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बुंदेलखंड की सूरत बदलने में कामयाब रही हैं सरकार की कुछ योजनाएं, जल्द दिखेगी बदलाव की बयार

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 27, 2023, 8:23 PM IST

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यूपी में विकास के मामलों को लेकर सबसे अधिक चर्चित रहने वाले बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने में योगी सरकार की योजनाएं काफी हद तक सफल साबित हो रही हैं. जल संकट, रोजगार. सड़कों के विकास जैसी तमाम जरूरी योजनाओं को योगी सरकार अमलीजामा पहनाने में कामयाब दिख रही है. देखें विस्तृत खबर...

लखनऊ : कभी जल संकट तो कभी अन्य समस्याओं के कारण प्रदेश में बुंदेलखंड चर्चा में रहता था. कई बार विशेषज्ञ कहते थे कि इसका एक ही इलाज है कि अलग बुंदेलखंड राज्य का निर्माण किया जाए. इसके बाद ही इस क्षेत्र का विकास संभव हो पाएगा. हालांकि पिछले वर्षों में सरकार की कुछ ऐसी योजनाएं आई हैं, जिनके कारण बुंदेलखंड की सूरत बदली है. हर घर नल से जल की योजना ने पानी की समस्या से बड़े क्षेत्र को निजात दिला दी है. उद्योग लगने के कारण रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं. साथ ही एक्सप्रेस वे के कारण पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिल रहा है.

विकास की ओर बढ़ता बुंदेलखंड.
विकास की ओर बढ़ता बुंदेलखंड.

हर घर तक पानी पहुंचाने का काम पूरा : एक दशक पहले बुंदेलखंड की चर्चा या तो वहां समृद्ध विरासत को लेकर होती थी या इस क्षेत्र की बदहाली को लेकर. हालांकि कि विगत वर्षों में यहां के हालात बदल गए हैं. इस क्षेत्र में सात जिले आते हैं, जिनमें झांसी, जालौन, ललितपुर, चित्रकूट, हमीरपुर, बांदा और महोबा का नाम शामिल है. हर घर नल से जल योजना के तहत पानी पहुंचाने का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है. जालौन और हमीरपुर जिलों में ही 10 फीसद के आसपास काम शेष है. बाकी जगहों पर काम लगभग पूरा हो गया है. इस योजना ने सातों जिलों के लोगों खासतौर पर महिलाओं को बहुत राहत दी है. पहले यहां के लोगों को पानी के लिए बहुत कष्ट उठाना पड़ता था. सरकार ने जिल जिलों में भूगर्भ जल की उपलब्धता थी, वहां भूगर्भ से बाकी स्थानों पर अलग जल श्रोतों से पेयजल की व्यवस्था की गई है.

विकास करता बुंदेलखंड.
विकास करता बुंदेलखंड.

सड़कों से बदहाली बुंदेलखंड की तस्वीर : सड़कों के विकास ने भी बुंदेलखंड का चेहरा बदल कर रख दिया है. अब इस क्षेत्र में पहुंच बहुत आसान हो गई है. सरकार ने 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के निर्माण पर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इसके साथ ही डिफेंस कॉरिडोर के लिए भी 550 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है जो इस क्षेत्र के विकास और रोजगार के नए अवसरों को जन्म देगा. खास बात यह है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को सोलर एक्सप्रेस वे के रूप में भी विकसित किया जा रहा. वहीं झांसी लिंक एक्सप्रेस वे एवं चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस वे के निर्माण का काम भी तेजी से हो रहा है. सरकार बुंदेलखंड क्षेत्र में एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र भी शीघ्र ही बनाने वाली है. झांसी और चित्रकूट जिलों में एयरपोर्ट बनाने के प्रोजेक्ट को मंजूरी भी दे दी गई है. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 68.83 करोड़ की स्वीकृति भी सरकार ने दी है. जालौन में 350 करोड़ से 79 एकड़ में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया जा रहा है. इसी कड़ी में 1400 करोड़ की लागत से झांसी से खजुराहो तक चार लेन हाईवे का निर्माण काम तेजी से किया जा रहा है. विशेषज्ञ बताते हैं कि विगत वर्षों में इतने बड़े स्तर पर इस क्षेत्र में काम कभी भी नहीं किए गए. श्री चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद का गठन भी धार्मिक पर्यटन बढ़ाने की सरकार की नीति को दिखाता है. निश्चित रूप से क्षेत्र को इसका लाभ मिलेगा. चित्रकूट के रानीपुर में उत्तर प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व की स्थापना भी की जा रही है. इससे भी ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं का पलायन रुकेगा. चित्रकूट में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के लिए रोपवे की सुविधा की सुविधा के लिए भी काम किया जा रहा है.

विकास करता बुंदेलखंड.
विकास करता बुंदेलखंड.

बुंदेलखंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी : प्रदेश सरकार ने झांसी के नजदीक बुंदेलखंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के गठन को मंजूरी दी है, जिससे पूरी क्षेत्र में रोजगार के बड़े अवसर पैदा होने की उम्मीद जताई जा रही है. इस के लिए भूमि अधिग्रहण का की तैयारी भी शुरू कर दी गई है. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्दी ही यह योजना आकार लेती हुई दिखाई देगी. देश के कई बड़े औद्योगिक समूहों ने उत्तर प्रदेश सरकार से जमीन आवंटन के लिए अपना प्रस्ताव दिया है. यह योजना नोएडा की तर्ज पर यहां इंडस्ट्रियल सिटी बसाने की है. इसके साथ ही ललितपुर जिले में 1472 एकड़ क्षेत्रफल पर बल्क ड्रग पार्क के निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है. मास्टर प्लान और प्रोजेक्ट रिपोर्ट की तैयारी के लिए यूपीसीडा ने काम शुरू कर दिया है. पहले चरण में 300 एकड़ क्षेत्रफल में आधारभूत संरचनाओं को विकसित करने के लिहाज से डीपीआर तैयार किया जाना है. यूपी सरकार ललितपुर जिले को जेनरिक दवाओं के हब के रूप में विकसित करने की योजना पर भी काम कर रही है. इस पार्क को विकसित करने के लिए यूपी सरकार कई प्रतिष्ठित रिसर्च संस्थानों को नॉलेज पार्टनर बना रही है.

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