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इन सीटों पर फाइट हुई टाइट, सपा के बागियों को अब बसपा का सहारा

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Published : Jan 30, 2022, 8:55 AM IST

सूबे में लगातार घटते जनाधार के बीच अबकी बहुजन समाज पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी की सुप्रीमो मायावती सत्ता में आने को अपना सबकुछ दांव पर लगा चुकी हैं. यहां तक कि उन्होंने अबकी टिकट बंटवारे में भी जाति समीकरण को खासा महत्व दिया है. इसके अलावा कुछ सीटों पर बसपा ने प्रत्याशी भी बदले हैं और सपा के बागियों को प्रत्याशी बनाकर इन सीटों पर फाइट को टाइट कर दिया है.

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हैदराबाद: एक ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं, जो अपनों को दरकिनार कर दूसरी पार्टियों से सपा में शामिल होने वालों को प्रत्याशी बना रहे हैं तो वहीं टिकट कटने से नाराज सपा नेताओं को अब बसपा ने सहारा देना शुरू किया है. दरअसल, सूबे में जारी चुनावी सरगर्मी के बीच दल बदल का खेल अपने चरम पर है. बसपा मुखिया मायावती के करीबियों को अपने साथ मिलाकर अखिलेश यादव ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं, बसपा ने भी सपा नेताओं को टिकट थमा सपा अध्यक्ष की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया है. ऐसे में कई सीटों पर दलबदलू नेताओं ने मुकाबले को रोचक बना दिया है.

यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने को अखिलेश यादव ने जातीय आधार वाली छोटी सियासी पार्टियों से गठजोड़ करने के साथ ही दूसरी पार्टियों के प्रभावशाली नेताओं को अपने साथ मिलाया है. लेकिन इस बीच अखिलेश अपने पुराने वफादारों के बजाय दलबदल कर सपा में आने वाले नेताओं टिकट दे रहे हैं. यही कारण है कि सपा ने जिन नेताओं के टिकट काटे गए हैं, उन्हें अब बसपा अपना उम्मीदवार घोषित कर मुकाबले को रोचक बना रही है.

सपा के बागियों को अब बसपा का सहारा
सपा के बागियों को अब बसपा का सहारा

वहीं, समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले इटावा सीट पर पूर्व प्रत्याशी व सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के करीबी माने जाने वाले कुलदीप गुप्ता साइकिल से उतरकर हाथी पर सवार हो गए हैं. इटावा सदर विधानसभा सीट से सपा ने सांसद रहे राम सिंह शाक्य के बेटे सर्वेश शाक्‍य को अपना प्रत्याशी बनाया है. जिसके बाद नाराज कुलदीप गुप्ता ने सपा छोड़ बसपा का दामन थाम लिया और बसपा ने उन्हें इटावा सदर से बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां मुकाबला काफी रोचक हो गया है, क्योंकि कुलदीप गुप्ता ने इटावा के नगरपालिका चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी.

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इधर, मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे हाजी रिजवान का अखिलेश यादव ने टिकट काट दिया है और उनकी जगह जियाउर्रहमान को टिकट दिया है. ऐसे में हाजी रिजवान भी अब सपा छोड़कर बसपा में शामिल हो गए हैं और उन्हें भी बसपा ने इस सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है. ऐसे ही मुरादाबाद देहात सीट से सपा ने अपने विधायक हाजी इकराम कुरैशी का टिकट काटकर बसपा से आए नासिर कुरैशी को टिकट दिया है तो वहीं, हाजी इकराम सपा छोड़कर कांग्रेस से चुनावी मैदान में उतर गए हैं.

फाइट हुई टाइट
फाइट हुई टाइट

इसके अलावा बिजनौर की धामपुर विधानसभा सीट से तीन बार के विधायक और सपा सरकार में मंत्री रहे मूलचंद चौहान का टिकट अखिलेश यादव ने काटकर नूरपुर से विधायक नईमुल हसन को प्रत्याशी बनाया है. यही कारण है कि मूलचंद चौहान ने सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया और उन्हें धामपुर सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. धामपुर सीट पर अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. बिजनौर सदर सीट पर सपा से विधायक रहीं रुचिवीरा बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही हैं.

कमोवेश यही स्थिति बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट की भी है. यहां सपा प्रमुख ने पूर्व विधायक विजयपाल सिंह को टिकट दिया है. ऐसे में शालिनी सिंह ने सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया और मायावती ने उन्हें फरीदपुर सीट से पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया है. फरीदपुर विधानसभा से सपा के पूर्व विधायक रहे स्वर्गीय डॉ. सियाराम सागर के बेटे विशाल सागर ने भी टिकट न मिलने पर बगावत कर दी है.

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बात अगर एटा सदर विधानसभा सीट की करें तो यहां से अखिलेश यादव ने सपा से जुगेंद्र सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में दिग्गज नेता व पूर्व विधायक अजय यादव ने सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें एटा सदर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. इस तरह से एटा विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी रोचक हो गया है. वहीं, शाहजहांपुर की जलालाबाद विधानसभा सीट से तीन बार के विधायक शरद वीर सिंह का टिकट अखिलेश ने काट दिया, जिसके बाद उन्होंने सपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया.

अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट से सपा के मौजूदा विधायक का अखिलेश यादव ने टिकट काट दिया है, जिसके बाद वो भी भाजपा में शामिल हो गए हैं. ऐसे में प्रदेश की कई और भी सीटों पर दलबदल कर सपा में आने वाले नेताओं ने सियासी समीकरण को बिगाड़ दिया है.

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