनकारी काम से है.
  • शहर की यह कलाकारी प्रदेश, देश और विदेशों तक महशूर है और बड़ी तादाद में इसकी डिमांड भी है.
  • कुछ समय से इस कारीगरी पर ग्रहण लग गया है और व्यापारी इससे दूरी बना रहे हैं.
  • आजादी के बाद से लखनऊ की चिकनकारी के व्यापार में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
  • चिकनकारी के इस व्यापार ने तमाम लोगों को रोजगार मुहैया कराए हैं और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भी योगदान रहा है.
  • व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि जीएसटी लागू हो जाने के बाद से चिकनकारी के व्यापार में गिरावट दर्ज की गई है.
  • स्थिति यह है कि लखनऊ का यह व्यापार अब बंद होने के कगार पर आ गया है.
  • वहीं सब्जी आढ़तियों का कहना है कि सब्जियों के आयात और निर्यात पर नोटबंदी और जीएसटी ने गहरी चोट पहुंचाई है.
  • नोटबंदी और जीएसटी के बाद से सब्जियों के आयात और निर्यात पर काफी असर देखने को मिला है.
Intro:स्पेशल स्टोरी

व्यापार में गिरावट के चलते बढ़ी परेशानी, कहीं खत्म न हो जाए लखनऊ की निशानी


स्वतंत्रता के बाद से भारत देश के व्यापारिक क्षेत्र में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत के व्यापारिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का भी काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वहीं नवाबों की नगरी लखनऊ में तैयार होने वाला चिकन कारोबार, जिसने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। वह भी मुफलिसी के कगार पर पहुंच रहा है। बात की जाए सब्जियों की तो इसके भी आयात व निर्यात में काफी असर पड़ा है। घटते व्यापार को देखते हुए व्यापारी इस कारोबार को बंद करने की सोच रहे हैं। इस मामले में ईटीवी भारत ने जानी व्यापारियों की राय


Body:नवाबों की नगरी राजधानी लखनऊ की असल पहचान ज़रदोज़ी और चिकनकारी है। शहर की यह कालाकारी प्रदेश, देश और विदेशों तक महशूर हैं। लखनऊ में बने इन सामानों का बड़ी तादाद में डिमाण्ड है। लेकिन पिछले कुछ समय से इस कारीगारी पर मानों ग्रहण लग गया हो और व्यापारी और कारीगर इससे दूरी बना रहे हैं या फिर यह हुनर बंद होने की कागार पर है। यही नही बीते कुछ समय से उत्तर प्रदेश में सब्जियों के आयात-निर्यात को घाटा उठाना पड़ रहा है।

लखनऊ की चिकनकारी शहर की पहचान है। आजादी के बाद से लखनऊ की चिकनकारी के व्यापार में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चिकनकारी के इस व्यापार में तमाम लोगों को रोजगार मुहैया कराए हैं तो वहीं देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में योगदान रहा है। चिकनकारी के नए उत्पादों का बड़ी संख्या में प्रदेश, देश और विदेश स्तर पर निर्यात होता रहा है। व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि जीएसटी लागू हो जाने के बाद से चिकनकारी के इसमें व्यापार में गिरावट दर्ज की गई है। व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी लागू होने सके उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि लखनऊ का यह व्यापार अब बंद होने के कगार पर है।

बाईट_ राजीव महेन्दू, चौक व्यापार मण्डल वरिष्ठ संगठन मंत्री

सब्जी आढ़तियों का कहना है कि सब्जियों के आयात निर्यात पर नोटबंदी और जीएसटी ने गहरी चोट पहुंचाई है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद से सब्जियों के आयात और निर्यात पर काफी असर देखने को मिला है। निर्यात पूरी तरह से बंद है तो आयात में भी काफी कमी आई। आलू, आम, भिण्डी, अदरक, टमाटर के आयात-निर्यात में खासा गिरावट आई है।

बाईट_ संतोष यादव, अध्यक्ष दुबग्गा सब्जी मंडी युवा किसान


Conclusion:रितेश यादव
UP10003
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